विश्वविद्यालयों में एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण के मसले पर उत्तर प्रदेश की राजनीति के अखाड़े के मज़बूत पहलवान सपा और बसपा के आक्रामक होने से सरकार सकते में है। संभवत: सरकार को उम्मीद नहीं थी कि ऊल-जुलूल तरीक़े से 8 लाख रुपये से कम आमदनी वाले सवर्णों को आर्थिक रूप से कमज़ोर मानकर 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के मसले पर खामोश रहे ये दोनों दल विश्वविद्यालयों के आरक्षण पर इतने उग्र हो जाएँगे। वहीं अब एससी, एसटी, ओबीसी को जनसंख्या के मुताबिक़ आरक्षण दिए जाने और मौजूदा आरक्षण के मुताबिक़ हर विश्वविद्यालय एवं विभाग में पद भरे जाने की माँग खुलकर सामने आने से सरकार अपने ही बुने जाल में फँसती नज़र आ रही है।
चालाकियों के फेर में मोदी सरकार के गले की हड्डी बना आरक्षण
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- 13 Feb, 2019

विश्वविद्यालयों में एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण के मसले पर उत्तर प्रदेश की राजनीति के अखाड़े के मज़बूत पहलवान सपा और बसपा के आक्रामक होने से मोदी सरकार सकते में है। इसे शायद ऐसी उम्मीद नहीं थी।
सपा, बसपा के इस मसले पर उग्र होने पर तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भी खुलकर सामने आ गईं। तेजस्वी यादव का राष्ट्रीय जनता दल पहले से ही विश्वविद्यालयों में आरक्षण को लेकर उग्र है, जिसने 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण के ख़िलाफ़ भी विद्रोही रुख अपना रखा है।