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बालाकोट हमले को भुना रहे हैं मोदी, पूर्व रॉ प्रमुख बोले

भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी रिसर्च एंड एनलिसिस विंग यानी रॉ के पूर्व महानिदेशक ए.एस. दुल्लत ने सीधे-सीधे नाम तो नहीं लिया, लेकिन इशारों-इशारों में  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि उन्होंने पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कार्रवाई लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख कर की और उसका भरपूर दोहन कर रहे हैं।
अंग्रेज़ी पत्रिका ‘द कैरेवन’ को दिए इंटरव्यू में दुल्लत ने कहा, ‘मनमोहन सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी के समय भी बहुत सी चुनौतियाँ आईं, उन लोगों ने चुपचाप बहुत कुछ किया। लेकिन, मोदी तो ढिंढोरा पीट-पीट कर उसे अति की हद तक जा कर दूहने में लगे हैं।’

दुल्लत का इशारा उरी हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट में आतंकवादी शिविरों पर हवाई हमले और उसके बाद की घटनाओं की ओर था।

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'भाग्यशाली रहे मोदी'

दुल्लत ने कहा कि हर प्रधानमंत्री को कभी न कभी इस तरह की  परीक्षा की घड़ियों से गुज़रना होता है। मनमोहन सिंह को 26/11 के मुंबई हमले जैसी कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा था। मोदी तो इस मामले में काफ़ी भाग्यशाली रहे कि उन्हें सिर्फ़ पुलवामा जैसी घटना का ही सामना करना पड़ा।

Modi milking Balakote attack before polls, say ex-RAW chief AS Dullat - Satya Hindi
दुल्लत ने वाजपेयी सरकार के ज़माने में रॉ और कश्मीर मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह 1999 से 2000 तक रॉ के प्रमुख रहे और उसके बाद अगले चार सालों तक यानी 2004 तक वह प्रधानमंत्री कार्यालय में कश्मीर मामलों के सलाहकार थे।
पूर्व रॉ प्रमुख ए.एस.दुल्लत ने वाजपेयी की तारीफ़ करते हुए कहा कि वाजपेयी और मोदी की तो तुलना ही नहीं की जा सकती है। वाजपेयी बहुत बड़ी शख़्सीयत थे। यूँ ही नहीं लोग आज भी उनकी इज़्ज़त करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘आप ख़ुद देखिए, घाटी की क्या स्थिति हो गई है। कश्मीर समस्या का कोई सैनिक हल नहीं है। मोदी जब प्रधानमंत्री बने थे, घाटी के लोगों की उम्मीदें बँधी थीं। पर जुलाई 2016 के बाद से हमने कश्मीर में सब गड़बड़ कर दिया है।’

वाजपेयी को प्रधानमंत्री रहते हुए चार बार परीक्षा का सामना करना पड़ा था। उनके समय ही करगिल संकट हो गया, एअर इंडिया के विमान का अपहरण कर लिया गया और 2001 में संसद पर हमला हो गया। इसके बावजूद वाजपेयी उकसावे में आने से बचते रहे।


ए. एस. दुल्लत, पूर्व प्रमुख, रॉ

उन्होंने अप्रैल 2003 में कहा था, ‘मैंने दो बार दोस्ती का हाथ पाकिस्तान की ओर बढ़ाया, लेकिन मुझे निराशा हाथ लगी। लेकिन मैं हार नहीं मानूँगा।’ वह 2004 में पाकिस्तान में हुए सार्क सम्मेलन में भाग लेने गए, जहाँ परवेज़ मुशर्रफ़ ने उन्हें आश्वस्त किया कि वह अपने देश की ज़मीन का इस्तेमाल भारत के ख़िलाफ़ आतंकवाद के लिए नहीं होने देंगे।

Modi milking Balakote attack before polls, say ex-RAW chief AS Dullat - Satya Hindi
पुलवामा हमले की चर्चा करते हुए दुल्लत ने कहा कि यह बहुत ही भयानक त्रासदी थी। इस पर सरकार का फ़ौरी रुख था, ‘तुमने हमारे साथ ऐसा किया तो हम भी दिखा देते हैं कि हम क्या कर सकते हैं।’ इसलिए यह साफ़ था कि हमारी तरफ से कुछ तो होने वाला है और वह पहले वाली सर्जिकल स्ट्राइक से शायद बड़ा ही होना चाहिए। पाकिस्तान पर भारत के हवाई हमले की यही पृष्ठभूमि थी।
पुलवामा हमले के बाद यह स्वाभाविक ही था कि भारत ऐसा कुछ करेगा, लेकिन यह भी बिल्कुल स्वाभाविक था कि पाकिस्तान इसका जवाब देगा और पाकिस्तान ने इसका जवाब तुरन्त, हमले के एक दिन बाद ही दे दिया।
दुल्लत ने पुलवामा हमले और उसके बाद के घटनाक्रम पर अपनी स्थिति साफ़ करते हुए कहा, ‘मैं यह कहने वाला कोई नहीं होता हूँ कि भारत ने जो कुछ किया, वह सही है या ग़लत। लेकिन बालाकोट हमले पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया दिलचस्प है, ख़ास कर उनका यह कहना कि वह आतंकवाद समेत तमाम मुद्दों पर भारत से बात करने को तैयार हैं। वह शायद यह संकेत देना चाहते हैं कि हवाई हमलों के बाद उन्हें जो कुछ करना था, उन्होंने कर लिया।’ दुल्लत ने कहा कि इमरान का संकेत था, ‘हम यह नहीं करना चाहते थे, पर आपने हमें उकसाया तो हम ऐसा करने को मजबूर हुए।’ अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी दोनों देशों से तनाव कम करने को कहा। नतीजा यह हुआ कि इमरान का कद बढ़, पाकिस्तान में और अंतरराष्ट्रीय जगत में भी।

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क़मर वहीद नक़वी
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