अगर किसी की मजबूरी का मज़ाक बनाना हो तो वह बात हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीखे। जिन्होंने बड़ी ही आसानी से 'विकलांग' को 'दिव्यांग' में परिवर्तित करके उनका विकास कर दिया। ऐसा करके वो यही जताना चाहते थे न, कि उन्होंने विकलांगों का विकास कर दिया है?