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प्रतीकात्मक तस्वीर

यूसीसी पर हुई संसदीय समिति की बैठक में विपक्ष ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल 

समान नागरिक संहिता को लेकर सोमवार को दिल्ली में कानून मंत्रालय की संसदीय समिति की बैठक हुई। भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में विभिन्न दलों के सांसद शामिल हुए। इसमें लॉ कमीशन और भारत सरकार के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया था। बैठक में यूसीसी क्या है और कितना जरूरी है इसे लेकर चर्चा हुई। इसमें सांसदों ने अपने विचार और सुझाव रखे। उन्होंने इसपर कई सवाल भी पूछे।इस बैठक में बसपा सांसद मलूक नागर, शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राऊत, कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा, भाजपा से लोकसभा सांसद रमेश पोखरियाल, भाजपा से राज्यसभा सांसद महेश जेठमलानी आदि शामिल हुए। समिति की बैठक में ड्रॉफ्ट बनाने वाले पैनल के 31 में से 17 सदस्य मौजूद थे। 
सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान समिति के सदस्यों ने सरकार की मंशा पर गंभीर सवाल उठाए। विपक्षी सांसदों ने यूसीसी पर विधि आयोग के परामर्श के समय पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे आगामी लोकसभा चुनाव से जोड़ा है। कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा और डीएमके के सांसद पी विल्सन ने बैठक में अपना लिखित बयान पेश किया। इसमें उन्होंने यूसीसी को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से जुड़ा बताया। शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि कई देशों में यूसीसी की व्यवस्था लागू है। इस पर कोई फैसला लेने से पहले विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों की चिंताओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने भी इस मुद्दे पर अभी सुझाव मांगने के समय पर सवाल उठाए। बैठक में भाजपा सांसद महेश जेठमलानी ने इसके पक्ष में अपनी बातें रखी। 
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समाज के हर वर्ग से जुड़ा हुआ मामला है

बैठक में कई सदस्यों ने कहा कि सरकार को इसे ध्यान में रखना होगा कि ये सिर्फ एक फैमिली लॉ नहीं बल्कि समाज के हर धर्म, जाति समुदाय से जुड़ा हुआ मामला है। बैठक में कुछ विपक्षी सांसदों ने यूसीसी को संविधान के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा कि यह संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत दी गई कुछ गारंटी को नुकसान पहुंचाएगा।इसके जवाब में बैठक की अध्यक्षता कर रहे  सुशील मोदी ने कहा कि इस छूट पर विचार किया जा सकता है।  इस दौरान बताया गया कि इसपर अब तक 19 लाख सुझाव आए हैं। आदिवासी समाज (खास तौर पर पूर्वोत्तर राज्यों में) पर इसका असर नहीं पड़े ये सुझाव भी आए हैं।  

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क़मर वहीद नक़वी
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