सरकार का कहना है कि प्रस्ताव का उद्देश्य चुनावों की अवधि को कम करके भारत की चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है, जो वर्तमान में शासन के विभिन्न स्तरों पर कई वर्षों से रुका हुआ है। इसे लागत-बचत उपाय के रूप में भी देखा जाता है, जिसमें बार-बार होने वाले चुनावों के वित्तीय और प्रशासनिक बोझ को काफी कम करने की क्षमता है।