प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लचित बरफुकन की 400वीं जयंती समारोह को संबोधित करते हुए इतिहास लेखन पर सवाल उठाया। एक दिन पहले ही गृहमंत्री अमित शाह ने 'तोड़-मरोड़' कर पेश किए गए इतिहास पर सवाल उठाते हुए कहा था कि हमें फिर से इतिहास लिखने से कौन रोक सकता है। प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि वीरता, विजय और बलिदान से समृद्ध भारत का इतिहास होते हुए भी आजादी के बाद जो पढ़ाया जाता है, वह औपनिवेशिक युग में एक साजिश के रूप में लिखा गया इतिहास है। प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारत का इतिहास गुलामी का नहीं है, लेकिन 1947 के बाद से हमें गुलामी का ही इतिहास पढ़ाया गया।'
आजादी के बाद भी गुलामी का इतिहास पढ़ाया गया: पीएम मोदी
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- 25 Nov, 2022
बीजेपी और आरएसएस की शिकायत रही है कि अब तक इतिहासकारों ने देश के इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया है। तो बीजेपी सरकार क्या पूरा इतिहास बदल देगी? जानिए प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह ने क्या कहा है।

उन्होंने कहा कि देश के कोने-कोने में वीर बेटे-बेटियों ने अत्याचारियों से लोहा लिया। पीएम ने कहा, हालाँकि इतिहास के इस हिस्से को जानबूझकर दबा दिया गया था। उन्होंने कहा, 'क्या लचित बरफुकन की वीरता महत्वपूर्ण नहीं है? क्या मुगलों के खिलाफ असम में हजारों लोगों का बलिदान महत्वपूर्ण नहीं है?'