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मोहन भागवत, इंद्रेश को क्यों मरवाना चाहते थे प्रज्ञा के साथी?

संघ अपने नेताओं की हत्या करने की साज़िश रचने वाले संगठन की सदस्या प्रज्ञा की उम्मीदवारी का समर्थन क्यों कर रहा है? क्या इसलिए कि संघ के लिए व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं है, लक्ष्य महत्वपूर्ण है और प्रज्ञा की उम्मीदवारी आज की तारीख़ में उसके वृहद हिंदू एकता के दीर्घकालीन लक्ष्य को आगे बढ़ा रही है? संभव है।
नीरेंद्र नागर

मालेगाँव बम कांड की मुख्य अभियुक्त प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल से खड़ा करने का फ़ैसला किसका है? यदि बीजेपी का है, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि किसी भी मुश्किल चुनाव में हिंदुत्व ही उसका अंतिम ब्रह्मास्त्र होता है और प्रज्ञा को दिग्विजय सिंह के ख़िलाफ़ उतारकर वह यही करने की कोशिश कर रही है। लेकिन यदि यह फ़ैसला आरएसएस का है या उसकी इस फ़ैसले में सहमति है, जैसी कि मीडिया में ख़बरें आ रही हैं तो यह बहुत चौंकाने वाली बात है। चौंकाने वाली इसलिए कि ऐसा करके संघ उन लोगों को समर्थन दे रहा है जिन्होंने कभी उसके सरसंघचालक मोहन भागवत और बड़े नेता इंद्रेश कुमार की हत्या की साज़िश रची थी।

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विश्वास नहीं हो रहा न? होगा भी कैसे कि हिंदुत्व के हित में काम कर रहा कोई व्यक्ति या संगठन देश के सबसे बड़े हिंदुत्ववादी चेहरों को ही ख़त्म करना चाहेगा। लेकिन कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित द्वारा बनाए गए संगठन अभिनव भारत के सदस्यों की बातचीत की विडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग से यही पता चलता है कि वे लोग अपनी मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए किस हद तक जाने को तैयार थे।2007 और 2008 में अभिनव भारत की अलग-अलग जगहों पर कई बैठकें हुईं। इन बैठकों की वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग इसके एक सदस्य सुधाकर द्विवेदी उर्फ़ अमृतानंद देव तीर्थ के लैपटॉप से मिली हैं। आइए, ऐसी ही एक बातचीत का ब्यौरा पढ़ते हैं।

इस बातचीत में भारत के नए वैदिक संविधान और केसरिया झंडे और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के तौर-तरीक़ों को लेकर बात होती है। बातचीत के दौरान कुछ लोग जिनमें ले. कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित और पूर्व सैनिक अधिकारी मेजर रमेश उपाध्याय भी शामिल थे, यह स्वीकार करते हैं कि अतीत में हुए कुछ धमाके जिनके लिए आईएसआई को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है, वास्तव में उनके संगठन ने किए थे। बातचीत के दौरान पुरोहित यहाँ तक कहते हैं कि हिंदू राष्ट्र की स्थापना के मार्ग में जो भी बाधा डालेगा, उसका न केवल राजनीतिक बहिष्कार किया जाएगा बल्कि उसको जान से भी हाथ धोना पड़ेगा।

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इसी सिलसिले में संघ के बड़े नेता इंद्रेश कुमार और मोहन भागवत को ख़त्म करने की योजना भी बनती है। पुणे के आरएसएस नेता श्याम आप्टे और ख़ुद को शंकराचार्य बताने वाले दयानंद पांडे उनकी हत्या के दो अलग-अलग उपाय डिस्कस करते हैं। इसमें से एक तरीक़ा था किसी केमिकल के इस्तेमाल का जिसका उनके अनुसार ‘पोस्टमॉर्टम में भी नहीं पता चलना था’। दूसरा था आज़मगढ़ के किसी यादव नाम के हत्यारे की सेवाएँ लेने का। आइए, नीचे पूरी बातचीत पढ़ते हैं।

