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एफसीआरए लाइसेंस के मामले में 6 हजार एनजीओ को नहीं मिली राहत

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 6000 से अधिक एनजीओ को राहत देने से इंकार कर दिया। इन एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस को रिन्यू करने से केंद्र सरकार ने इनकार कर दिया था और इसी को अदालत में चुनौती दी गई थी। इस मामले में अमेरिका की एनजीओ ग्लोबल पीस इनीशिएटिव ने अदालत में याचिका दायर की थी और कहा था कि एफसीआरए लाइसेंस को रद्द करने से कोरोना महामारी के दौरान चलाए जा रहे राहत कार्यक्रमों पर खराब असर पड़ेगा। 

इस संस्था ने कहा था कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर के दौरान कई एनजीओ बेसहारा और गरीब भारतीयों की सेवा कर रहे हैं।

जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने केंद्र सरकार के उस तर्क पर गौर किया जिसमें सरकार की ओर से कहा गया था कि 11,594 ऐसे एनजीओ जिन्होंने डेडलाइन खत्म होने से पहले लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए आवेदन दिया था उन्हें पहले ही विस्तार दिया जा चुका है। 

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इस पर अदालत ने कहा कि एनजीओ अपना पक्ष सक्षम प्राधिकरण के सामने रख सकते हैं। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस याचिका पर सवाल उठाया और कहा कि हजारों एनजीओ जिन्होंने लाइसेंस रिन्यू करने के लिए आवेदन दिया था उनका मामला हल हो चुका है लेकिन जिस एनजीओ ने यह याचिका दायर की है, समझ पाना मुश्किल है इसके पीछे उसका क्या उद्देश्य है। 
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बता दें कि इस साल की शुरुआत में 6000 से ज्यादा एनजीओ ऐसे थे जिनका एफसीआरए लाइसेंस खत्म हो गया था। इनमें से अधिकतर एनजीओ की ओर से लाइसेंस को रिन्यू करने के लिए आवेदन नहीं किया गया था। 

एफसीआरए लाइसेंस के जरिए ही विदेशों से चंदा हासिल किया जा सकता है। बीते साल दिसंबर में गृह मंत्रालय ने मदर टेरेसा मिशन ऑफ चैरिटी का एफसीआरए लाइसेंस रिन्यू करने से इंकार कर दिया था लेकिन कुछ दिनों बाद इसे बहाल कर दिया गया था। 

भारत में अभी 16819 एनजीओ ऐसे हैं जिनके पास एफसीआरए लाइसेंस है।

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क़मर वहीद नक़वी
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