Mission Sudarshan Chakra Indian Iron dome: पीएम मोदी ने 15 अगस्त के भाषण में मिशन सुदर्शन चक्र की भी घोषणा की थी। डीआरडीओ और सेना मिलकर इस पर लंबे समय से काम कर रहे हैं। जानिए इसराइल के आयरन डोम की तरह सुदर्शन चक्र कैसा होगा।
डीआरडीओ और सेना मिलकर सुदर्शन चक्र विकसित कर रहे हैं। यह इसराइली आयरन डोम की तरह होगा।
अब दुश्मनों से भारत की रक्षा सुदर्शन चक्र करेगा। इस वक्त सभी के मन में ये सवाल है कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जिस सुदर्शन चक्र मिशन का ऐलान पीएम मोदी ने किया, आखिर वो है क्या ? इस मिशन में किन-किन मिसाइलों को शामिल किया जाएगा और किस तरह इसकी पूरी रूपरेखा तैयार की जाएगी ? हालांकि इस पर लंबे समय से काम हो रहा है और इसे डीआरडीओ और सेना की झांकियों में भी पेश किया जा चुका है। इसके बारे में इसलिए जानना ज़रूरी है कि इसराइल के आयरन डोम की खासी चर्चा रही है।
प्रोजेक्ट सुदर्शन चक्र और मिशन सुदर्शन चक्र दो अलग-अलग चीजें हैं। प्रोजेक्ट सुदर्शन चक्र एक वेपन (हथियार) सिस्टम है। इस हथियार सिस्टम को SMART भी कहा जाता है। इसका पूरा अर्थ है- Supersonic Missile-Assisted Release of Torpedo। आसान भाषा में कहें तो ये एक ऐसा सुपर पावरफुल हथियार है, जो सुपरसोनिक मिसाइल और टॉरपीडो का मेल है। यह पनडुब्बी वाले टॉरपीडो की तरह ही दुश्मन के ठिकानों, लड़ाकू विमानों, उनके सैन्य ठिकानों को तबाह करता है।
600 किलोमीटर दूर तक मार करने वाला सिस्टम
डीआरडीओ ने द्वारा विकसित किए जा रहे SMART सिस्टम ने खेल बदल दिया है। SMART सिस्टम की खासियत ये है कि ये 600 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तक दुश्मन के सैन्य ठिकानों और समुद्र में पनडुब्बी को निशाना बना सकता है। इसकी सुपरसोनिक स्पीड इसे इतना तेज बनाती है कि दुश्मन को संभलने का मौका ही नहीं मिलता। SMART सिस्टम का निशाना इतना सटीक होता है कि टारगेट तक ना पहुंचने का सवाल ही नहीं। हाल ही में ओडिशा के तट पर SMART सिस्टम का टेस्ट हुआ, और वो पूरी तरह कामयाब रहा। DRDO के वैज्ञानिकों ने इसे इतनी बारीकी से बनाया कि ये टारगेट को पिनपॉइंट एक्यूरेसी के साथ भेद सकता है। ये भारत की समुद्री ताकत को एक नया आयाम देगा।मिशन सुदर्शन चक्र में भारतीय तकनीक होगी
मिशन सुदर्शन चक्र तो प्रोजेक्ट सुदर्शन चक्र से भी बड़ा है। यह बहुत ज़्यादा पावरफुल भी। मिशन सुदर्शन चक्र भारत को एक ऐसा रक्षा कवच देने जा रहा है, जो दुश्मन की मिसाइलें हों, ड्रोन हों या लड़ाकू विमान, हर हवाई खतरे से देश को बचाएगा। और बात सिर्फ बचाव की नहीं है, अगर दुश्मन हमला करे, तो मिशन सुदर्शन चक्र उसी की भाषा में जवाब भी देगा। मतलब मिशन सुदर्शन चक्र केवल एक ढाल का नहीं बल्कि तलवार का भी काम करेगा। सुदर्शन चक्र मिशन में इस्तेमाल होने वाली सारी टेक्नोलॉजी भारत में ही बनी होगी। दुश्मन के ड्रोन को सेकंडों में खत्म कर देगा
ये सिस्टम सिर्फ एक लेवल पर नहीं, कई लेवल पर खतरे को रोकता है, ऊपर से आने वाली मिसाइल, नीचे उड़ते ड्रोन, या सामने से आने वाले फाइटर जेट, हर चीज़ का जवाब तैयार रहेगा। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित अत्याधुनिक रडार लगे होंगे, जो एक साथ 100 से भी ज़्यादा टारगेट्स को पहचान सकते हैं और ट्रैक कर सकते हैं। मतलब कोई खतरा छिप नहीं सकता। छोटे-छोटे ड्रोन्स जो बड़ी परेशानी बनते हैं, उन्हें ये सिस्टम लेज़र से सेकंडों में नष्ट कर सकता है। इस सिस्टम को कहीं भी ले जाकर तैनात किया जा सकता है, पहाड़, रेगिस्तान, बॉर्डर या शहर- जहां ज़रूरत हो, वहां इसे फिट कर दो।इसराइल और रूस की तकनीक से मुकाबला
सुदर्शन चक्र को भी इसराइल के आयरन डोम या रूस के S-400 की तरह बनाने की कोशिश की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सन् 2035 तक मिशन सुदर्शन चक्र के तहत लगभग देश के सभी बड़े शहरों को दुश्मन की पहुंच वाले इलाकों को सुरक्षा दी जाएगी। आज के समय में हिंद महासागर और हमारे आस-पास के इलाकों में माहौल काफी तनाव भरा है। कई देश अपनी सैन्य ताकत, खासकर नौसेना, को तेज़ी से बढ़ा रहे हैं। ऐसे माहौल में प्रोजेक्ट सुदर्शन चक्र हमारी नौसेना को वो ताकत देगा, जिससे हम दुश्मन की पनडुब्बियों को समंदर की गहराई में ही पकड़कर खत्म कर सकें। वहीं दूसरी तरफ, मिशन सुदर्शन चक्र भारत को आसमान से आने वाले खतरों से बचाएगा। फिर चाहे वो मिसाइल हो, ड्रोन हो या लड़ाकू विमान। DRDO और हमारी सेनाएं मिलकर इसे और भी मजबूत बना रही हैं।
क्वांटम रडार सिस्टम भी मिलेगा
आने वाले समय में इस सिस्टम को नौसेना, वायुसेना और थलसेना यानी तीनों सेनाओं के साथ जोड़ा जाएगा। जिससे इसका असर और भी ज़्यादा होगा। और तो और, इसमें हाइपरसोनिक मिसाइल डिफेंस और क्वांटम रडार जैसी बेहद हाई-टेक तकनीकें भी शामिल की जाएंगी। यानी ये सिस्टम सिर्फ सुरक्षा नहीं करेगा, बल्कि दुश्मन के होश उड़ाने वाला बनने जा रहा है!