'जब लोकतंत्र का एक अंग कर्तव्य निभाने में विफल हो तो क्या हम संविधान के रखवाले चुप बैठें?' मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई का यह धमाकेदार सवाल पूरे संवैधानिक ताने-बाने को हिला गया। प्रेसिडेंशियल रेफ़रेंस पर 10 दिनों की तीखी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फ़ैसला तो सुरक्षित रख लिया, लेकिन सीजेआई की तीखी टिप्पणी केंद्र सरकार को बड़ा संदेश दे गई!