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फाइल फोटो

आप बनी राष्ट्रीय पार्टी; तृणमूल, एनसीपी, सीपीआई का दर्जा छीना

चुनाव आयोग ने सोमवार को राजनीतिक दलों को मिलने वाले दर्जे में बदलाव को मंजूरी दी है। इसमें सबसे तगड़ा झटका ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआई को लगा है। इन दलों का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया गया है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को जबर्दस्त फायदा हुआ है और उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है। आम आदमी पार्टी बहुत कम समय में इतनी तेज़ी से तरक्की करने वाली पार्टी है।

2012 में अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से उभरी अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी या आप फिलहाल दो राज्यों- दिल्ली और पंजाब में सत्ता में है। पिछले हफ्ते आप सांसद संजय सिंह ने कहा था कि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने से कर्नाटक में आगामी राज्य चुनावों में पार्टी को बढ़ावा मिलेगा। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी यही ट्वीट कर इसी बात पर जोर दिया है।

इसके साथ ही अब शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और भाकपा को भी क्षेत्रीय दल का दर्जा दिया गया है।

एक बयान में चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि वह 'उचित प्रक्रिया का पालन करने और दो संसदीय चुनावों व 21 राज्य विधानसभा चुनावों के पर्याप्त अवसर प्रदान करने' के बाद तीन मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दलों- एआईटीसी, सीपीआई और एनसीपी का दर्जा वापस ले रहा है। इसके साथ ही इसने नगालैंड में एनसीपी और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास); मेघालय में एआईटीसी और वॉयस ऑफ़ द पीपल पार्टी; त्रिपुरा में टिपरा मोथा को राज्य में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल का दर्जा दिया गया

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छह राज्यीय राजनीतिक दलों की स्थिति- पीडीए मणिपुर, पीएमके पुडुचेरी, आरएलडी उत्तर प्रदेश, बीआरएस आंध्र प्रदेश, आरएसपी पश्चिम बंगाल और एमपीसी मिजोरम- वापस ले ली गई और वे आरयूपीपी के रूप में बने रहे। 

पिछले हफ्ते कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ईसीआई को 13 अप्रैल तक आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय पार्टी की स्टेटस के बारे में उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया था।

जिन तीन दलों का इस बार राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीना है उन्हें चुनाव आयोग ने जुलाई 2019 में कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उस नोटिस में उन तीनों दलों से पूछा गया था कि उस वर्ष लोकसभा चुनावों में उनके प्रदर्शन के बाद उनकी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा क्यों नहीं रद्द कर दिया जाना चाहिए।

चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के पैरा 6बी के तहत एक पार्टी राष्ट्रीय पार्टी के रूप में तब मानी जाती है जब

यदि वह चार या अधिक राज्यों में एक मान्यता प्राप्त राज्यीय पार्टी है; यदि उसके उम्मीदवारों को पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार या अधिक राज्यों में कम से कम 6% वैध वोट मिले; और उसके पास पिछले चुनाव में कम से कम चार सांसद चुने गए हों या यदि वह तीन राज्यों में कुल लोकसभा सीटों का कम से कम 2% सीट जीतता हो।

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क़मर वहीद नक़वी
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