सरकार ने 20 महीनों में एक्स से 1100 से ज़्यादा यूआरएल हटाने के लिए कहा। इसमें बड़ी संख्या में पीएम मोदी, अमित शाह, मंत्रालयों, जय शाह को लेकर की गई पोस्टें शामिल थीं। जिन पोस्टों पर कार्रवाई की गई उनमें कांग्रेस नेता जयराम रमेश, सुप्रिया श्रीनेत और यूपी आम आदमी पार्टी के हैंडल की पोस्टें भी शामिल थीं। ऐसी कई पोस्टों को हटाने वाले नोटिसों पर एक्स ने आपत्ति भी जताई। एक और चौंकाने वाला तथ्य यह है कि पोस्टों को हटाने के लिए नोटिस सबसे ज़्यादा लोकसभा चुनाव के दौरान भेजे गए। इसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी सरकार ने एक्स को ऐसे नोटिस भेजे।

दरअसल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स को भारत सरकार की ओर से भेजे गए पोस्ट हटाने वाले यानी टेकडाउन नोटिस में आधे से ज्यादा मामलों में 'सार्वजनिक व्यवस्था भंग' करने वाले कंटेंट को निशाना बनाया गया। मार्च 2024 से नवंबर 2025 तक के क़रीब 20 महीनों में गृह मंत्रालय ने एक्स को 91 टेकडाउन नोटिस भेजे, जिनमें 1100 से ज्यादा यूआरएल यानी वेब लिंक्स को कानून के उल्लंघन के लिए चेताया गया।
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आधी पोस्ट 'व्यवस्था भंग' से जुड़ीं

ये नोटिस आईटी एक्ट की धारा 79(3)(बी) के तहत जारी किए गए और इन्हें इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर यानी आई4सी ने अंजाम दिया। ऐसा तब किया गया जब एक्स ने एमएचए के 'सहयोग पोर्टल' पर रजिस्टर करने से इनकार कर दिया है, जो इसी आईटी एक्ट की धारा के तहत टेकडाउन नोटिस जारी करता है। द इंडियन एक्सप्रेस ने इन नोटिसों पर एक रिपोर्ट दी है। यह रिपोर्ट एमएचए की दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल कंपाइलेशन पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार 1100 यूआरएल में से 566 यूआरएल यानी आधे को 'सार्वजनिक व्यवस्था भंग' करने के अपराध के लिए चिह्नित किया गया। इसके बाद 124 यूआरएल को राजनीतिक और सार्वजनिक हस्तियों को निशाना बनाने वाले के रूप में चिह्नित किया गया। एमएचए ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में बताया है कि एक्स ने इन नोटिस में उठाए गए गैर-कानूनी कंटेंट पर आपत्ति जताई है और आई4सी की अथॉरिटी पर सवाल उठाया है।

पिछले साल के नोटिस में क्या?

पिछले साल यानी 2024 में कुल 58 नोटिस जारी किए गए। इनमें से 24 नोटिस सार्वजनिक शांति भंग करने और दुश्मनी फैलाने से जुड़े थे। तीन अन्य नोटिस राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता को ख़तरे में डालने वाले कंटेंट के लिए थे। पूरे 20 महीनों में सिर्फ़ 14 नोटिस सट्टेबाजी ऐप्स को प्रमोट करना, सरकारी हैंडल्स की नकल करके वित्तीय धोखाधड़ी, और बच्चे से जुड़े यौन शोषण सामग्री का प्रसार करने जैसी असली अपराधी गतिविधियों से जुड़े थे।

एक नोटिस में सबसे ज़्यादा 115 यूआरएल को फ्लैग किया गया, जो 13 मई 2024 को जारी हुआ। इसमें एक डॉक्टर्ड वीडियो को 'चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली गलत जानकारी फैलाने' के लिए चेताया गया।

लोकसभा चुनाव के दौरान बढ़े नोटिस

लोकसभा चुनाव यानी अप्रैल-मई 2024 के दौरान टेकडाउन नोटिस में भारी बढ़ोतरी देखी गई। कुल 761 यूआरएल को फ्लैग किया गया। इनमें से नौ नोटिस में 198 यूआरएल को प्रतिनिधित्व ऑफ पीपुल्स एक्ट के उल्लंघन के लिए निशाना बनाया गया। एमएचए ने कहा कि ये कंटेंट चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे थे।

