‘वीबी जी राम जी’ बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही यह कानून बन गया। इसके साथ ही मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाए जाने पर सियासी विवाद तेज़ हो गया है। पढ़िए नए कानून के प्रावधान, सरकार का तर्क और विपक्ष के आरोप।
महात्मा गांधी और रोजगार योजना
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को वीबी जी राम जी बिल 2025 को मंजूरी दे दी। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने ये जानकारी दी। इस मंजूरी के साथ ही ये बिल अब कानून बन गया है। ये नया कानून पुरानी मनरेगा यानी महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट की जगह लेगा। इसका मतलब है कि अब इस योजना से आधिकारिक तौर पर मनरेगा और महात्मा गांधी का नाम हटा दिया गया है।
वीबी जी राम जी यानी विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल में भी मनरेगा की ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की गारंटी की तरह ही बात की गई है, लेकिन इसमें कई आमूल-चूल बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है और दावा कर रहा है कि सरकार लोगों के रोजगार के हक छीन रही है, रोजगार योजना को ख़त्म करना चाह रही है और महात्मा गांधी का नाम हटा दिया।
वीबी-जी राम जी क़ानून क्या है?
यह क़ानून ग्रामीण इलाकों में मजदूरी वाले काम की गारंटी को 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन कर देता है। हर ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को साल में कम से कम 125 दिन का काम मिलेगा। सरकार का कहना है कि ये नया कानून 'विकसित भारत 2047' के सपने से जुड़ा है। इससे गांवों का पूरा विकास होगा, पानी की सुरक्षा, सड़कें, आजीविका से जुड़ी चीजें और मौसम की मार से बचाव के काम होंगे।
मनरेगा से क्या अलग है?
मनरेगा 2005 में आई थी, जिसमें 100 दिन के काम की गारंटी थी। कुछ राज्यों में आदिवासी इलाकों में 150 दिन मिलते थे। अब नया कानून 125 दिन को सीधे कानूनी गारंटी बना देता है। पहले मनरेगा में काम की मांग पर ख़र्च बढ़ता था, लेकिन अब राज्यों को एक निश्चित बजट मिलेगा और उसी के अनुसार ही रोजगार दिया जा सकेगा। अगर ज्यादा खर्च हुआ तो राज्य सरकार को खुद पैसा देना पड़ेगा। 'जी राम जी' योजना पर आने वाले खर्च का सामान्य राज्यों में केंद्र 60 प्रतिशत और राज्य 40 प्रतिशत देगा। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में केंद्र 90 प्रतिशत देगा।
ग्राम पंचायत के अधिकार का क्या?
विपक्ष का आरोप है कि नए कानून में ग्राम पंचायत और ग्राम सभा के अधिकार कम कर दिए गए हैं। सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा कि पंचायतों को दरकिनार कर दिया गया है और केंद्रीय डैशबोर्ड को सशक्त बनाया गया है। यानी केंद्र योजनाओं की प्राथमिकता तय करेगा, न कि पंचायतें। उन्होंने कहा कि मनरेगा स्थानीय ज़रूरतों के आधार पर काम की योजना बनाने के लिए ग्राम सभाओं और पंचायतों पर भरोसा करता था, लेकिन जी राम जी GIS टूल, पीएण गति शक्ति लेयर्स और केंद्रीय डिजिटल स्टैक को अनिवार्य करता है। स्थानीय प्राथमिकताओं को एक विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक के माध्यम से फिल्टर किया जाएगा।
मंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान
ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ये कानून गांवों का पूरा विकास करेगा। हर गरीब को भरपूर रोजगार मिलेगा, उनकी इज्जत बचेगी। दिव्यांग, बुजुर्ग, महिलाएं, अनुसूचित जाति-जनजाति को अतिरिक्त सुरक्षा मिलेगी। सरकार ने इस योजना के लिए 95,000 करोड़ रुपये रखे हैं।विपक्ष का विरोध
बिल संसद में पास होने के समय विपक्ष ने जोरदार विरोध किया। कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाना गलत है। राज्य सरकारों पर ज्यादा बोझ पड़ेगा। कुछ ने इसे गरीबों के अधिकार कम करने वाला बताया। लेकिन सरकार ने कहा कि ये सुधार है, पारदर्शिता बढ़ेगी और गांव मजबूत होंगे।
'सरकार काम का अधिकार छीन रही है'
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बिल को मनरेगा की 'योजनाबद्ध हत्या' करार दिया है। उन्होंने कहा, 'यह सिर्फ मनरेगा का नाम बदलने की बात नहीं है। यह दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार योजना को खत्म करने की साजिश है। आज बात काम के अधिकार को छीनने की है। हमने जो अधिकार दिया था, सरकार उसे छीन रही है। नए कानून में सरकार जब मन करेगी, तब काम देगी। बाद में कह देगी कि डिमांड नहीं है, इसलिए काम नहीं मिलेगा।'मनरेगा बंद करने की साज़िश: प्रियंका
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस बिल का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा, 'इस बिल से मनरेगा खत्म होने जा रही है। हम इसका पूरी तरह विरोध करेंगे। सभी विपक्षी पार्टियां इस पर एकजुट हैं। 100 दिन से 125 दिन करने की बात सिर्फ एक चालाकी है। असल में इस बिल से योजना धीरे-धीरे बंद हो जाएगी। जैसे ही बजट का बोझ राज्यों पर डाला जाएगा, मनरेगा खत्म हो जाएगी।'
प्रियंका ने बताया कि मनरेगा गरीब से गरीब लोगों के लिए रोजगार का बड़ा सहारा थी। कोरोना जैसे संकट में भी यह योजना उनके साथ खड़ी रही। उन्होंने कहा कि यह बिल गरीब मजदूरों के खिलाफ है और हम इसका सख्त विरोध करेंगे। प्रियंका ने नाम बदलने की सरकार की आदत पर भी तंज कसा। उन्होंने पूछा कि महात्मा गांधी का नाम हटाने का मकसद क्या है? गांधी जी देश और दुनिया के सबसे बड़े नेता हैं, उनका नाम हटाना समझ से बाहर है।