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'कोरोना' में भी अमीरों की संपत्ति दोगुनी हुई, 84% परिवारों की आय घटी: ऑक्सफैम

कोरोना संक्रमण से पिछले साल जब देश में तबाही मची थी तब भी भारतीय अमीरों की संपत्ति दोगुनी हो रही थी। पिछले साल ही देश में 40 नये अरबपति बने और इसके साथ कुल 142 अरबपति हो गए। लेकिन इसके साथ ही क़रीब 84 फ़ीसदी भारतीय परिवारों की आय कम हो गई। यह रिपोर्ट ऑक्सफैम ने जारी की है।

पिछले साल कोरोना की वजह से भारत में हालात बेहद ख़राब थे। अस्पताल कोरोना मरीज़ों से भरे हुए थे। श्मशान और कब्रिस्तान में लाशों की कतारें लगी थीं। और अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर एक तिमाही में तो रिकॉर्ड क़रीब -24 फ़ीसदी तक नकारात्मक हो गई थी। 

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ऑक्सफैम की रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी की शुरुआत में 84% परिवारों की आय में गिरावट आई और भारत उप-सहारा अफ्रीका की कतार में खड़ा हो गया। वहाँ ग़रीबी में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। ब्लूमबर्ग ने ऑक्सफैम के हवाले से रिपोर्ट दी है कि 2020 में भारत में गरीबों की संख्या दोगुनी होकर 13.4 करोड़ हो गई, जो कि प्यू रिसर्च के अनुमान से अधिक है। ऑक्सफैम ने आधिकारिक अपराध के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों, स्वरोजगार वालों और बेरोजगारों ने सबसे अधिक आत्महत्या की है।

ऑक्सफैम ने विश्व खाद्य कार्यक्रम का हवाला देते हुए कहा कि देश में दुनिया के एक चौथाई कुपोषित लोग हैं। शहरी बेरोजगारी पिछले मई में 15% तक बढ़ गई थी और खाद्य असुरक्षा की स्थिति ख़राब हो गई थी। 

देश में ग़ैर-बराबरी किस हद तक बढ़ी है, यह इससे समझा जा सकता है कि भारत के इन गिने-चुने अरबपतियों के पास उतनी संपत्ति है जितनी देश की सबसे ग़रीब क़रीब 40 फ़ीसदी आबादी के पास भी नहीं है। इन 142 अमीरों के पास 720 अरब डॉलर की संपत्ति है।

तो सवाल है कि ऐसा कैसे हो गया कि अमीर ज़्यादा अमीर हो गये और ग़रीब ज़्यादा ग़रीब? क्या कोरोना या कोरोना काल ने भी अमीर और ग़रीब को चुनिंदा तरीक़े से प्रभावित किया?

वैसे तो यह सवाल बेहद बचकाना लग सकता है, लेकिन अमीरों और ग़रीबों के बीच बढ़ती खाई को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। यही बात 2022 की वैश्विक ऑक्सफैम दावोस रिपोर्ट में कही गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारों को संपत्ति के पुनर्वितरण के लिए अपनी नीतियों पर फिर से विचार करना चाहिए। यानी साफ़ है कि ये जो हालात बने हैं वे कोरोना की वजह से नहीं, बल्कि सरकारी नीतियों की वजह से बने हैं।

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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि महामारी के दौरान वैश्विक स्तर पर संपत्ति में वृद्धि कैसे हुई है। ऑक्सफैम ने कहा है कि स्टॉक की क़ीमतों से लेकर क्रिप्टो करेंसी और दूसरी वस्तुओं तक हर चीज के मूल्य में उछाल आया है। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के मुताबिक दुनिया के 500 सबसे अमीर लोगों ने पिछले साल अपने नेट वर्थ में 1 ट्रिलियन डॉलर से ज़्यादा की बढ़ोतरी की। ऑक्सफैम ने कहा कि भारत में अब फ्रांस, स्वीडन और स्विट्जरलैंड की तुलना में अधिक अरबपति हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 में संपत्ति कर को समाप्त करना, कॉर्पोरेट लेवी में भारी कटौती और अप्रत्यक्ष कराधान में वृद्धि जैसी राज्य की नीतियाँ उन कारणों में से हैं, जिसने अमीरों को और अमीर बनाने में मदद की। इसके अलावा राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन हर रोज़ 178 रुपये 2020 से ही बना हुआ है। स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्रों में बढ़ते निजीकरण के बीच स्थानीय प्रशासन के लिए केंद्रीय वित्त पोषण में कमी ने असमानताओं को और बढ़ा दिया है।

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ऑक्सफैम ने सिफारिश की है कि सरकार स्वास्थ्य और शिक्षा में निवेश करने के लिए सबसे अमीर 10% आबादी पर 1% सरचार्ज लगाए। इसमें यह उल्लेख किया गया है कि भारत के 10 सबसे धनी अरबपतियों का हिस्सा 25 से अधिक वर्षों के लिए पूरे देश के बच्चों के स्कूली और उच्च शिक्षा के लिए पर्याप्त होगा।

रिपोर्ट में लीक हुए पेंडोरा पेपर्स का भी ज़िक्र किया गया है और कहा गया है कि उस रिपोर्ट में पाया गया कि 380 से अधिक भारतीयों के पास 200 बिलियन रुपये की अघोषित विदेशी और घरेलू संपत्ति थी।

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क़मर वहीद नक़वी
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