कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को एक वीडियो साझा कर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। इस वीडियो में राहुल गांधी बिहार के उन लोगों के साथ चाय पीते नजर आ रहे हैं, जिन्हें कथित तौर पर चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में ‘मृत’ घोषित कर दिया, जबकि वे जीवित हैं। राहुल ने इस मुद्दे को उठाते हुए चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में अनियमितताओं का आरोप लगाया और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया।

सवाल ये है कि क्या इस वीडियो के बाद भी सुप्रीम कोर्ट यही कहेगा कि उसने यह वीडियो नहीं देखा। क्योंकि राहुल गांधी ने जिस प्रेस कॉन्फ्रेंस में वोट चोरी का सबूत दिया था, उसके बारे में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि उसने वो प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं देखी या सुनी। क्या राहुल के इस ताजा वीडियो के बाद भारत का चुनाव आयोग जागेगा या फिर वीडियो में शामिल मृत लोगों को फिर से मृत बता देगा। यह सवाल चुनाव आयोग से पूछा जाना चाहिए कि अगर ये लोग मृत हैं तो जिन्दा कैसे हो गए।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर वीडियो साझा करते हुए तंज कसते हुए लिखा, “मेरे जीवन में कई रोचक अनुभव हुए हैं, लेकिन ‘मृत लोगों’ के साथ चाय पीने का मौका कभी नहीं मिला। धन्यवाद, चुनाव आयोग, इस अनोखे अनुभव के लिए!” वीडियो में राहुल उन लोगों से बातचीत करते दिख रहे हैं, जो दावा करते हैं कि उन्हें मतदाता सूची में मृत दिखाया गया है। राहुल ने एक व्यक्ति से पूछा, “मैंने सुना है कि आप लोग जीवित नहीं हैं। चुनाव आयोग ने आपको मार दिया है।” जवाब में, एक व्यक्ति ने बताया कि उन्हें चुनाव आयोग की मतदाता सूची से इसकी जानकारी मिली।
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राहुल के वीडियो में एक व्यक्ति ने दावा किया कि बिहार के एक पंचायत में ही कम से कम 50 ऐसे मामले हैं, जहां जीवित लोगों को मृत दिखाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव के निर्वाचन क्षेत्र में कई जीवित मतदाताओं को मृत के रूप में दर्ज किया गया। लोगों ने आरोप लगाया कि उनके पास इसकी लिखित साक्ष्य भी हैं और कुछ ने तो अपने वोटिंग अधिकार को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में छह घंटे तक इंतजार किया।
राहुल गांधी ने इस वीडियो के जरिए चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और कहा कि आयोग ने इन मामलों पर कोई जानकारी नहीं दी। उन्होंने और अन्य लोगों ने मांग की कि बिहार में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए राजनीतिक नेताओं को एकजुट होना चाहिए।
यह वीडियो ऐसे समय में सामने आया है, जब विपक्ष, खासकर राहुल गांधी, लगातार चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में हेरफेर और ‘वोट चोरी’ के आरोप लगा रहे हैं। इससे पहले 7 अगस्त को, राहुल ने कर्नाटक की मतदाता सूची का हवाला देते हुए दावा किया था कि बैंगलोर सेंट्रल लोकसभा सीट के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में ‘भयंकर चोरी’ हुई है। हालांकि, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें भ्रामक करार दिया।
विपक्ष के इन आरोपों के जवाब में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राहुल गांधी पर पलटवार किया। भाजपा ने उनके दावों को ‘निराधार’ बताया और कहा कि वे अपनी हार को छिपाने के लिए चुनाव आयोग की छवि खराब कर रहे हैं।
यह विवाद बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले और गहरा गया है, जहां विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) प्रक्रिया चल रही है। राहुल गांधी और विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने की योजना बनाई है, जिसमें बिहार में 17 अगस्त से 1 सितंबर तक एक यात्रा भी शामिल है।
चुनाव आयोग ने अभी तक इस ताजा वीडियो पर कोई नया जवाब नहीं दिया है, लेकिन उसने पहले कहा था कि मतदाता सूची में डुप्लिकेशन या त्रुटियां प्रशासनिक प्रक्रियाओं, जैसे पते के अपडेट या निर्वाचन क्षेत्र में बदलाव के कारण हो सकती हैं, और प्रत्येक मामले की जांच की जाती है।