प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर जाएंगे। 2023 की हिंसा के बाद यह उनकी पहली यात्रा होगी, जहाँ वे चुराचांदपुर और इम्फाल में विस्थापित परिवारों से मिलकर हालात की समीक्षा करेंगे। जानिए, लोग नाराज़ क्यों?
मणिपुर में पिछले दो वर्षों से चली आ रही जातीय हिंसा के बीच अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को राज्य का दौरा करेंगे। यह उनका 2023 में मई से शुरू हुई हिंसा के बाद पहला दौरा होगा। आधिकारिक पुष्टि की गई है कि प्रधानमंत्री चुराचांदपुर जिले में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों से मुलाकात करेंगे, विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे और जनसभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद वे इम्फाल पहुंचेंगे, जहां फिर विस्थापितों से बातचीत करेंगे और विकास कार्यों का उद्घाटन करेंगे। स्थानीय संगठनों ने पीएम के इस दौरे के दौरान स्वागत समारोहों और इसमें होने वाले नृत्य पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि 'आंसुओं के साथ नृत्य नहीं कर सकते'।
मणिपुर के मुख्य सचिव पुनित कुमार गोयल ने गुरुवार को दौरे की आधिकारिक पुष्टि की। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री दोपहर करीब 12:30 बजे ऐजोल से चुराचांदपुर पहुंचेंगे, जो कूकी-ज़ो बहुल इलाक़ा है। वहां शांति ग्राउंड पर लोगों की सभा को संबोधित करेंगे और संघर्ष से प्रभावित विस्थापितों से सीधे बातचीत करेंगे। गोयल ने कहा, 'प्रधानमंत्री विस्थापित लोगों से मिलेंगे, जिन्हें संघर्ष के कारण अपना घर छोड़ना पड़ा है। इसके बाद विकास परियोजनाओं का शिलान्यास होगा।' चुराचांदपुर से इम्फाल के लिए हेलीकॉप्टर से रवाना होने के बाद, प्रधानमंत्री ऐतिहासिक कंगला किले में 15000 लोगों की सभा को संबोधित करेंगे।
मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य सरकार का लक्ष्य दिसंबर 2025 तक सभी 57000 विस्थापितों को उनके मूल स्थानों पर वापस बसाना है। चरणबद्ध तरीके से चल रही इस प्रक्रिया में जुलाई से शुरू होकर अक्टूबर और दिसंबर तक पुनर्वास होगा। विस्थापितों को घरों के पुनर्निर्माण के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है, साथ ही मोरेह और कंगपोकपी जैसे क्षेत्रों में अस्थायी प्रीफैब्रिकेटेड घर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। दौरे के दौरान 7300 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया जाएगा, जबकि 1200 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन होगा। इनमें सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे से जुड़े कार्य शामिल हैं।
दो वर्षों की हिंसा और विस्थापन
मणिपुर में 3 मई 2023 से मैतेई और कूकी-जो समुदायों के बीच हिंसा भड़कने के बाद राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। इस संघर्ष में 260 से अधिक लोग मारे गए, 7000 से ज्यादा घर जलाए गए और 360 से अधिक चर्च व पूजा स्थल तबाह हो गए। 57000 से अधिक लोग 280 राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं। हिंसा ने राज्य को मैतेई बहुल घाटी और कूकी-जो बहुल पहाड़ी क्षेत्रों में बांट दिया है। फरवरी 2025 में राज्य सरकार भंग होने के बाद राष्ट्रपति शासन लागू है, जो अगस्त में बढ़ाया गया। हिंसा धीरे-धीरे कम हुई है, लेकिन समुदायों के बीच अविश्वास बरकरार है।
कूकी-जो काउंसिल ने इसे ऐतिहासिक अवसर बताया है, लेकिन पृथक प्रशासन की मांग दोहराई है। काउंसिल के प्रवक्ता ने कहा है कि कूकी-जो लोगों को अलग प्रशासन की ज़रूरत है, ताकि उनकी आकांक्षाओं का समाधान हो सके।
'आंसुओं के साथ नृत्य नहीं कर सकते'
दौरे को लेकर राज्य में उत्साह और चिंताएँ दोनों है। कूकी-ज़ो संगठनों ने स्वागत समारोहों का विरोध किया है। इम्फाल हमार विस्थापित कमेटी ने बयान जारी कर कहा, 'हमारा शोक ख़त्म नहीं हुआ, आँसू सूखे नहीं, घाव भर नहीं गए। हम आनंद से नृत्य नहीं कर सकते।' उन्होंने प्रधानमंत्री से राहत शिविरों में प्रभावितों से मिलने की अपील की, न कि उत्सवों में भाग लेने की। चुराचांदपुर की गैंग्टे स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन ने कहा, 'हम दौरा का स्वागत करते हैं, लेकिन आंसुओं के साथ नृत्य नहीं कर सकते।'
बुधवार को चुराचांदपुर में मोदी के स्वागत के लिए लगाए गए सजावटी ढाँचे अज्ञात लोगों ने ध्वस्त कर दिए, जो शांति ग्राउंड से मात्र 2 किलोमीटर दूर थे। यह घटना तनाव को दिखाती है। विपक्षी कांग्रेस ने दौरे को 'जल्दबाजी में लिया गया' करार देते हुए कहा कि यह लोगों का अपमान है। कूकी संगठनों ने नृत्य कार्यक्रमों का विरोध किया, जबकि इमागी मेइरा महिलाओं के समूह ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर मैतेई लोगों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करने की मांग की।
जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी की मणिपुर की आगामी तीन घंटे की यात्रा की आलोचना की। एक्स पर एक पोस्ट में कांग्रेस सांसद ने यात्रा की तैयारियों के बारे में एक अखबार की कटिंग साझा की और कहा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री मणिपुर में केवल तीन घंटे ही बिताएंगे। जयराम रमेश ने लिखा, 'प्रधानमंत्री की 13 सितंबर को मणिपुर की प्रस्तावित यात्रा का उनके समर्थक स्वागत कर रहे हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि वह राज्य में लगभग 3 घंटे ही बिताएँगे- जी हाँ, केवल 3 घंटे। इतनी जल्दबाजी वाली यात्रा से वह क्या हासिल करना चाहते हैं?'
उन्होंने कहा, 'यह वास्तव में राज्य के लोगों का अपमान है, जिन्होंने लंबे और कष्टदायक 29 महीनों तक उनका इंतज़ार किया है। 13 सितंबर वास्तव में प्रधानमंत्री की नॉन-विजिट होगी, जिन्होंने एक बार फिर मणिपुर के लोगों के प्रति अपनी उदासीनता और असंवेदनशीलता दिखाई है।'
दौरे को देखते हुए इम्फाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट, कंगला किले और चुराचांदपुर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। राज्य आपदा प्रबंधन बल यानी एसडीआरएफ और मणिपुर पुलिस नौकाओं से कंगला के आसपास गश्त कर रही है। एडवांस सिक्योरिटी टीम ने स्थलों का निरीक्षण किया है। भाजपा के पूर्वोत्तर समन्वयक संबित पात्रा और मणिपुर प्रभारी अजित गोपचड़े ने तैयारियों की समीक्षा की।
दौरे से शांति वार्ता की उम्मीद है, लेकिन जानकारों का मानना है कि मैतेई-कूकी संवाद के बिना स्थायी समाधान मुश्किल है। यह दौरा न केवल विकास पर फोकस करेगा, बल्कि मणिपुर के घावों को भरने की दिशा में एक कदम साबित हो सकता है। लेकिन सवाल वही है कि क्या यह शांति की नई शुरुआत बनेगा?