हर बार की तरह इस बार भी विपक्षी दलों की बैठक इस बात पर आकर रुक गई कि अगर बीजेपी को सत्ता से बाहर करना है तो सभी दलों को मिलजुल कर चुनाव लड़ना होगा। इसके साथ ही बीजेपी विरोधी वोटरों का बंटवारा भी रोकना होगा। लेकिन नेतृत्व का सवाल अभी भी अनसुलझा है। सभी दलों का कहना है कि चुनाव के बाद मिल बैठकर तय किया जाएगा कि प्रधानमंत्री किसे बनना है। आज की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई।

संसद के शीतकालीन सत्र और पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव से एक दिन पहले हुई इस बैठक को काफ़ी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। बैठक में 17 विपक्षी दलों के नेताओं ने शिरकत की। हालाँकि, सपा और बसपा ने इस बैठक  से दूरी बनाए रखी। बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इस बैठक पर तंज कसते हुए कहा कि विपक्ष को पहले अपने पीएम पद के उम्मीदवार का नाम घोषित करना चाहिए। शीतकालीन सत्र से पहले एनडीए ने भी बैठक कर तैयारियों पर चर्चा की। 

बैठक में कल से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार को चौतरफा घेरने पर भी आपस में सहमति बनी है। राफ़ेल डील और विजय माल्या, नीरव मोदी के मुद्दे पर विपक्ष एकजुट होकर सरकार को घेरेगा। पूरे संसद सत्र के दौरान विपक्षी दलों के बीच एकजुटता दिखे इसकी वकालत सभी दलों के नेताओं ने की है और इसकी जिम्मेदारी संसद में संसदीय पार्टी के संसदीय दल के नेता को दी गई है।