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प्रतीकात्मक तसवीर।

16 विपक्षी दल चुनाव आयोग की रिमोट वोटिंग मशीन के विरोध में क्यों?

सोलह विपक्षी दलों ने कहा है कि वे देश में ही प्रवासियों के लिए चुनाव आयोग की रिमोट इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी आरवीएम का विरोध करेंगे। विपक्षी दलों ने सोमवार को चुनाव आयोग के डेमंस्ट्रेशन से एक दिन पहले रविवार को एक बैठक में यह फ़ैसला लिया है। चुनाव आयोग ने आरवीएम का प्रस्ताव इस वजह से रखा है कि मतदाता की भागीदारी को बढ़ावा दिया जा सके।

फिलहाल, एक मतदाता को अपना वोट डालने के लिए शारीरिक रूप से उस जिले में जाना पड़ता है जहां वे पंजीकृत निर्वाचक हैं। लेकिन यदि नई पहल लागू की जाती है, तो प्रवासी मतदाताओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए अपने गृह जिले जाने की ज़रूरत नहीं होगी।

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चुनाव आयोग ने एक नए आरवीएम के माध्यम से आप्रवासियों को अपने घरेलू निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान करने में सक्षम बनाने के लिए सभी राजनीतिक दलों को एक प्रस्ताव दिया है। इसने 31 जनवरी, 2023 तक सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य दलों के लिखित विचार मांगे हैं। इसने तो 16 जनवरी को पार्टी प्रतिनिधियों के लिए आरवीएम प्रोटोटाइप का डेमंस्ट्रेशन भी तय किया है। 

आरवीएम अनिवार्य रूप से ईवीएम ही है, लेकिन इसमें नियमित बैलट यूनिट के बजाय एक इलेक्ट्रॉनिक डायनेमिक बैलट यूनिट, बैलट यूनिट ओवरले डिस्प्ले यानी बीयूओडी होता है। इसमें रिमोट बैलट यूनिट - केबल द्वारा पीठासीन अधिकारी की टेबल पर रिमोट कंट्रोल यूनिट यानी आरसीयू से जुड़ा होता है। रिमोट बैलट यूनिट उस निर्वाचन क्षेत्र के उम्मीदवारों के नामों को दिखाता है।

इसे बारकोड आधारित 'कांस्टीट्यूएंसी कार्ड रीडर' यानी सीसीआर द्वारा चलाया जाएगा जो पीठासीन अधिकारी के पास रहेगा। यह सीसीआर रिमोट मतदाता के निर्वाचन क्षेत्र की संख्या को पढ़ेगा, इसे पब्लिक डिस्प्ले कंट्रोल यूनिट और आरबीयू पर एक साथ दिखाएगा। आयोग ने कहा था कि मशीन स्टैंड-अलोन होगी और इंटरनेट से कनेक्ट नहीं होगी। गृह निर्वाचन क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर के पास पंजीकरण कराने के बाद प्रवासी मतदाता विभिन्न स्थानों पर विशेष दूरस्थ मतदान केंद्रों पर अपना वोट डालने में सक्षम होंगे। 
आरवीएम एक समय में 72 निर्वाचन क्षेत्रों को कवर करने में सक्षम होगा। सवाल है कि ईवीएम पर सवाल उठाते रहे राजनीतिक दल क्या इस पर एक राय होंगे?

बहरहाल, नई दिल्ली में रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक के बाद कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इस पर राय रखी। एचटी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, 'बैठक में भाग लेने वाले सभी राजनीतिक दलों का समग्र दृष्टिकोण यह है कि उन्होंने सर्वसम्मति से आरवीएम के प्रस्ताव का विरोध किया क्योंकि यह अभी भी बहुत ही अस्पष्ट है। यह ठोस नहीं है, प्रस्ताव में भारी राजनीतिक विसंगतियां और समस्याएँ हैं जैसे कि प्रवासी श्रमिकों की परिभाषा और संख्या स्पष्ट नहीं होना। हमने आरवीएम के प्रस्ताव का विरोध करने का मन बना लिया है।'

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उन्होंने कहा कि भाग लेने वाले विपक्षी दलों ने फैसला किया कि सोमवार की बैठक में दलों द्वारा उठाए गए सवालों पर चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया पर सामूहिक रूप से विचार किया जाएगा और विपक्ष इस मुद्दे पर एक संयुक्त रुख अपनाएगा।

विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस, जनता दल (यूनाइटेड), शिवसेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, यूनियन मुस्लिम लीग और रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी जैसी पार्टियों ने भाग लिया।

कांग्रेस नेता ने कहा, 'हमें 31 जनवरी तक अपना जवाब देने के लिए कहा गया है, इसलिए हमने अपना जवाब संयुक्त या अलग से भेजने के लिए 25 जनवरी को फिर से मिलने का फैसला किया है, लेकिन हमारा स्पष्ट दृष्टिकोण यह है कि हम आरवीएम का समर्थन नहीं करते हैं।'

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तृणमूल कांग्रेस की अनुपस्थिति पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि उन्हें अभी तक पार्टी के रुख के बारे में पता नहीं है, लेकिन बाद में इस पर चर्चा करेंगे। सपा और राकांपा की अनुपस्थिति पर, उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव और शरद पवार ने बैठक के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की और वे आरवीएम पर पूरी स्पष्टता पाना चाहते हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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