loader

जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा क्यों नहीं उठाते राजनेता?

देश के 73वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल क़िले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अहम मुद्दों पर बात की। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में भ्रष्टाचार, अनुच्छेद 370 को ख़त्म किये जाने, तीन तलाक बिल, जल संचय, प्लास्टिक का उपयोग न करने जैसे तमाम मुद्दों को जिक्र किया। लेकिन जिस सबसे अहम मुद्दे का जिक्र प्रधानमंत्री मोदी ने किया वह है जनसंख्या विस्फोट।
सबसे पहले जानते हैं कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में क्या कहा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारे यहाँ जो जनसंख्या विस्फोट हो रहा है, ये आने वाली पीढ़ी के लिए अनेक संकट पैदा करता है। लेकिन यह भी मानना होगा कि देश में एक जागरूक वर्ग भी है जो इस बात को अच्छे से समझता है। यह वर्ग इससे होने वाली समस्याओं को समझते हुए अपने परिवार को सीमित रखता है। ये लोग अभिनंदन के पात्र हैं। ये लोग एक तरह से देशभक्ति का ही प्रदर्शन करते हैं।’ 
प्रधानमंत्री का कहना स्पष्ट है कि हमें अगर यह सुनिश्चित करना है कि आने वाली पीढ़ियों को बेहतर जीवन और उन्हें बुनियादी सुविधाएँ मिलें, तो बढ़ती जनसंख्या पर रोक लगानी ही होगी। भारत की जनसंख्या वर्तमान में 132 करोड़ है और आज़ादी के समय यह लगभग 30 करोड़ थी। यानी 70 साल में हमारी आबादी 100 करोड़ से ज़्यादा बढ़ चुकी है। इस दौरान प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन हुआ है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत 2027 तक चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में सबसे ज़्यादा जनसंख्या वाला देश बन सकता है।
ताज़ा ख़बरें
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, ‘सीमित परिवारों से ना सिर्फ़ ख़ुद का बल्कि देश का भी भला होने वाला है। जो लोग सीमित परिवार के फायदे को समझ रहे हैं, वे सम्मान के पात्र हैं। ऐसा परिवार घर में शिशु को जन्म देने से पहले सोचता है कि क्या वह उसके साथ न्याय कर पायेंगे।’ प्रधानमंत्री ने देश में आबादी नियंत्रण के लिये छोटे परिवार पर जोर दिया और कहा कि आबादी समृद्ध हो, शिक्षित हो तो देश को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।
देश से और ख़बरें
चीन ने जहाँ जनसंख्या नियंत्रण को लेकर कड़े क़ानून बना रखे हैं, वहीं भारत में अभी तक इसे लेकर बहुत कम आवाज़ उठी है। केंद्र और राज्यों की सरकारें यह अच्छी तरह समझती हैं कि जनसंख्या विस्फोट एक बहुत बड़ी समस्या है लेकिन इस बारे में फ़ैसला लेने का साहस कोई नहीं उठा पाता। 
देश के आज़ाद होने के बाद जनसंख्या विस्फोट से निपटना कांग्रेस सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती थी। देश की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही थी और एक बड़ी आबादी के लिए संसाधन उपलब्ध कराना सरकार के लिए मुश्किल साबित हो रहा था। इसके अलावा बढ़ती जनसंख्या को भविष्य के लिए बड़ी चुनौती माना जा रहा था।
ऐसे समय में इंदिरा गाँधी की सरकार ने परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत नसबंदी कराने का फ़ैसला लिया था। इस कार्यक्रम के तहत ऐसे लोग जिनके दो बच्चे हो चुके थे, उनकी नसबंदी कराने की बात कही गई थी। इसके तहत लोगों को जागरूक किया जाना था और उन्हें परिवार नियोजन के कार्यक्रमों के बारे में बताया जाना था। लेकिन सरकार का यह कार्यक्रम तब बहुत विवादित बन गया जब संजय गाँधी को इसे लागू कराने का ज़िम्मा दिया गया। संजय ने परिवार नियोजन कार्यक्रम को लागू करने के लिए बेहद सख़्ती दिखाई और इससे कुछ ही समय में देश में ख़ौफ़ का माहौल बन गया।
संजय गाँधी इस फ़ैसले को पूरे देश में बड़े पैमाने पर लागू कराना चाहते थे। बताया जाता है कि सभी सरकारी विभागों को आदेश था कि नसंबदी के लिए तय लक्ष्य को वह समय रहते पूरा करें, नहीं तो तनख्वाह रोककर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी। संजय गाँधी इस कार्यक्रम के बारे में ख़ुद पल-पल की जानकारी लेते थे। 
जानकारी के मुताबिक़, तब कुछ सालों के भीतर देशभर में लाखों लोगों की नसबंदी की गई थी और इनमें युवाओं से लेकर बुजुर्ग तक शामिल थे। लेकिन ऑपरेशन और इलाज में लापरवाही की वजह से सैकड़ों लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा था। जब इंदिरा सरकार के इस फ़ैसले का विरोध हुआ तो सरकार को परिवार नियोजन कार्यक्रम रोकना पड़ा। लेकिन उसके बाद से किसी भी प्रधानमंत्री या किसी दल के राजनेता ने खुलकर इस मुद्दे पर बात नहीं की।

संघ, बीजेपी उठाते रहे हैं माँग

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी कई बार देश में जनसंख्या नियंत्रण क़ानून को बनाने की बात उठाता रहा है। इसके अलावा बीजेपी के कई नेता भी ऐसा क़ानून बनाये जाने की बात करते रहे हैं। देश में ऐसा जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बनाये जाने की बात उठ रही है जिसके तहत प्रत्येक दंपति दो ही बच्चे पैदा कर सकता है और यह देश भर में सभी पर एक समान ढंग से लागू होगा। हाल ही में बीजेपी के राज्यसभा सांसद और आरएसएस के प्रचारक राकेश सिन्हा ने इस मुद्दे पर संसद में आवाज़ उठाई थी। 

ऐसे में जब प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर स्वतंत्रता दिवस के अहम मौक़े पर लाल क़िले की प्राचीर से बात की है और यह भी कहा है कि वे लोग जो सीमित परिवार रखते हैं, निश्चित रूप से सम्मान के पात्र हैं, तब इस मुद्दे पर बात करना और भी ज़रूरी हो जाता है।
जनसंख्या बढ़ने के कारण अशिक्षा और ग़रीबी जैसी चुनौतियाँ सामने आ रही हैं जिनसे निपटना किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं है। ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण पर नीतिगत फ़ैसला लेकर क़ानून बनाये जाने की माँग लंबे समय से उठ रही है क्योंकि बढ़ती जनसंख्या के कारण पैदा हो रही मुश्किलों को क़तई नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता और इसे रोकने के लिए समाज के सभी वर्गों का सहयोग जरूरी है। क्योंकि अगर जनसंख्या नियंत्रित रहेगी तो लोगों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ, स्वच्छ वातावरण, सड़कें, पानी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएँ मिल सकेंगी। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें