फिल्म फुले की रिलीज रोके जाने पर मशहूर बॉलीवुड निर्माता निर्देशक अनुराग कश्यप ने ब्राह्मण संगठनों की निन्दा की थी। इस पर केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने कश्यप को सीधे धमकी दी। कश्यप ने माफी मांगी है। लेकिन मंत्री के बयान पर लोग चुप हैं।
ब्राह्मणों पर बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर अनुराग कश्यप की टिप्पणी से मोदी सरकार के मंत्री सतीश चंद्र दुबे इतना आहत हैं कि उन्हें सीधे धमकी दे दी है। केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने अनुराग कश्यप को "घटिया बदमाश" करार देते हुए और भी कई आपत्तिजनक बातें कहीं हैं। हालांकि अनुराग कश्यप ने अब माफी मांग ली है लेकिन कश्यप ने अपने बयान में जो बातें कहीं हैं, वो बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह विवाद अनंत महादेवन की फिल्म 'फुले' को लेकर चल रही बहस से जुड़ा है, जो समाज सुधारक ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले की जीवनी पर आधारित है।
अनुराग कश्यप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक यूजर के कमेंट का जवाब देते हुए ब्राह्मणों पर टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी को उन्होंने इंस्टाग्राम पर भी साझा किया, जिसके बाद ब्राह्मण समुदाय के एक वर्ग ने इसे अपमानजनक और जातिवादी करार दिया। यह बयान फिल्म 'फुले' के रिलीज को लेकर सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) और ब्राह्मण समुदाय के कुछ सदस्यों द्वारा उठाए गई आपत्तियों के संदर्भ में आया। फिल्म में ब्राह्मणों के चित्रण को लेकर आपत्ति जताई गई थी, जिसके कारण इसकी रिलीज को दो सप्ताह के लिए टाल दिया गया।
केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने अनुराग कश्यप की टिप्पणी की कड़ी निंदा की। उन्होंने एक्स पर लिखा, "यह घटिया बदमाश (अनुराग कश्यप) सोचता है कि वह पूरे ब्राह्मण समुदाय पर गंदगी उछाल सकता है और बच निकलेगा? अगर उसने तुरंत सार्वजनिक माफी नहीं मांगी, तो मैं कसम खाता हूं कि उसे कहीं भी शांति नहीं मिलेगी। इस घृणा फैलाने वाले की बदतमीजी अब और बर्दाश्त नहीं होगी।"
केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे
विवाद बढ़ने के बाद अनुराग कश्यप ने शुक्रवार देर रात इंस्टाग्राम पर एक नोट साझा किया, जिसमें उन्होंने माफी मांगी, लेकिन यह माफी उनकी टिप्पणी के लिए नहीं, बल्कि उस "एक पंक्ति" के लिए थी, जिसे "संदर्भ से बाहर" बताया गया। उन्होंने लिखा, "मैंने जो कहा, उसे वापस नहीं लूंगा। मुझे गाली देना चाहते हैं, तो दें। मेरे परिवार ने कुछ नहीं कहा। अगर माफी चाहिए, तो यह मेरी माफी है। ब्राह्मण लोग, महिलाओं को बख्श दें, इतना संस्कार तो शास्त्रों में भी है, सिवाय मनुवाद के।"
कश्यप ने यह भी खुलासा किया कि उनकी बेटी, परिवार, दोस्तों और सहकर्मियों को बलात्कार और मौत की धमकियां मिल रही हैं, जिसके बाद उन्होंने यह माफी मांगी। उन्होंने कहा, "कोई भी कार्रवाई या बयान आपकी बेटी, परिवार और दोस्तों को मिलने वाली धमकियों के लायक नहीं है।"
