Ladakh Latest Sonam Wangchuk Rahul Gandhi: राहुल गांधी ने लद्दाख की संस्कृति पर हमला करने के लिए भाजपा की निंदा की। उन्होंने राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की माँग का समर्थन किया।
लद्दाख के लोग लगातार अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं
लद्दाख में चल रहे आंदोलन को कांग्रेस सांसद और नेता विपक्ष राहुल गांधी ने खुला समर्थन दे दिया है। राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) लद्दाख की अनूठी संस्कृति और परंपराओं पर हमला कर रहे हैं। उन्होंने लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की है। राहुल ने पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तारी की भी निन्दा की है। सोनम की गिरफ्तारी को लेकर लद्दाख में आक्रोश बढ़ रहा है।
लद्दाख में 24 सितंबर को हुई हिंसक झड़पों में चार युवकों की मौत हो गई और करीब 80 लोग घायल हुए। प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय भाजपा कार्यालय को आग लगा दी और वाहनों में तोड़फोड़ की। पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर किया। इस हिंसा के लिए वांगचुक के "उत्तेजक" बयानों को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया। गृह मंत्रालय ने आरोप लगाया कि वांगचुक ने अरब स्प्रिंग और नेपाल के जेन जी प्रदर्शनों का जिक्र कर भीड़ को भड़काया।
लद्दाख को आवाज़ दोः राहुल गांधी
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर केंद्र सरकार की कड़ी निंदा की। उन्होंने लिखा, "लद्दाख के अद्भुत लोग, संस्कृति और परंपराएं भाजपा और आरएसएस के हमले के अधीन हैं। लद्दाखियों ने अपनी आवाज की मांग की, तो भाजपा ने जवाब में चार युवकों की हत्या कर दी और सोनम वांगचुक को जेल में डाल दिया।" उन्होंने कहा, "हत्या बंद करो। हिंसा बंद करो। धमकी बंद करो। लद्दाख को आवाज दो। उन्हें छठी अनुसूची दो।" गांधी ने मांग की कि केंद्र सरकार फौरन बातचीत शुरू करे और लद्दाख को संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करे।सोनम वांगचुक एसईसीएमओएल संस्थान के संस्थापक हैं, ने 10 सितंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की थी। उन्होंने राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची में शामिल होने और जनजातीय क्षेत्रों के लिए अधिक स्वायत्तता की मांग की। मंगलवार को अपनी 15 दिनों की हड़ताल समाप्त करने के बाद वांगचुक ने समर्थकों से हिंसा से बचने की अपील की थी। उन्होंने कहा, "जेन जी की उन्मादी भीड़ ने शांति प्रक्रिया को बाधित किया। हमें अहिंसक तरीके से संघर्ष जारी रखना चाहिए।"
सरकार ने वांगचुक के नेतृत्व वाले एसईसीएमओएल संस्थान का एफसीआरए (विदेश से चंदा लेने का कानून) लाइसेंस रद्द कर दिया है। सरकार ने उसे हिंसा से जोड़ा है। लद्दाख के डीजीपी एसडी सिंह जामवाल ने खुलासा किया कि पाकिस्तान के एक पीआईओ (खुफिया अधिकारी) को गिरफ्तार किया गया, जो कथित तौर पर वांगचुक से संपर्क में था। हालांकि इन तमाम आरोपों पर विवाद है।
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन ने वांगचुक की गिरफ्तारी की निंदा की है और इसे "विचहंटिंग एजेंडा" करार दिया। पार्टी ने कहा कि यह केंद्र सरकार की दमनकारी नीतियों का हिस्सा है।
लद्दाख में 2019 से ही चल रहा है आंदोलन
लद्दाख को 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, लेकिन स्थानीय संगठनों जैसे लेह एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस ने राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची (जो जनजातीय क्षेत्रों को स्वायत्तता प्रदान करती है) की मांग तेज कर दी। उच्च स्तरीय समिति और उप-समितियों के माध्यम से इन संगठनों के साथ सरकार की बातचीत चल रही है, लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया धीमी और अप्रभावी है।यह आंदोलन लोकतंत्र की पहचान, पर्यावरण और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए एक बड़ा संघर्ष बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मांगें पूरी न हुईं तो यह आंदोलन और उग्र हो सकता है। केंद्र सरकार की ओर से बातचीत की पहल की गई है लेकिन उसकी रफ्तार बहुत सुस्त है।