loader

फिर साबित हो गया राहुल गाँधी हैं भारतीय नागरिक

एक बार फिर यह साबित हो गया कि राहुल गाँधी भारतीय नागरिक ही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें यह माँग की गई थी कि कोर्ट चुनाव आयोग को यह निर्देश दे कि राहुल गाँधी को तब तक चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए जब तक उनकी नागरिकता पर फ़ैसला न आ जाए। कोर्ट के इस फ़ैसले के साथ ही अब कांग्रेस के इस दावे को बल मिलता है कि राहुल की नागरिकता पर सवाल उठाना पूरी तरह बकवास है। चुनाव के दौरान फिर से दायर की गई याचिक पर इसलिए सवाल उठ रहे थे कि जब सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में पहले दायर की गई याचिका को खारिज कर चुका है तो आख़िर क्यों बार-बार राहुल गाँधी की नागरिकता के मुद्दे को उठाया जा रहा था।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ताओं के उस तर्क को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने दलील दी थी कि 2005-06 में इंग्लैंड की एक कंपनी की सालाना रिपोर्ट में कथित रूप से राहुल गाँधी को एक ब्रिटिश नागरिक के रूप में बताया गया था।

कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ताओं से कहा, 'यदि कोई कंपनी कुछ फॉर्म में उनकी नागरिकता ब्रिटेन की बताती है तो क्या वह ब्रिटिश नागरिक हो जाएँगे।'

पिछले हफ़्ते ही सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी और माँग की गई थी कि वह केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को निर्देश दे कि राहुल गाँधी को इस मामले के निपटारे तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी जाए। इससे पहले गृह मंत्रालय ने राहुल गाँधी को नोटिस देकर एक पखवाड़े में सफ़ाई माँगी थी कि वह उनकी नागरिकता पर शिकायत पर 'वास्तविक स्थिति' साफ़ करें।

इस मामले में याचिकाकर्ता जय भगवान गोयल और सी.पी. त्यागी ने माँग की थी कि राहुल को उत्तर प्रदेश की अमेठी और केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ने से रोका जाए। इससे पहले बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी राहुल की नागरिकता के मुद्दे को उठाते रहे हैं और उन्होंने पिछले महीने ही गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर इस पर कार्रवाई की माँग की थी।

ताज़ा ख़बरें

स्वामी ने उठाये बार-बार सवाल

बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने 2015 में सबसे पहले इस सवाल को उठाया था। स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि राहुल गाँधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है और उनकी भारतीय नागरिकता और संसद की सदस्यता को रद्द कर दिया जाए। इस मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई थी। लेकिन अदालत ने इसकी सीबीआई जाँच कराने की माँग वाली याचिका को खारिज कर दिया था।

बाद में 2016 में एक बार फिर इस मुद्दे को उठाया गया। तब बीजेपी सांसद महेश गिरी ने लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिख कर राहुल गाँधी की नागरिकता को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की माँग की थी। इस मामले को लोकसभा की एथिक्स कमेटी के पास भेजा गया था। इस कमेटी के अध्यक्ष वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी थे। एथिक्स कमेटी ने राहुल से पूछा था कि क्या उन्होंने कभी ख़ुद को ब्रिटिश नागरिक घोषित किया था? समिति को दिए जवाब में राहुल ने कहा था कि ऐसा सिर्फ़ उनकी छवि को ख़राब करने के लिए किया जा रहा है।

राहुल ने अपने जवाब में कहा था कि उन्होंने कभी भी ब्रिटिश नागरिकता नहीं माँगी और वह सिर्फ़ भारतीय हैं। राहुल ने तब सुब्रमण्यन स्वामी को चुनौती देते हुए कहा था कि वह उनके ब्रिटिश नागरिक होने और उनके पासपोर्ट के संबंध में सबूत जारी करें।

देश से और ख़बरें

स्वामी ने किस आधार पर लगाए थे आरोप

बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने सितंबर 2017 में राहुल की नागरिकता पर शिकायत की थी और इस साल अप्रैल में फिर से इसी शिकायत को दुबारा भेजा। इसके बाद ही गृह मंत्रालय ने ऐन चुनाव के समय राहुल गाँधी को नोटिस भेज दिया। इस शिकायत में दावा किया गया था कि राहुल गाँधी यूनाइटेड किंगडम में 2003 में रजिस्टर्ड कंपनी बैकॉप्स लिमिटेड के निदेशक थे और यह कंपनी हैम्पशायर के विन्चस्टर में थी। इसी शिकायत में उन्होंने दावा किया था कि उस कंपनी द्वारा अक्टूबर 2005 और 2006 में दाखिल किये गये रिटर्न्स में राहुल की नागरिकता ब्रिटिश दर्शायी गयी थी। इसमें कहा गया था कि बकॉप्स लिमिटेड के 2009 के दस्तावेजों में भी उनकी नागरिकता ब्रिटिश बतायी गयी थी।

अमेठी चुनाव में भी उठाया गया सवाल

कुछ दिन पहले अमेठी लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी ध्रुव लाल ने भी कहा था कि राहुल गाँधी ब्रिटिश नागरिक हैं, इसलिए उनका नामाँकन रद्द किया जाए। हालाँकि बाद में निर्वाचन अधिकारी ने राहुल के नामाँकन की जांच कर इसे वैध करार दिया था। 

ध्रुव लाल की ओर से कहा गया था कि राहुल गाँधी का असली नाम राउल विंची है और उनके पास ब्रिटिश नागरिकता है। आरोप लगाने वाले निर्दलीय प्रत्याशी ध्रुव लाल अमेठी के ही रहने वाले हैं। ध्रुव के वकीलों का दावा था कि राहुल गाँधी ने ग़लत दस्तावेज दिए हैं और निर्वाचन अधिकारी को गुमराह करने की कोशिश की। 

अब सवाल यह है कि जब सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में दायर याचिका को खारिज कर चुका है तो क्या अब राहुल गाँधी की नागरिकता के मुद्दे को अब नहीं उठाया जाएगा?

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें