पत्रकार संगठनों का कहना है कि मोदी सरकार के चारों प्रस्तावित कानून जनता के जानने के अधिकार (Right to Know) पर सीधा हमला हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि ब्रॉडकास्ट सर्विसेज रेगुलेशन बिल ओटीटी प्लेटफॉर्म और डिजिटल सामग्री को शामिल करने के लिए रेगुलेशन की बात कहता है। यह मौजूदा केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 की जगह लेगा। इसके जरिए अनिवार्य पंजीकरण और तमाम तीन स्तरीय रेगुलेशन का प्रस्ताव है।