श्याम आप्टे - मोहन भागवत जिस तरह का संगठन बनाना चाहते हैं, वह नहीं हो पा रहा है। लोगों को जोड़ने और ट्रेनिंग देने से कोई संगठन नहीं बन जाता। मैंने कर्नल पुरोहित से कहा कि आर्मी के लोगों को उनकी हरक़तों का पता नहीं चलना चाहिए। उनको पहले ही एक मेमो मिल चुका है। आप उनको सावधान कर दें कि उनका कोर्ट मार्शल नहीं होना चाहिए। अगर ज़रूरत हुई तो हम अभिनव भारत को बड़े पैमाने पर खड़ा करेंगे।

दयानंद पांडे - अब आप सुनो कि योजना क्या है। मैंने एक आदमी को केमिकल लेकर आने के लिए कहा है। वो मेरे पास आएगा। मैं उसी आदमी से काम कराऊँगा। वो 8 तारीख़ तक पहुँच जाएगा।

श्याम आप्टे - मुझे शक है। 18 को मोहन भागवत दिल्ली पहुँचेंगे। वे दो होंगे और हम दो होंगे। इंद्रेश ने उनको बताया होगा, मैं यशवंत से मिलूँगा। सो, वे हमसे विचार-विमर्श करने के लिए प्रतीक्षा कर रहे होंगे। यदि वे आते हैं तो समझो अपना काम पूरा हो गया। मुझे कोई चिंता नहीं है। मैं इसीलिए यह सब कर रहा हूँ कि वे (इंद्रेश और भागवत) हमारे शत्रु हैं।

दयानंद पांडे - मेरे पास एक और उपाय है। वाराणसी में एक बंदा है, पेशेवर है, जो हमारे लिए काम कर सकता है। उसने कहा है कि वह यह काम कर देगा। वह मारने से पहले आधा पैसा लेगा और आधा पैसा बाद में। मैंने पहले भी उससे काम करवाया है।

श्याम आप्टे - आपने 5 लाख दिए, तो वे हैं या नहीं?

दयानंद पांडे - मैंने इसीलिए कहा वो केमिकल के बारे में। पोस्टमॉर्टम में भी वो चीज़ नहीं आएगी और मेरे लिए तो उसमें कोई रिस्क नहीं है। मैंने उससे कहा है कि चाहे जितना समय लगे, हमें काम से मतलब है। मेरे ख़्याल से दो महीनों में यह काम हो जाना चाहिए।
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श्याम आप्टे - नागपुर, झंडेवालान और पुणे मेरे इलाक़े हैं… मोहन भागवत ने मुझसे पुणे में बात की और मुझे समझा रहे थे कि इंद्रेश अच्छे परिवार के हैं। मैंने मुरली मनोहर जोशी से भी बात की और कहा कि वे भागवतजी से बात करें।

दयानंद पांडे - जब वे पुणे में थे, तभी हम यह काम कर सकते थे। मैं आज़मगढ़ के एक आदमी को जानता हूँ जिसका नाम यादव है जो यह काम कर सकता था।

आख़िर प्रज्ञा, पुरोहित और उनके साथी भागवत और इंद्रेश को क्यों मारना चाहते थे? क्या इसलिए कि वे उनके काम में मदद नहीं कर रहे थे या इसलिए कि उन्हें विश्वास था कि इन हत्याओं के लिए संदेह मुसलिम संगठनों पर ही जाएगा और हत्याओं से देश में मुसलमानों के प्रति विद्वेष और प्रतिशोध की जो भावना पैदा होगी, उससे उनकी संस्था को नए सदस्य, समर्थन और पैसा मिलेगा। कहना मुश्किल है। हो सकता है, वे एक ही तीर से दोनों निशाने साध रहे हों।
ऐसा नहीं है कि आरएसएस को इन टेपों की जानकारी नहीं है। मामले की जाँच कर रहे अधिकारियों ने ख़ुद भागवत और इंद्रेश को इन साज़िशों की जानकारी दे दी थी।
ऐसे में संघ अपने नेताओं की हत्या करने की साज़िश रचने वाले संगठन की सदस्या प्रज्ञा की उम्मीदवारी का समर्थन क्यों कर रहा है? क्या इसलिए कि संघ के लिए व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं है, लक्ष्य महत्वपूर्ण है और प्रज्ञा की उम्मीदवारी आज की तारीख़ में उसके वृहद हिंदू एकता के दीर्घकालीन लक्ष्य को आगे बढ़ा रही है? संभव है।
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