Demographic Challenges and PM Modi पीएम मोदी ने 15 अगस्त को लालकिले के भाषण में डेमोग्राफी मिशन यानी आबादी में बदलाव का अध्ययन करने की घोषणा जोरशोर से की। लेकिन यह घोषणा 2024 में भी इसी सरकार ने की थी। अब तक ज़ीरो काम हुआ है।
पीएम मोदी 15 अगस्त को लाल किले पर
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से भाषण देते हुए अपनी घोषणाओं में हाई पावर डेमोग्राफी मिशन शुरू करने की घोषणा की। इस राजनीतिक फैसले की घोषणा 2024 में ही मोदी सरकार ने कर दी थी। लेकिन प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को फिर से इसकी घोषणा की। हालांकि पीएम ने इस बार जिस संदर्भ में इसका उल्लेख किया वो काफी बहसतलब और विवादित है। मोदी का कहना है कि एक सोची समझी साजिश के तहत देश की आबादी में बदलाव यानी डेमोग्राफी लाया जा रहा है। घुसपैठिये हमारे देश के युवकों की रोटी रोजी छीन रहे हैं। यानी बेरोजगारी का संकट घुसपैठियों के कारण है। लेकिन डेमोग्राफी की परिभाषा क्या है, जानिए।
डेमोग्राफी की परिभाषा यानी इसका अर्थ क्या है
भारत सहित पूरी दुनिया में डेमोग्राफी की परिभाषा को इस तरह दर्ज किया गया है या माना जाता है। उसके मुताबिक जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) मानव जनसंख्या का अध्ययन है, और जनसांख्यिकीय परिवर्तन समय के साथ मानव जनसंख्या (Human Population) में होने वाले परिवर्तनों से संबंधित है। इसमें जनसंख्या का आकार, संरचना (आयु, जातीयता, लिंग) और विभिन्न जेंडर की स्थिति जैसे पहलू शामिल हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि आईएएस एकेडमी मसूरी में भविष्य के आईएएस को सरकार जब तैयार करती है, तो उन्हें भी यही परिभाषा बताई जाती है। लेकिन पीएम मोदी ने अब इसे सीधे घुसपैठियों से जोड़ दिया है।
भारत सरकार ने वर्ष 2024 में देश की डेमोग्राफी चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक उच्च-स्तरीय पैनल के गठन की घोषणा की थी। लेकिन उस पर अभी तक शुरू नहीं हो सका है। द हिंदू की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इस पैनल का मकसद आबादी में बढ़ोतरी, उम्रदराज लोगों की आबादी और सामाजिक-आर्थिक असंतुलन जैसे मुद्दों पर नीतिगत सुझाव देना था। लेकिन यह योजना 2024 से कागजों में है। पीएम मोदी ने अब इस योजना को अपने बयान से फिर से पेश कर दिया है।
द हिन्दू और इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि 2024 में इस प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के सहयोग से तैयार किया गया था। पैनल में विशेषज्ञों, अर्थशास्त्रियों और सोशल साइंस के वैज्ञानिकों को शामिल करने की योजना थी। ताकि ये लोग आबादी के बदलावों के प्रभावों का अध्ययन कर सरकार को ठोस सुझाव दे सकें। विशेष रूप से, बढ़ती हुई उम्रदराज लोगों की आबादी और वर्कफोर्स में कमी जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाना था।
हालांकि, सरकारी सूत्रों का कहना है कि प्रशासनिक देरी, प्राथमिकताओं में बदलाव, और संसाधनों की कमी के कारण इस प्रस्ताव को लागू करने में बाधा आई। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आबादी के बदलाव की चुनौतियां भारत के आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता के लिए एक गंभीर मुद्दा हैं। इस दिशा में फौरन कदम उठाने की जरूरत है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भारत को भविष्य में स्वास्थ्य सेवाओं, पेंशन योजनाओं, और तमाम स्किल्ड क्षेत्रों में लेबर की कमी जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। सरकार ने अभी तक इस पैनल के भविष्य या इसके गठन की नई समयसीमा के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हां, मोदी की घोषणा अब 15 अगस्त को सामने आ गई है। लेकिन उसका नज़रिया अलग है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि भारत में बढ़ती उम्रदराज लोगों की आबादी की जरूरतो पर फौरन ध्यान दिया जाना चाहिए लेकिन प्रधानमंत्री की नज़र घुसपैठियों पर है। घुसपैठिये किन्हें कहा जा रहा है, इसे समझने के लिए बहुत ज्ञान की जरूरत नहीं है।