रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर लगाए 50 फीसदी टैरिफ और रूसी तेल खरीद को लेकर लगे प्रतिबंधों पर कड़ा हमला किया है। भारत आजाद देश है और बाहरी दबावों से झुकता नहीं, यह कहते हुए पुतिन ने अमेरिका की 'दोहरी नीति' को बेनकाब किया। उन्होंने कहा, "अगर अमेरिका को रूसी तेल खरीदने का अधिकार है, तो भारत को क्यों न मिले वही विशेषाधिकार?" पुतिन की यह टिप्पणी तब आई है जब वह भारत के दो दिवसीय राजकीय दौरे पर हैं, जहां शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय व्यापार, ऊर्जा और रक्षा सहयोग पर चर्चा हो रही है।

इंडिया टुडे को दिए विशेष इंटरव्यू में पुतिन ने ट्रंप के हालिया बयानों का जवाब देते हुए कहा, "भारत के रूस से ऊर्जा संसाधनों की खरीद को लेकर उठ रही आलोचना अनुचित है। अमेरिका खुद अभी भी अपने परमाणु संयंत्रों के लिए हमसे न्यूक्लियर ईंधन खरीदता है। वह भी तो ईंधन ही है। अमेरिका के रिएक्टर हमारे ईंधन से चलते हैं। अगर अमेरिका को हमारा ईंधन खरीदने का हक है, तो भारत को क्यों न वही हक मिले?" पुतिन ने जोर देकर कहा कि भारत वैश्विक पटल पर प्रमुख खिलाड़ी है और प्रधानमंत्री मोदी किसी भी देश के दबाव में नहीं आते। "बाहरी दबाव अंततः विफल हो जाएगा, क्योंकि बाधाएं लगाने वाले देश खुद नुकसान झेलेंगे।"

ट्रंप ने अगस्त 2025 में भारत पर रूसी तेल खरीद के लिए अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया। यह किसी भी देश पर लगाया गया सबसे ऊंचा टैरिफ है। ट्रंप का तर्क है कि भारत की सस्ते रूसी तेल की खरीद मॉस्को की यूक्रेन युद्ध को वित्तीय सहायता दे रही है। लेकिन पुतिन ने ट्रंप की आलोचना करने से परहेज किया और कहा, "वह (ट्रंप) अच्छे विश्वास से काम कर रहे हैं, मुझे लगता है। उनके पास सलाहकार हैं जो मानते हैं कि व्यापारिक साझेदारों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। यह उनकी नीति है।" उन्होंने स्पष्ट किया कि रूस ऐसी चीजों का पालन नहीं करता और न ही भविष्य में करेगा। पुतिन ने कहा- "हमारी अर्थव्यवस्था खुली है। हम आशा करते हैं कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन अंततः सुधारा जाएगा।"

पुतिन के भारत दौरे पर सभी की नज़रें

पुतिन का भारत दौरा अमेरिकी दबावों के बीच हो रहा है। जब भारत के कच्चे तेल आयात दिसंबर 2025 में तीन साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने की कगार पर हैं। रॉयटर्स के अनुसार, ट्रंप प्रशासन द्वारा रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद भारत की प्रमुख तेल कंपनियां रूसी कच्चे तेल की खरीद लगभग पूरी तरह रोक चुकी हैं। अप्रैल-अगस्त 2025 में द्विपक्षीय व्यापार 28.25 अरब डॉलर तक गिर गया, जो मुख्य रूप से कच्चे तेल आयात में कमी के कारण है। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, यह दौरा प्रधानमंत्री मोदी के लिए कूटनीतिक चुनौती है। मॉस्को को भरोसा देना है और ट्रंप भी नाराज न हों।


मोदी-पुतिन शिखर सम्मेलन आज

हालांकि, शुक्रवार को होने वाले 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में दोनों नेता व्यापार, ऊर्जा और सैन्य प्रौद्योगिकी पर नए समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, रूस भारत को मिसाइल सिस्टम, फाइटर जेट्स और अन्य रक्षा उपकरणों की बिक्री बढ़ाने पर जोर दे रहा है। पुतिन ने कहा कि दोनों देशों के केंद्रीय बैंक व्यापार प्रतिबंधों को पार करने के उपाय ढूंढ लेंगे: "कुछ कठिनाइयां हैं, लेकिन समाधान भी हैं।" रूसी दूतावास ने पहले कहा था कि अगर भारतीय सामान अमेरिकी बाजार में नहीं जा पाते, तो वे रूस की ओर रुख कर सकते हैं।


विश्लेषकों का मानना है कि यह दौरा सोवियत काल से चली आ रही भारत-रूस साझेदारी को मजबूत करने का संकेत है। सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की कोशिश कर रहा है, लेकिन रूसी तेल पर निर्भरता को कम करने के लिए चीन के साथ भी संबंध सुधार रहा है। पुतिन का भारत दौरा रूस को वैश्विक साझेदार के रूप में मजबूत करने का प्रयास है, खासकर जब यूक्रेन युद्ध के कारण पश्चिमी प्रतिबंधों ने मॉस्को की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है।

यह विवाद वैश्विक ऊर्जा बाजार को भी हिला रहा है। पुतिन के बयान के बाद वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) तेल की कीमतें 80 सेंट प्रति बैरल उछल गईं, जो आपूर्ति जोखिम की आशंका को दर्शाता है। भारत के लिए यह मुद्दा ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों का संतुलन बनाने का है, जहां रूसी तेल सस्ता और प्रतिस्पर्धी विकल्प रहा है।

पुतिन की यह टिप्पणी न केवल अमेरिकी नीतियों पर सवाल उठाती है, बल्कि बहुपक्षीय व्यापार के सिद्धांतों को रेखांकित करती है। जैसे-जैसे शिखर सम्मेलन आगे बढ़ेगा, दुनिया की नजरें भारत की कूटनीति पर टिकी हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है क्या नई दिल्ली पश्चिम और पूर्व के बीच संतुलन बनाए रख पाएगी?