रूस में पढ़ाई के लिए गए एक गुजराती छात्र को कथित तौर पर रूसी सेना में जबरन भर्ती कर लिया गया। छात्र ने भारत सरकार से घर लौटने में मदद की अपील की है। कितने भारतीय रूसी सेना में फँसे हैं?
गुजरात के मोरबी जिले के एक युवा छात्र की दिल दहला देने वाली कहानी सामने आई है। 23 साल के साहिल मोहम्मद हुसैन 2024 में पढ़ाई के लिए स्टूडेंट वीजा पर रूस गए थे, लेकिन वहां झूठे ड्रग्स केस में फंसाए जाने के बाद रूसी सेना में जबरन भर्ती कर दिए गए। अब यूक्रेन की हिरासत में हैं और वहां से वीडियो भेजकर भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
साहिल ने यूक्रेन से दो वीडियो संदेश भेजे हैं, जिन्हें यूक्रेनी अधिकारियों ने जारी किया है। इन वीडियोज में साहिल कहते हैं, 'मैं 2024 में रूस पढ़ाई करने गया था। लेकिन पैसे और वीजा की समस्या के कारण कुछ रूसी लोगों से संपर्क हुआ, जो ड्रग्स के धंधे में थे। मुझे कुछ नहीं पता था, लेकिन रूसी पुलिस ने मुझे झूठा ड्रग्स का केस लगा दिया। उन्होंने कहा कि अगर मैं रूसी सेना में शामिल हो जाऊं तो केस खत्म कर देंगे। जेल जाने से बचने के लिए मैंने हां कर दी।'
साहिल आगे बताते हैं कि सिर्फ 15 दिन की ट्रेनिंग के बाद उन्हें यूक्रेन के फ्रंटलाइन पर भेज दिया गया। उन्होंने वीडियो में कहा, 'फ्रंटलाइन पर पहुँचते ही मैंने यूक्रेनी सेना के सामने सरेंडर कर दिया। अब मैं यूक्रेन की जेल में हूँ। मुझे बहुत निराशा हो रही है, पता नहीं आगे क्या होगा।' उन्होंने युवाओं को चेताया है, 'रूस आने वाले युवाओं से कहना चाहता हूँ- बहुत सावधान रहें। यहाँ बहुत सारे ठग हैं जो झूठे केस में फँसा सकते हैं। किसी भी हाल में रूसी सेना में न जाएँ।'
प्रधानमंत्री से अपील
साहिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार से अपील की, 'राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन हाल ही में भारत आए थे। सरकार से अनुरोध है कि पुतिन से बात करके मुझे सुरक्षित घर लौटने में मदद करें।' यूक्रेनी सेना ने ये वीडियो साहिल की मां को भेजे और कहा कि वे भारतीयों को रूसी सेना में धोखे से भर्ती होने के बारे में जागरूक करें। साहिल की मां हसीनाबेन ने दिल्ली की एक कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें बेटे की सुरक्षित वापसी की मांग की गई है। अगली सुनवाई फरवरी में होगी।यह मामला पहली बार अक्टूबर 2025 में सामने आया था, जब यूक्रेनी सेना ने साहिल के सरेंडर करने का वीडियो जारी किया था। तब से साहिल यूक्रेन की कैद में हैं।
50 भारतीय अभी भी रूस में फँसे हैं
भारतीय विदेश मंत्रालय ने हाल ही में संसद को बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 202 भारतीय रूसी सेना में भर्ती हुए हैं। इनमें से 26 की मौत हो चुकी है, 7 लापता हैं और 119 को वापस लाया जा चुका है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि अभी भी 50 भारतीय रूसी सेना में फँसे हैं, जिन्हें निकालने की कोशिश जारी है।
विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने 5 दिसंबर को कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन से इस मुद्दे पर बात की है और सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि बाक़ी भारतीयों को जल्द रिहा कराया जाए। उन्होंने भारतीयों को चेताया कि रूसी सेना में शामिल होने के किसी भी ऑफर से बहुत सावधान रहें। कई लोग फँस गए हैं और अब मदद मांग रहे हैं।रूस ने फ़रवरी 2022 में यूक्रेन पर जब हमला किया था तब युद्ध शुरू हुआ था। रूस को सैनिकों की कमी है, इसलिए विदेशियों को लुभाया जा रहा है। कई भारतीय बेरोजगार युवा ऊँची सैलरी और फायदों के लालच में रूस गए, लेकिन स्टूडेंट या टूरिस्ट वीजा पर पहुँचकर सेना में धकेल दिए गए। कुछ मामलों में छोटे-मोटे अपराध में फँसाकर जेल या सेना में भर्ती का विकल्प दिया जाता है।
हाल के दिनों में राजस्थान के 22 साल के अजय गोदारा और उत्तराखंड के 30 साल के राकेश कुमार मौर्य जैसे युवाओं की मौत की ख़बर आई है। दोनों स्टूडेंट वीजा पर गए थे, लेकिन जबरन भर्ती कर दिए गए। परिवार वाले सरकार से न्याय मांग रहे हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं।
सरकार क्या कर रही है?
केंद्र सरकार ने कहा है कि वह रूसी सेना में शामिल भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और उन्हें जल्द से जल्द वापस लाने के लिए तेज़ी से काम कर रही है। पार्थिव शरीर को वापस लाने के लिए वह रूस में भारतीय दूतावासों के साथ मिलकर काम कर रही है। डीएनए के आधार पर पहचान भी की जा रही है और जिनकी पहचान हो गई है, उन्हें भारत लाया जा रहा है। मंत्रालय ने कहा कि वह भारतीय नागरिकों की भलाई और जल्द रिहाई के लिए रूसी अधिकारियों के साथ कई स्तरों पर लगातार संपर्क बनाए हुए है।
बहरहाल, यह घटना बताती है कि विदेश में नौकरी या पढ़ाई के नाम पर कितने ख़तरे हैं। सरकार बार-बार चेतावनी दे रही है कि संदिग्ध जॉब ऑफर से बचें। उम्मीद है कि साहिल और बाक़ी फँसे भारतीय जल्द सुरक्षित घर लौट आएंगे।