संविधान की प्रस्तावना कक्षा 3 की किसी भी नई पाठ्यपुस्तक में नहीं छापी गई है।
सेंट स्टीफंस कॉलेज की पूर्व फैकल्टी सदस्य नंदिता नारायण ने द टेलीग्राफ से कहा कि प्रस्तावना संविधान का एक लघु रूप है और राष्ट्रगान, राष्ट्रीय गीत या मौलिक अधिकार और कर्तव्य इसकी जगह नहीं ले सकते। मुझे नहीं लगता कि यह कोई संयोग है। मुझे लगता है कि भाजपा सरकार संविधान की प्रस्तावना से डरती है, जिसमें आजादी, समानता और बंधुत्व जैसे संविधान के मूल मूल्य शामिल हैं। इस सरकार ने संविधान के मूल मूल्यों के खिलाफ काम किया है। इसलिए इसने कई पुस्तकों से प्रस्तावना को हटा दिया है।”