आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट से नाम हटाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक नया नियम लागू किया है तो राहुल गांधी ने सीईसी ज्ञानेश कुमार पर हमला बोला।
सीईसी ज्ञानेश कुमार और राहुल गांधी
राहुल गांधी के आलंद में 'वोट चोरी' के आरोप के बाद चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से नाम हटाए जाने को लेकर बड़ा क़दम उठाया है। आयोग ने ऑनलाइन वोटर डिलीशन के लिए आधार लिंक्ड फोन नंबर को अनिवार्य कर दिया है। तो सवाल उठ रहे हैं कि
राहुल गांधी द्वारा आरोप लगाए जाने पर चुनाव आयोग ने जब कहा था कि उसका सिस्टम पूरा मज़बूत है और कोई भी किसी का नाम नहीं हटा सकता है तो फिर इसने यह ताज़ा बदलाव क्यों किया? इस सवाल का जवाब राहुल गांधी की प्रतिक्रिया में ढूंढा जा सकता है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, 'ज्ञानेश जी, हमने चोरी पकड़ी तब आपको ताला लगाना याद आया - अब चोरों को भी पकड़ेंगे। तो बताइए, CID को सबूत कब दे रहे हैं आप?' राहुल गांधी ने यह टिप्पणी तब की है जब चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट से नाम हटाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक नया नियम लागू किया है। यह नियम तब लागू किया गया है जब
पिछले हफ़्ते ही राहुल गांधी ने कर्नाटक की आलंद सीट पर कथित वोट चोरी का मुद्दा बनाया था।
आलंद में 'वोट चोरी' का मामला
राहुल गांधी ने 18 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में 6018 वोटरों के नाम हटाने की कोशिश का खुलासा किया। उन्होंने दावा किया कि यह हेरफेर सुनियोजित तरीके से किया गया, जिसमें कर्नाटक के बाहर के मोबाइल नंबरों का उपयोग करके ऑनलाइन फॉर्म 7 के जरिए वोटरों के नाम हटाए गए। राहुल ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए कहा कि दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक मतदाताओं को विशेष रूप से निशाना बनाया गया।
उन्होंने कहा कि एक मतदाता सूर्यकांत के नाम पर 12 अन्य लोगों के वोट हटाने की कोशिश की गई थी, बिना उनकी जानकारी के। एक अन्य उदाहरण में गोदाबाई नाम की मतदाता के नाम से 12 लोगों के वोट हटाने का आवेदन दिया गया था, जबकि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं थी।
राहुल ने आरोप लगाया कि यह सब एक ऑटोमेटेड सॉफ्टवेयर के ज़रिए किया गया और कर्नाटक सीआईडी द्वारा 18 पत्रों के माध्यम से मांगे गए डेस्टिनेशन IP, डिवाइस पोर्ट, और OTP ट्रेल्स जैसे सबूतों को चुनाव आयोग ने साझा नहीं किया।
चुनाव आयोग का जवाब
राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देते हुए, चुनाव आयोग ने इन्हें आधारहीन और गलत करार दिया। आयोग ने साफ़ किया कि कोई भी आम नागरिक ऑनलाइन वोटर लिस्ट से नाम नहीं हटा सकता और नाम हटाने से पहले संबंधित व्यक्ति को अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाता है। आयोग ने यह भी बताया कि 2023 में आलंद में वोटर डिलीशन के असफल प्रयासों के लिए FIR दर्ज की गई थी और कलबुर्गी पुलिस को जांच सौंपी गई थी।
डिलीशन के लिए अब नियम में बदलाव क्यों?
राहुल के इन आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने एक नया 'ई-साइन' फीचर लॉन्च किया है। इसके तहत अब वोटर लिस्ट से नाम हटाने (फॉर्म 7), नए रजिस्ट्रेशन (फॉर्म 6), या सुधार (फॉर्म 8) के लिए आवेदन करने वाले को आधार से जुड़े मोबाइल नंबर के जरिए अपनी पहचान सत्यापित करनी होगी। इस प्रक्रिया में आवेदक को ECI पोर्टल पर आधार नंबर दर्ज करना होगा और OTP सत्यापन के बाद ही आवेदन स्वीकार किया जाएगा। आयोग का कहना है कि यह कदम मतदाता पहचान के दुरुपयोग को रोकने और आलंद जैसे मामलों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उठाया गया है।
वोट चोरी का मॉडल कई राज्यों में: राहुल
राहुल गांधी ने दावा किया कि यह 'वोट चोरी' का मॉडल न केवल कर्नाटक और महाराष्ट्र, बल्कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, और बिहार जैसे राज्यों में भी लागू हो रहा है। राहुल ने कहा कि उनकी पार्टी जल्द ही इस मामले में और बड़े खुलासे करेगी, जिसे उन्होंने 'हाइड्रोजन बम' क़रार दिया है।
उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त पर वोट चोरों को संरक्षण देने का आरोप लगाया और मांग की कि कर्नाटक सीआईडी को सात दिनों के भीतर सबूत उपलब्ध कराए जाएं, अन्यथा देश यह मानेगा कि आयोग संविधान की हत्या में शामिल है।
बीजेपी का पलटवार
बीजेपी ने राहुल के आरोपों को निराधार और सियासी ड्रामा करार दिया। बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल न तो कानून समझते हैं और न ही संविधान और जनता उन्हें बार-बार खारिज कर चुकी है। अनुराग ठाकुर ने तंज कसते हुए कहा कि राहुल हाइड्रोजन बम फोड़ने की बात कर रहे थे, लेकिन यह फुलझड़ी निकली। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने दावा किया कि कांग्रेस अपनी हार को पचा नहीं पा रही है और चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाकर लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।
राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के आरोपों ने भारतीय राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। चुनाव आयोग के नए ई-साइन नियम से वोटर लिस्ट में हेरफेर की संभावना को कम करने की कोशिश की गई है, लेकिन राहुल और कांग्रेस का कहना है कि यह कदम उनकी शिकायतों के बाद ही उठाया गया।