देशभर में एसआईआर के दौरान एक के बाद एक बीएलओ की मौत की आ रही ख़बरों के बीच राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और बीजेपी पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर के नाम पर पूरे देश में अफरा-तफरी मची हुई है, जिसके चलते पिछले तीन हफ्तों में 16 बूथ स्तर के अधिकारी यानी बीएलओ की मौत हो चुकी है। राहुल ने इसे 'थोपा गया जुल्म' क़रार देते हुए कहा कि यह लोकतंत्र पर हमला है और वोट चोरी की साजिश का हिस्सा है।

राहुल गांधी ने यह बयान एक ख़बर की रिपोर्ट का हवाला देते हुए दिया है जिसमें कहा गया है कि एसआईआर के दौरान 19 दिन में छह राज्यों में 16 बीएलओ की मौत हो गई। राहुल का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पश्चिम बंगाल, गुजरात और अन्य राज्यों से बीएलओ की मौत की ख़बरें लगातार सामने आ रही हैं, जो एसआईआर के दौरान अत्यधिक कार्यभार और तनाव से जुड़ी बताई जा रही हैं।

राहुल गांधी ने क्या कहा?

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक लंबा पोस्ट शेयर करते हुए अपनी बात रखी। उन्होंने लिखा, 'एसआईआर के नाम पर देश भर में अफ़रा-तफ़री मचा रखी है - नतीजा? तीन हफ्तों में 16 बीएलओ की जान चली गई। हार्ट अटैक, तनाव, आत्महत्या - एसआईआर कोई सुधार नहीं, थोपा गया ज़ुल्म है।'

उन्होंने आगे कहा है, 'ईसीआई ने ऐसा सिस्टम बनाया है जिसमें नागरिकों को खुद को तलाशने के लिए 22 साल पुरानी मतदाता सूची के हज़ारों स्कैन पन्ने पलटने पड़ें। मक़सद साफ़ है- सही मतदाता थककर हार जाए, और वोट चोरी बिना रोक-टोक जारी रहे। भारत दुनिया के लिए अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर बनाता है, मगर भारत का चुनाव आयोग आज भी काग़ज़ों का जंगल खड़ा करने पर ही अड़ा है।'

राहुल ने चुनाव आयोग की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा,
अगर नीयत साफ़ होती तो लिस्ट डिजिटल, सर्चेबल और मशीन-रीडेबल होती- और ईसीआई 30 दिन की हड़बड़ी में अंधाधुंध काम ठेलने के बजाय उचित समय ले कर पारदर्शिता और जवाबदेही पर ध्यान देता।
राहुल गांधी
लोकसभा में विपक्ष के नेता
उन्होंने आगे कहा, "एसआईआर एक सोची-समझी चाल है - जहां नागरिकों को परेशान किया जा रहा है और बीएलओ की अनावश्यक दबाव से मौतों को 'कॉलैटरल डैमेज' मान कर अनदेखा कर दिया गया है। यह नाकामी नहीं, षड्यंत्र है - सत्ता की रक्षा में लोकतंत्र की बलि है।"

SIR नोटबंदी व लॉकडाउन जैसा: खड़गे

राहुल के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी बीजेपी और ईसीआई पर निशाना साधा है। खड़गे ने कहा कि 'वोट चोरी ने अब जानलेवा रूप ले लिया है' और एसआईआर के कार्यभार से बीएलओ की मौतों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए जनता से अपील की कि वे इस मुद्दे पर आवाज उठाएँ।
खड़गे ने कहा, 'बीजेपी चोरी की सत्ता की मलाई खाने में व्यस्त है और चुनाव आयोग मूक दर्शक बने तमाशा देख रहा है। हड़बड़ी में… बिना प्लॉनिंग के जबरन एसआईआर लागू करना नोटबंदी और कोरोना लॉकडाउन की याद दिलाता है। सत्ता का दुरुपयोग कर संस्थानों से आत्महत्या करवाना, संविधान की धज्जियाँ उड़ाना और लोकतंत्र को दुर्बल बनाना बीजेपी की सत्ता की भूख का नतीजा है। अब बस!! अगर अभी भी हम नहीं जागे तो लोकतंत्र के आखरी स्तंभों को गिरने से कोई नहीं बचा सकता। जो लोग एसआईआर और वोट चोरी पर चुप हैं वो इन निर्दोष बीएलओ की मृत्यु के कसूरवार है। आवाज़ उठाइए, लोकतंत्र बचाइए!'

SIR क्या है और क्यों हो रहा विवाद?

