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क्या दलित या पिछड़े वर्ग से होगा अगला कांग्रेस अध्यक्ष?

कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़े की पेशकश कर चुके राहुल गाँधी अब अपने फ़ैसले से टस से मस होने के लिए तैयार नहीं हैं। हालाँकि पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गाँधी को अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए राज़ी करने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं। लेकिन राहुल ने इन नेताओं से साफ़ कह दिया है कि वह संसद में तो बतौर पार्टी नेता ज़िम्मेदारी लेने के लिए पूरी तरह तैयार हैं लेकिन अध्यक्ष पद किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगे। राहुल ने पार्टी नेताओं को नया अध्यक्ष चुनने के लिए एक महीने का समय दिया है। राहुल गाँधी की ज़िद के चलते कोई वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए जल्द कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई जा सकती है।

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बीते शनिवार को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इस्तीफ़े की पेशकश करने के बाद से ही राहुल गाँधी की मान-मनोव्वल का दौर जारी है लेकिन अभी तक कोई नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है। सोमवार को भी राहुल गाँधी ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं अहमद पटेल और केसी वेणुगोपाल से साफ़-साफ़ कह दिया था कि वे पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया शुरू करें।
मंगलवार को भी कई वरिष्ठ नेताओं ने राहुल गाँधी से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात में भी राहुल गाँधी ने महीने भर के भीतर पार्टी का नया अध्यक्ष चुनने के लिए कहा है। राहुल गाँधी की ज़िद के आगे पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता ख़ुद को लाचार पा रहे हैं।
मंगलवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के अलावा पार्टी के कम्युनिकेशन विभाग के अध्यक्ष रणदीप सुरजेवाला ने राहुल गाँधी से उनके घर 12A, तुगलक लेन जाकर मुलाक़ात की। सूत्रों के मुताबिक़, गहलोत और पायलट की मुलाक़ात राजस्थान में सरकार पर मंडरा रहे ख़तरे को लेकर थी। वहीं, सूत्रों का यह भी दावा है कि राहुल गाँधी से मिलने से पहले गहलोत ने प्रियंका गाँधी वाड्रा से भी मुलाकात की थी।
राहुल के घर सबसे पहले प्रियंका गाँधी पहुँचीं। उनके बाद वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला और सचिन पायलट पहुँचे। कुछ देर बाद सुरजेवाला और सचिन पायलट वहाँ से चले गए। दोनों नेताओं के जाने के बाद गहलोत, राहुल गाँधी के आवास पर पहुँचे और काफ़ी देर तक बैठक में मौजूद रहे।
इस बैठक में किन मुद्दों पर और क्या बातचीत हुई, इस बारे में पार्टी की तरफ़ से आधिकारिक रूप से कुछ नहीं बताया गया। लेकिन समझा जाता है कि राजस्थान सरकार पर मंडराये संकट के साथ-साथ राहुल गाँधी के इस्तीफ़े की पेशकश के बाद उपजे अंदरूनी संकट से निपटने को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई है। बैठक में शामिल कोई भी नेता बैठक में हुई बातचीत को लेकर मुँह खोलने को तैयार नहीं है। इसलिए पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि बैठक में किन मुद्दों पर और क्या बातचीत हुई। लेकिन इस बैठक के बाद अशोक गहलोत को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा ज़रूर शुरू हो गई है।
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कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि अगर राहुल गाँधी नहीं मानते हैं तो फिर पिछड़े वर्ग या दलित वर्ग में से किसी कद्दावर नेता को अध्यक्ष बनाकर पार्टी की कमान उन्हें सौंपी जा सकती है। सूत्र किसी भी नाम को लेकर पूरी तरह ख़ामोश हैं लेकिन पार्टी के अंदर यह चर्चा शुरू हो गई है कि अगर राहुल गाँधी के अलावा किसी और को ही अध्यक्ष बनाना है तो अध्यक्ष ऐसा होना चाहिए जिसे संगठन चलाने का लंबा तजुर्बा हो और संगठन पर उसकी पकड़ भी हो।

