New Labour Laws: विपक्ष और ट्रेड यूनियनों के विरोध के बावजूद देश में चार नए श्रम कानूनों (2025) को लागू कर दिया गया है। इससे कंपनियों को मनचाही छंटनी का अधिकार मिल गया है। लेकिन ग्रेच्युटी अब एक साल की नौकरी के बाद देना होगा। जानिए तमाम पहलुओं कोः
देश में नए श्रमिक कानून लागू हो गए हैं। विपक्ष और ट्रेड यूनियनों ने इसका विरोध किया था।
भारत सरकार ने चार श्रम संहिताओं (Labour Codes) को लागू कर दिया है। सरकार का कहना है कि ये व्यापक सुधार पुराने और खंडित श्रम कानूनों का आधुनिकीकरण करेंगे, जिससे लाखों श्रमिकों को सशक्त सुरक्षा मिलेगी। हालांकि इन्हें विपक्षी दलों और ट्रेड यूनियनों के भारी विरोध के बावजूद लागू किया गया है। नए कानूनों ने कंपनियों को छंटनी का व्यापक अधिकार दे दिया है। मनमानी हड़ताल पर रोक है। लेकिन कंपनियों को ग्रेच्युटी अब 1 साल के बाद ही देना होगी, अभी तक पांच साल के बाद ही ग्रेच्युटी मिलती थी।
इन चार संहिताओं ने वेतन, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा से संबंधित 29 पुराने कानूनों की जगह ली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बदलाव को 'सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, न्यूनतम और समय पर मजदूरी भुगतान, सुरक्षित कार्यस्थल और लाभकारी अवसरों' के लिए एक मजबूत आधार बताया है।
कारोबार और श्रमिकों पर प्रमुख प्रभाव
नए नियमों के तहत कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं:
- छंटनी की सीमा में वृद्धि: कारखानों के लिए छंटनी के लिए सरकारी मंजूरी की आवश्यकता की सीमा को 100 श्रमिकों से बढ़ाकर 300 श्रमिकों तक कर दिया गया है, जिससे व्यवसायों को परिचालन में अधिक लचीलापन मिलेगा।
- काम के घंटों में विस्तार: कंपनियों को काम के घंटों को बढ़ाने की अधिक छूट मिलेगी। अभी तक अधिकतम 9 घंटे का नियम है। लेकिन अब काम के घंटे बढ़ जाएंगे। हालांकि हर कंपनी इसे अपने नियमों के मुताबिक लागू करेगी।
- महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट: अब महिलाओं को कानूनी रूप से रात की पाली (नाइट शिफ्ट) में काम करने की अनुमति होगी।
- गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स की पहचान: पहली बार, इन संहिताओं में गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को कानूनी पहचान दी गई है और उन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया गया है। अनुमान है कि 2030 तक यह क्षेत्र 23.5 मिलियन से अधिक श्रमिकों तक पहुँच जाएगा।
ट्रेड यूनियनों का कड़ा विरोध
व्यापक सुधारों के बावजूद, ट्रेड यूनियनें इन कानूनों का कड़ा विरोध कर रही हैं। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की अमरजीत कौर ने कहा है कि इन श्रम संहिताओं को मजबूत विरोध के बावजूद लागू किया गया है और ये श्रमिकों के अधिकारों को "छीन" लेंगे। जिसमें निश्चित अवधि के रोजगार (fixed-term jobs) और पहले के श्रम कानूनों के तहत उपलब्ध अधिकार शामिल हैं। यूनियनों का आरोप है कि यह कदम श्रमिक-विरोधी है और पूंजीपतियों के पक्ष में है।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इन बदलावों से छोटी, असंगठित फर्मों पर दबाव पड़ सकता है। लेकिन लंबी अवधि में न्यूनतम मजदूरी और बढ़ी हुई सामाजिक सुरक्षा के कारण ये कार्य परिस्थितियों और घरेलू उपभोग दोनों के लिए पॉजिटिव हो सकते हैं।
इन चार संहिताओं ने भारत के श्रम कानूनों के पूरे ढांचे को बदल दिया है:
- वेतन संहिता, 2019 (The Code on Wages, 2019)
- औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 (The Industrial Relations Code, 2020)
- सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 (The Code on Social Security, 2020)