एसआईआर यानी विशेष गहन संशोधन चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूचियों को अपडेट करने की एक विशेष प्रक्रिया है। यह फिलहाल पश्चिम बंगाल जैसे 12 राज्यों में चल रही है जहाँ बीएलओ को घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी सत्यापित करनी पड़ती है। इस प्रक्रिया में पुरानी मतदाता सूचियों के स्कैन किए गए पन्नों का इस्तेमाल होता है, जो अक्सर अस्पष्ट या असंगठित होते हैं। आयोग का दावा है कि एसआईआर से मतदाता सूचियाँ अधिक सटीक होंगी और फर्जी वोटिंग रोकी जा सकेगी। हालाँकि, विपक्षी दल इसे जल्दबाजी में थोपी गई प्रक्रिया बताते हैं, जो नागरिकों और बीएलओ दोनों को परेशान कर रही है।
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ईसीआई के अनुसार, एसआईआर का दूसरा चरण नवंबर में शुरू हुआ था, जिसमें बीएलओ को 30 दिनों के भीतर लाखों मतदाताओं की जानकारी अपडेट करनी है। लेकिन इस दौरान अत्यधिक दबाव के कारण स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। रिपोर्टों के मुताबिक़, एसआईआर के दौरान बीएलओ को लंबे घंटे काम करना पड़ता है, जिससे तनाव, हृदयाघात और यहाँ तक कि आत्महत्या जैसी घटनाएँ हो रही हैं।

मौत के कैसे कैसे मामले आए?

बंगाल के नादिया ज़िले के कृष्णानगर में शनिवार को एक बीएलओ महिला टीचर ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने कथित तौर पर सुसाइड नोट में चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया है। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शांति मुनी एका ने 18 नवंबर को आत्महत्या कर ली। परिवार का कहना है कि एसआईआर के दबाव से वह बेहद तनाव में थीं। इसी तरह, नदिया जिले में एक महिला बीएलओ की लाश मिली, जिसे परिवार ने तनाव से जोड़ा।

गुजरात में रमेश भरमा नामक बीएलओ की हार्ट अटैक से मौत हो गई। परिवार ने एसआईआर के कार्यभार को जिम्मेदार ठहराया। इनके अलावा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और केरल से भी मौतों की खबरें आ रही हैं। ये मौतें एसआईआर की शुरुआत से ही सामने आ रही हैं, और विपक्ष का कहना है कि ईसीआई ने बीएलओ की क्षमता और स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दिया।
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ममता का ईसीआई से सवाल

बंगाल के नादिया ज़िले में घटी घटना पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग से कड़े सवाल किए हैं। उन्होंने कहा, 'कृष्णानगर में शनिवार को एक बीएलओ महिला टीचर ने आत्महत्या कर ली, यह जानकर गहरा सदमा लगा है। एसी 82 छपरा के भाग संख्या 201 की बीएलओ, श्रीमती रिंकू तरफदार ने आज (शनिवार) अपने आवास पर आत्महत्या करने से पहले अपने सुसाइड नोट में चुनाव आयोग को दोषी ठहराया है। और कितनी जानें जाएँगी? इसके लिए और कितने लोगों को मरना होगा महोदय? इस प्रक्रिया के लिए हमें और कितनी लाशें देखनी पड़ेंगी? यह अब वाकई चिंताजनक हो गया है!'
हालाँकि, चुनाव आयोग ने बार-बार इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि एसआईआर एक आवश्यक प्रक्रिया है जो मतदाता सूचियों की शुद्धता सुनिश्चित करती है। आयोग ने मौतों को 'व्यक्तिगत कारण' बताते हुए राजनीतिकरण न करने को कहा है।

अखिलेश यादव का हमला

समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि यूपी में एसआईआर के नाम पर बड़ी साज़िश चल रही है। उन्होंने चुनाव आयोग और बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि दोनों मिलकर स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी एसआईआर का दुरुपयोग कर विधानसभा क्षेत्रों से 50 हजार से अधिक वोट काटने की साजिश रच रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि खास तौर पर उन विधानसभा क्षेत्रों को निशाना बनाया जा रहा है जहाँ 2024 लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने जीत हासिल की थी।
अखिलेश यादव ने कन्नौज में पत्रकारों से कहा, 'इस बार लाखों शादियाँ हैं और उसी समय चुनाव आयोग एसआईआर करा रहा है। रिवीजन न बोलें उसको, ये मानकर चलिए कि वोटर लिस्ट नयी बन रही है। नयी इसलिए बना रहे हैं क्योंकि 2024 में ये लोग हार गये थे। 2024 की हार को जीत में बदलने के लिए जहाँ जहाँ समाजवादी पार्टी जीती है वहाँ पर 50 हज़ार वोट कम करने जा रहे हैं ये लोग। ये यूपी की स्थिति है और ऐसा ही वो बंगाल में करने जा रहे हैं। वहाँ तो ममता जी की सरकार है वो रोक लेंगी और वह लड़ रही हैं, लेकिन यहाँ सरकार हमारी नहीं है।'