इस बीच, महाराष्ट्र भाजपा के सोशल मीडिया कानूनी और सलाहकार विभाग के प्रमुख एडवोकेट आशुतोष जे. दुबे ने मुंबई पुलिस में अनुराग कश्यप के खिलाफ शिकायत की है, जिसमें उनके खिलाफ जातिवादी टिप्पणी के लिए एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। उन्होंने एक्स पर लिखा, "मैंने आधिकारिक तौर पर मुंबई पुलिस में अनुराग कश्यप के खिलाफ ब्राह्मण समुदाय के प्रति उनकी अपमानजनक और जातिवादी टिप्पणी के लिए एफआईआर दर्ज करने की शिकायत दी है। ऐसी नफरत भरी बातें बर्दाश्त नहीं की जा सकतीं।"
फुले फिल्म का पोस्टर
फिल्म 'फुले' को लेकर महाराष्ट्र में ब्राह्मण समुदाय के एक वर्ग ने आपत्ति जताई थी, उनका दावा था कि फिल्म में उनके समुदाय को गलत तरीके से चित्रित किया गया है और यह जातिवाद को बढ़ावा देती है। सीबीएफसी ने फिल्म में कुछ कट्स लगाए, जिसके बाद इसकी रिलीज 11 अप्रैल से टाल दी गई। अनुराग कश्यप ने इस मुद्दे पर सेंसर बोर्ड और ब्राह्मण समुदाय की आलोचना करते हुए कहा था, "निर्णय कर लो, जाति व्यवस्था है या नहीं? अगर जातिवाद नहीं है, तो आपको 'फुले' से समस्या क्यों है?"
अनुराग कश्यप ने इंस्टाग्राम पर अपनी दो दिन पहले टिप्पणी में कहा था- मेरी जिंदगी का पहला नाटक ज्योतिबा और सावित्रीबाई फुले पर था। भाई, अगर इस देश में जातिवाद नहीं होता, तो उन्हें लड़ने की क्या जरूरत थी? अब ये ब्राह्मण लोग या तो शर्म से मर रहे हैं, या किसी अलग ब्राह्मण भारत में जी रहे हैं, जो हमें दिखाई नहीं दे रहा। आखिर मूर्ख कौन है, कोई समझाए! उन्होंने इसी के साथ सरकार पर हमला करते हुए लिखा था- यह जातिवादी, क्षेत्रवादी और नस्लवादी सरकार अपनी सच्चाई को आईने में देखने से डरती है।
अनुराग की टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना और समर्थन दोनों देखने को मिले। जहां कुछ लोगों ने उनकी टिप्पणी को अभद्र और नफरत फैलाने वाला बताया, वहीं उनके समर्थकों का कहना था कि यह बयान सामाजिक असमानताओं पर एक टिप्पणी था। हालांकि, उनकी बेटी और परिवार को मिल रही धमकियों की कई लोगों ने निंदा की।
यह विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। अनुराग कश्यप के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग तेज हो रही है, और मुंबई पुलिस की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि क्या उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। इस बीच, अनुराग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी मूल टिप्पणी से पीछे नहीं हटेंगे, लेकिन वह अपने परिवार की सुरक्षा के लिए चिंतित हैं।
अभिव्यक्ति की आजादी भारत में एक बड़ा मसला बनता जा रहा है। कुणाल कामरा, अनुराग कश्यप जैसे क्रिएटिव लोगों को को अपनी बात कहने की आजादी नहीं है। लेकिन गली मुहल्ले के सिरफिरे गुंडे किसी भी धर्म को लेकर टिप्पणी कर सकते हैं। कोई केंद्रीय मंत्री किसी भी धर्म या कलाकारों पर भद्दी टिप्पणियां कर सकता है, जान से मारने की धमकी दे सकता है। उसके खिलाफ कोई एफआईआर नहीं। यूपी के सीएम खुलेआम आपत्तिजनक बयान दे रहे हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं। आगरा में प्रदर्शन के दौरान करणी सेना ने दलित सांसद रामजी लाल सुमन के खिलाफ तलवारें लहराईं। लेकिन वक्फ कानून के खिलाफ काली पट्टी पहनकर नमाज पढ़ने वाले मुसलमानों के विरोध प्रदर्शन पर एफआईआर दर्ज कर ली गई। ईद के त्यौहार पर यूपी में लोगों को अपने घरों की छत पर नमाज पढ़ने की इजाजत नहीं दी गई।