पाकिस्तान की आतंकवाद नीति के ख़िलाफ़ वैश्विक जनमत जुटाने निकली भारतीय सांसदों की टीम को कोलंबिया में तब असहज स्थिति का सामना करना पड़ा जब कोलंबिया ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में मौतों का ज़िक्र कर दिया। उसने ऑपरेशन के दौरान हुई जनहानि पर शोक व्यक्त किया और इसे भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का हिस्सा माना। कोलंबिया का यह बयान भारत के लिए अप्रत्याशित था, क्योंकि यह एक तटस्थ देश की प्रतिक्रिया थी। तो क्या यह सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के लिए झटका था?

इस सवाल का जवाब थरूर की प्रतिक्रिया में भी मिल सकता है। शशि थरूर ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर पर कोलंबिया सरकार के रुख को लेकर अपनी निराशा व्यक्त की है। थरूर ने कोलंबिया के उस बयान पर आपत्ति जताई, जिसमें उसने ऑपरेशन के दौरान हुई जनहानि पर शोक व्यक्त किया। 

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थरूर सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ कोलंबिया में हैं। यह भारत सरकार के वैश्विक आउटरीच कार्यक्रम का हिस्सा है ताकि आतंकवाद के ख़िलाफ़ भारत के दृढ़ संकल्प को व्यक्त किया जा सके। थरूर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को पनामा और गुयाना की यात्रा के बाद कोलंबिया पहुँचा। यह समूह उन सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक है, जिन्हें भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक पहुँचने के लिए 33 वैश्विक राजधानियों में भेजा है। 

थरूर ने कहा,

हम कोलंबिया सरकार की प्रतिक्रिया से थोड़ा निराश थे, जिसने भारतीय हमलों के बाद पाकिस्तान में हुई जनहानि पर गहरी संवेदना व्यक्त की, न कि आतंकवाद के पीड़ितों के प्रति सहानुभूति दिखाई।
शशि थरूर
अध्यक्ष, सांसद प्रतिनिधिमंडल

सांसद ने दोहराया कि नई दिल्ली के पास ठोस सबूत हैं कि 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के पीछे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद था। उन्होंने कहा, 'हम केवल आत्मरक्षा के अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। हम कोलंबिया के साथ परिस्थितियों के बारे में विस्तार से बात करने को तैयार हैं। जिस तरह कोलंबिया ने कई आतंकी हमलों का सामना किया है, वैसे ही भारत में भी हमने लगभग चार दशकों तक कई हमलों का सामना किया है।'

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भारत ने अपनी आत्मरक्षा के अधिकार के तहत ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। इसका उद्देश्य सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियों को रोकना था। इस ऑपरेशन को लेकर भारत का दावा है कि यह आतंकवाद के ख़िलाफ़ एक लक्षित कार्रवाई थी, जो अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के अनुरूप थी। हालाँकि, कोलंबिया ने अपने आधिकारिक बयान में इस ऑपरेशन के दौरान हुई जनहानि पर शोक व्यक्त किया और इसे भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का हिस्सा बताया। कोलंबिया का यह बयान भारत के लिए अप्रत्याशित था, क्योंकि यह एक तटस्थ देश की ओर से एक ऐसी स्थिति को दिखाता है, जो भारत के दृष्टिकोण से आतंकवाद के खिलाफ उसकी कार्रवाई को कमजोर करता है।

शशि थरूर ने कोलंबिया के इस रुख को निराशाजनक बताते हुए कहा कि आतंकवादियों को भेजने वालों और आतंकवाद का जवाब देने वालों के बीच कोई समानता नहीं हो सकती। थरूर का यह बयान भारत के उस रुख को दिखाता है, जिसमें वह आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपनी कार्रवाइयों को आत्मरक्षा का हिस्सा मानता है।

थरूर ने यह भी तर्क दिया कि कोलंबिया जैसे देशों को भारत की स्थिति को बेहतर ढंग से समझना चाहिए, खासकर तब जब आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है।

थरूर की टिप्पणी को राजनयिक दृष्टिकोण से देखें तो यह भारत की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के ख़िलाफ़ अपनी कार्रवाइयों के लिए समर्थन मांगता है। कोलंबिया का बयान अप्रत्यक्ष रूप से भारत और पाकिस्तान को एक ही तराजू में तौलता दिखता है, भारत के लिए एक कूटनीतिक चुनौती है। यह बयान उन देशों के लिए एक मिसाल बन सकता है, जो क्षेत्रीय संदर्भों को पूरी तरह समझे बिना तटस्थता का रुख अपनाते हैं। थरूर की प्रतिक्रिया को इस संदर्भ में देखा जा सकता है कि भारत अपनी स्थिति को साफ़ करने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपनी छवि को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है।

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दक्षिण अमेरिका में अपनी स्वयं की आंतरिक और क्षेत्रीय चुनौतियों से जूझ रहा कोलंबिया शायद भारत-पाकिस्तान के बीच जटिल स्थिति को पूरी तरह से समझने में असमर्थ रहा हो। इसके अलावा, कोलंबिया का यह बयान संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर तटस्थता बनाए रखने की उसकी नीति का हिस्सा हो सकता है। इस नज़रिए से, थरूर की टिप्पणी कोलंबिया को भारत की स्थिति बेहतर ढंग से समझाने की दिशा में एक कदम हो सकती है, लेकिन इसे बहुत आक्रामक तरीके से पेश करने से कूटनीतिक संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है।