ऐसे में कांग्रेस मुख्यालय की हवाओं में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक का नाम तैरने लगा है। दोनों ही नेता संगठन कौशल के माहिर माने जाते हैं लेकिन फिलहाल राहुल गाँधी दोनों से ही नाराज़ हैं। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि राहुल गाँधी की नाराज़गी इनके अध्यक्ष बनने में आड़े आ सकती है।

वैसे, कांग्रेस में पिछड़े वर्ग के नेताओं की कमी है लेकिन दलित नेताओं की कमी नहीं है। मगर इनमें से फिलहाल कोई भी नेता ऐसा नहीं दिखता जिसके कंधों पर कांग्रेस की ज़िम्मेदारी डाली जा सके और वह ज़िम्मेदारी को पूरी तरह निभा सके।
यूँ तो कांग्रेस में कई हाई प्रोफ़ाइल दलित नेता हैं। इनमें मीरा कुमार, सुशील कुमार शिंदे और मलिकार्जुन खड़गे जैसे बड़े नाम शामिल हैं। लेकिन ये तीनों ही नेता लोकसभा चुनाव जीतने में नाकाम रहे हैं। लिहाज़ा पार्टी इन के कंधों पर ज़िम्मेदारी डाल कर कोई जोख़िम नहीं उठाना चाहेगी।सबसे बड़ा सवाल यह है कि पार्टी की बुरी तरह हार और अमेठी से लोकसभा चुनाव हारने की ज़िम्मेदारी अगर राहुल गाँधी ख़ुद ले रहे हैं तो फिर नया अध्यक्ष ऐसी शख़्सियत को बनाना होगा जो जीत कर आया हो और आगे जीत का भरोसा दिलाने में भी सक्षम हो। फिलहाल कांग्रेस के दिग्गज ऐसे किसी नाम की तलाश करने में जुटे हैं।

कांग्रेस के सामने नया अध्यक्ष चुनने में सबसे बड़ी चुनौती यही आ रही है कि चुनाव में उसके सभी दिग्गज औंधे मुँह गिरे हैं। अपने सबसे बुरे दौर और सबसे बड़े आंंतरिक संकट से गुजर रही कांग्रेस को नया अध्यक्ष चुनने के बारे में पार्टी के बाहर से भी राय मिल रही है।
कुछ लोगों ने यह राय दी है कि राहुल गाँधी प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस का चेहरा बने रहें और बतौर अध्यक्ष योगेंद्र यादव को पार्टी की कमान सौंप दी जाए। योगेंद्र यादव लंबे समय तक चुनाव विश्लेषक रहे हैं। बाद में वह आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे और आम आदमी पार्टी को दिल्ली में सत्ता में लाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आम आदमी पार्टी से निकाले जाने के बाद वह 'स्वराज अभियान' चला रहे हैं और किसानों के मुद्दों को जोर-शोर से उठा रहे हैं। एग्ज़िट पोल में बीजेपी के तीन सौ से ज़्यादा सीटें हासिल करने के अनुमान के बाद योगेंद्र यादव ने कहा था कि अगर ये अनुमान सही साबित होते हैं तो कांग्रेस को 'मर जाना चाहिए।'

हालाँकि कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेताओं को लगता है कि राहुल गाँधी अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए राज़ी हो जाएँगे। पार्टी संगठन के काम की जिम्मेदारी बांटने के लिए किसी वरिष्ठ नेता को उनका राजनीतिक सलाहकार या राजनीतिक सचिव नियुक्त किया जा सकता है। साथ ही दो या तीन कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। 

लेकिन अगर राहुल गाँधी अपनी जिद पर अड़े रहते हैं तो पार्टी को अपने भीतर से ही अध्यक्ष पद के लिए कोई ऐसा नाम खोजना होगा जिसके नाम पर पार्टी में आम राय हो और वह भविष्य में पार्टी को जिताने में सक्षम हो। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती है।
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यूसुफ़ अंसारी
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