नेताओं को निशाना बनाने वाली पोस्टों पर कार्रवाई

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े नौ नोटिस में 21 यूआरएल को हटाने का आदेश दिया गया, जिसमें उनके और उद्योगपति गौतम अडानी की डिजिटल रूप से बदली गई तस्वीरें शामिल थीं।
  • गृह मंत्री अमित शाह से जुड़े छह नोटिस में 91 यूआरएल को फ्लैग किया गया। 18 दिसंबर 2024 के एक नोटिस में 28 यूआरएल को हटाने को कहा गया, जिसमें कांग्रेस नेता जयराम रमेश और सुप्रिया श्रीनेत की पोस्ट शामिल थीं। एक्स ने इसमें से 26 पर आपत्ति जताई कि वे जालसाजी के कानून का उल्लंघन नहीं करते।
  • अमित शाह के बेटे जय शाह पर फर्जी और एआई-जनरेटेड कंटेंट के लिए दो नोटिस में तीन यूआरएल फ्लैग किए गए।
  • वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री को बदनाम करने के लिए जुलाई 2024 में दो नोटिस जारी हुए, जिसमें 12 यूआरएल को हटाने को कहा गया। एक नोटिस में जीएसटी-इनकम टैक्स सिस्टम पर ग़लत बयान और मंत्री को बदनाम करने की बात कही गई।
  • नवंबर 2024 में एक नोटिस सीबीसी डॉक्यूमेंट्री से जुड़ा था, जो कनाडा में निज्जर हत्या पर था। इसमें एक यूआरएल को पीएम, गृह मंत्री और एमएचए की छवि खराब करने और भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए फ्लैग किया गया।
  • कुल तीन नोटिस में 14 यूआरएल को मानहानि के लिए हटाने को कहा गया, जिसमें पीएम और गृह राज्य मंत्री बांडी संजय कुमार शामिल थे।
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चुनाव को प्रभावित करने वाले कंटेंट

मई 2024 में नौ नोटिस में 198 चुनाव-संबंधी यूआरएल को हटाने की मांग की गई। 13 मई के नोटिस में 115 यूआरएल थे, जिनमें कई विपक्षी पार्टियों से जुड़े थे। 27 मई के एक नोटिस में सात यूआरएल को फ्लैग किया गया, जिसमें आप के उत्तर प्रदेश हैंडल की पोस्ट शामिल थी। एक्स ने इस पर आपत्ति जताई और आई4सी से दोबारा जांच की मांग की।

अपराधी गतिविधियाँ

  • अप्रैल 2025 में तीन नोटिस में 37 यूआरएल को सट्टेबाजी प्रमोट करने के लिए फ्लैग किया गया, जिसमें महादेव ऐप से जुड़े लिंक शामिल थे।
  • दिसंबर 17, 2024 का एक नोटिस सीएसएएम कंटेंट के लिए था, जिसमें 16 अकाउंट्स को चिह्नित किया गया।
  • दस नोटिस में 40 यूआरएल को वित्तीय धोखाधड़ी के लिए फ्लैग किया गया, जैसे सरकारी हैंडल्स की नकल। एक नोटिस में पीएम को निशाना बनाने वाला फर्जी पोस्ट था, जो भारत में वित्तीय घोटालों की गलत जानकारी फैला रहा था।
  • अन्य मामलों में 'पीएमओ वाराणसी' जैसे फर्जी अकाउंट और सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) से जुड़े अकाउंट को फ्लैग किया गया, जो पूर्व रॉ चीफ समंत गोयल की नकल करके खालिस्तानी प्रोपगैंडा फैला रहा था।
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ऑपरेशन सिंदूर से जुड़े नोटिस

  • ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी ऐसे मामले बढ़े देखे गए। पांच नोटिस में 56 यूआरएल को भारत की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा को खतरा बताकर हटाने को कहा गया।
  • 28 अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले के बाद एक नोटिस में यूएपीए की धारा 13 का उल्लंघन बताया गया, जो राष्ट्र को धमकी देने वाले संदेश फैला रहा था।
  • मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के बाद दो नोटिस में तीन यूआरएल को भारतीय सेना की आलोचना करने के लिए फ्लैग किया गया। एक में यूएपीए और आईटी एक्ट की धारा 66एफ का उल्लंघन बताया गया, जो भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर गलत जानकारी फैला रहा था।
  • अप्रैल और मई 2025 में कुल 14 नोटिस जारी हुए, जिसमें 78 लिंक्स को हटाने कहा गया।

एक्स ने किया विरोध

एक्स ने सहयोग पोर्टल की वैधता पर कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी है। कंपनी का कहना है कि टेकडाउन ऑर्डर आईटी एक्ट की धारा 69ए के तहत जारी होने चाहिए, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था से जुड़े मामलों तक सीमित है। धारा 79(3)(बी) के तहत जारी ऑर्डर बिना न्यायिक प्रक्रिया के कंटेंट हटाने की अनुमति देते हैं, जो सोशल मीडिया कंपनियों को सेफ हार्बर देता है।

सरकार का कहना है कि ये नोटिस देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज़रूरी हैं।