उन्होंने आरोप लगाया कि नेशनल ओवरसीज स्कॉलरशिप के तहत चुने गए 106 छात्रों में से 66 वंचित छात्रों को केवल इस वजह से छात्रवृत्ति नहीं दी गई क्योंकि सरकार के पास फंड नहीं है। "लेकिन मोदी जी की विदेश यात्राओं, प्रचार और इवेंट्स पर हजारों करोड़ रुपये बिना किसी झिझक के खर्च कर दिए जाते हैं।"
राहुल गांधी ने सरकार से अपील की कि इस निर्णय को तत्काल वापस लिया जाए और उन 66 छात्रों को विदेश भेजा जाए जिन्हें छात्रवृत्ति से वंचित किया गया है।
उन्होंने कहा, "मोदी सरकार को यह अमानवीय फैसला तुरंत वापस लेना होगा। हम बहुजन समाज के छात्रों से उनका शिक्षा का मूल अधिकार छिनने नहीं देंगे।"
कांग्रेस नेता ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर भी हमला करते हुए कहा कि ये संगठन पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए अवसरों में बाधा डालते हैं और उनके विकास की राह में रोड़े अटकाते हैं।
“भाजपा-आरएसएस के नेताओं के बच्चों के लिए विदेश में पढ़ाई कोई समस्या नहीं होती, लेकिन जैसे ही कोई बहुजन छात्र आगे बढ़ता है, पूरा सिस्टम उसके रास्ते में अड़चनें पैदा करने लगता है,” राहुल गांधी ने कहा।
उन्होंने आगे कहा, “कहीं सरकारी स्कूलों की संख्या कम कर देना, कहीं ‘उपयुक्त नहीं पाया गया’ कहकर अवसरों के दरवाज़े बंद कर देना और मेहनत से हासिल छात्रवृत्तियाँ छीन लेना – ये सिर्फ़ अन्याय नहीं, बल्कि बहुजन शिक्षा का खुला विरोध है। यह मनुवादी सोच आज फिर एकलव्य से उसका अंगूठा मांग रही है।”
राहुल गांधी के इस बयान के बाद बहुजन समाज और छात्र संगठनों के बीच भी नाराज़गी की लहर है, और सोशल मीडिया पर छात्रों को समर्थन देने की अपीलें तेज़ हो गई हैं।