- व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020 (The Occupational Safety, Health and Working Conditions Code, 2020)
नए श्रम कानूनों की 4 खास बातें
1. सामाजिक सुरक्षा का विस्तार (Expansion of Social Security)
गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिक: पहली बार, 'गिग वर्कर्स' (जैसे डिलीवरी एजेंट) और 'प्लेटफॉर्म वर्कर्स' को कानूनी पहचान दी गई है। उन्हें सामाजिक सुरक्षा लाभ (जैसे PF, बीमा) प्रदान करने के लिए प्लेटफॉर्म कंपनियों (एग्रीगेटर्स) को अपने वार्षिक टर्नओवर का 1 से 2% तक योगदान देना अनिवार्य होगा।
यूनिवर्सल कवरेज: भविष्य निधि (PF), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) और बीमा जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभों का दायरा सभी क्षेत्रों के श्रमिकों (जिसमें MSME भी शामिल हैं) तक बढ़ाया गया है।
पोर्टेबिलिटी: आधार से जुड़ा एक यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) जारी किया जाएगा, जिससे प्रवासी श्रमिकों (Migrant Workers) को राज्य बदलने पर भी सामाजिक सुरक्षा लाभ बिना किसी रुकावट के मिल सकेंगे।
2. वेतन और ग्रेच्युटी नियम (Wages and Gratuity Rules)न्यूनतम वेतन: देश भर के सभी श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन की गारंटी दी गई है। केंद्र सरकार एक 'राष्ट्रीय फ्लोर वेज' तय करेगी, जिससे कोई भी राज्य इससे कम न्यूनतम मजदूरी तय नहीं कर सकता।
ग्रेच्युटी की पात्रता: फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों (Fixed-Term Employees) के लिए ग्रेच्युटी की पात्रता सीमा 5 साल से घटाकर सिर्फ 1 साल कर दी गई है।
वेतन की परिभाषा: अब वेतन की परिभाषा को स्पष्ट किया गया है। PF और ग्रेच्युटी की गणना के लिए, कुल पारिश्रमिक का न्यूनतम 50% हिस्सा मूल वेतन (Basic Pay), महंगाई भत्ता (DA) आदि होना अनिवार्य है, जिससे कर्मचारियों का बचत आधार बढ़ेगा।
समय पर वेतन: कर्मचारियों को वेतन का भुगतान समय पर करना कानूनी रूप से अनिवार्य होगा।
3. काम के घंटे और ओवरटाइम (Working Hours and Overtime)ओवरटाइम का भुगतान: तय काम के घंटों से अधिक काम करने पर, श्रमिकों को सामान्य वेतन दर से दोगुना (Double) भुगतान करना होगा।
कार्य सप्ताह: एक दिन में 8 से 12 घंटे तक काम करने की अनुमति है, लेकिन एक सप्ताह में कुल कार्य घंटों की सीमा 48 घंटे ही रहेगी।
स्वास्थ्य जांच: 40 वर्ष से अधिक उम्र के श्रमिकों के लिए कुछ खतरनाक उद्योगों में वार्षिक निःशुल्क स्वास्थ्य जांच (Annual Free Health Check-ups) अनिवार्य की गई है।
4. लैंगिक समानता और व्यापारिक लचीलापन (Gender Equality and Business Flexibility)महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट: सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम और सहमति के साथ महिलाओं को अब नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति मिल गई है, जिसमें पहले कई क्षेत्रों में रोक थी।
समान काम के लिए समान वेतन: कार्यस्थल पर लैंगिक भेदभाव को कानूनी रूप से प्रतिबंधित किया गया है, और समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित किया गया है।
छंटनी की सीमा: छंटनी (Layoffs) या प्रतिष्ठान बंद करने के लिए सरकारी मंजूरी की सीमा 100 कर्मचारियों से बढ़ाकर 300 कर्मचारी कर दी गई है, जिससे उद्योगों को परिचालन में अधिक लचीलापन मिलेगा।
सरल अनुपालन: अब उद्योगों के लिए कई रजिस्ट्रेशन और रिटर्न भरने की जगह, एक सिंगल रजिस्ट्रेशन, सिंगल लाइसेंस, और सिंगल रिटर्न मॉडल लागू किया गया है, जिससे कंपनियों का अनुपालन बोझ कम होगा।