Nehru Babri Masjid Rajnath: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दावा है कि जवाहरलाल नेहरू ने बाबरी मस्जिद के लिए जनता से धन माँगा था; सरदार पटेल ने इसका विरोध किया था। कांग्रेस ने इस दावे को निराधार बताया। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इसे फर्जी इतिहास बताया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल पर बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया है
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को गुजरात के वडोदरा में सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर आयोजित 'यूनिटी मार्च' के दौरान विवादित दावा किया। उन्होंने कहा कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बाबरी मस्जिद निर्माण के लिए सार्वजनिक धन (टैक्सपेयर्स का पैसा) लेना चाहते थे, लेकिन सरदार पटेल ने इसका कड़ा विरोध कर इसे रोका। सिंह ने पटेल को 'सच्चा धर्मनिरपेक्ष' बताते हुए कहा कि वे तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ थे। राजनाथ के इस दावे को लोगों ने खारिज कर दिया है।
रक्षा मंत्री ने अपने भाषण में कहा, "पंडित जवाहरलाल नेहरू अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनाने के लिए सार्वजनिक धन का इस्तेमाल करना चाहते थे। यदि किसी ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, तो वह सरदार वल्लभभाई पटेल थे।" उन्होंने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का उदाहरण देते हुए बताया कि पटेल ने इसे सार्वजनिक दान से ही कराया, जिसमें 30 लाख रुपये जुटाए गए, लेकिन कोई सरकारी धन नहीं लगा। इसी तरह, अयोध्या में मौजूदा राम मंदिर का निर्माण भी पूरी तरह जनता के योगदान से हो रहा है। सिंह ने नेहरू पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक ताकतें पटेल की विरासत को मिटाने की कोशिश करती हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे पुनर्स्थापित किया।
इतिहास ने क्या दर्ज किया है
रक्षा मंत्री के इस दावे पर विपक्ष और जनता ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। इतिहासकारों और अभिलेखागार के अनुसार, बाबरी मस्जिद का निर्माण 1528 में मुगल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा कराया गया था। यह मस्जिद पहले से मौजूद थी और नेहरू के कार्यकाल (1947-1964) में इसके 'नए निर्माण' का कोई प्रस्ताव या प्रमाण नहीं मिलता। हकीकत में, नेहरू सरकारी धन के धार्मिक स्थलों में इस्तेमाल के सख्त खिलाफ थे। उदाहरण के लिए, 1951 में सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण के दौरान नेहरू ने सरकारी फंडिंग का विरोध किया था, जिसे पटेल ने सार्वजनिक ट्रस्ट के माध्यम से पूरा कराया था।
नेहरू मिथक और सत्य के लेखक-पत्रकार पीयूष बबेले ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह जो बोला गया है वह तो झूठ है ही, लेकिन सच्चाई यह है कि सरदार पटेल ने यह कहा था कि जब तक वह ज़िंदा हैं सोमनाथ मंदिर के लिए सरकारी ख़ज़ाने से एक पैसा नहीं देंगे। सरदार पटेल सरकारी ख़र्च से किसी भी तरह की धार्मिक या सांप्रदायिक गतिविधि के वित्तपोषण के एकदम ख़िलाफ़ थे। जो नीति सरदार की थी, वही नेहरू जी और गांधीजी की थी और वही भारत के संविधान की है।
कांग्रेस के प्रमोद तिवारी का हमला
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा, "मुझे बस इस बात से दुख है कि राजनाथ सिंह ऐसा कह रहे हैं, हो सकता है कि वह अपनी पार्टी से प्रभावित हो गए हों, या उन्हें ऐसी बातें कहने के लिए मजबूर किया जा रहा हो। नेहरू ने उन्हें (सरदार वल्लभभाई पटेल) उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बनाया था... राजनाथ जी, यह बयान आपके इतिहास या आपके व्यक्तित्व के साथ मेल नहीं खाता...।"
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता राशिद अलवी ने कहा, "बाबरी मस्जिद पहले से बनी हुई थी, 1992 में ध्वस्त हुई। नेहरू द्वारा सरकारी धन से निर्माण का कोई प्रमाण नहीं।" कांग्रेस पार्टी ने अभिलेखागार में 'शून्य प्रमाण' होने का हवाला देते हुए बयान को खारिज किया।इतिहासकारों का कहना है कि यह दावा ऐतिहासिक रूप से आधारहीन है और राजनीतिक संदर्भ में प्रचारित किया जा रहा है।
राजनाथ इतिहास की कौन सी किताबें पढ़ते हैंः प्रियंका
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "मुझे नहीं पता कि राजनाथ सिंह कौन सी इतिहास की किताबें पढ़ते हैं, लेकिन हम 2025 में हैं। जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री थे और उन्होंने लंबे समय तक सेवा की, इस दौरान उन्होंने देश को उस समय दिशा और दृष्टि दी जब अंग्रेज अभी-अभी गए थे, गरीबी व्यापक थी, और देश के भविष्य के पाठ्यक्रम को परिभाषित किया जाना था...।"
राजनाथ का बयान शर्मनाकः कीर्ति आज़ाद
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर टीएमसी सांसद कीर्ति आज़ाद ने कहा, "राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री के रूप में एक बहुत ही ज़िम्मेदार संवैधानिक पद पर हैं। वह इतने वरिष्ठ नेता हैं... यह उन्हें शोभा नहीं देता। उन्हें या तो अपनी बात के सबूत पेश करने चाहिए या फिर माफ़ी मांगकर इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। यह शर्मनाक है...।"
राजनाथ दस्तावेजी सबूत तो देंः इमरान मसूद
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पूर्व पीएम जवाहरलाल नेहरू पर दिए गए बयान पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, "वह सरकार में हैं, उन्हें कुछ दस्तावेज उपलब्ध कराने चाहिए। हमारे पास दस्तावेज हैं कि सरदार पटेल ने उनके (भाजपा के) पैतृक संगठन (आरएसएस) की मानसिकता के खिलाफ एक पत्र लिखा और उस पर प्रतिबंध लगा दिया... यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार में बैठे लोग देश में इस तरह की झूठी बातें फैलाते हैं।"
नेहरू को बदनाम करने का संघी अभियान
वरिष्ठ पत्रकार डॉ मुकेश कुमार ने एक्स पर लिखा है- ये एक रीढ़विहीन हताश नेता का बयान है, जिसमें किसी भी तरह की ऐतिहासिक सचाई नहीं है। पटेल का नाम लेकर नेहरू को बदनाम करने के संघी अभियान में वे भी योगदान दे रहे हैं। पटेल आरएसएस को क्या समझते थे ये सब जानते हैं। फिर भी बेशर्म लोग सोचते हैं कि पटेल को आगे करके नेहरू को कमतर दिखा सकते हैं। ये असंभव है।
दरअसल, राजनाथ सिंह की सरकार और पार्टी में कोई हैसियत नहीं बची है। वे केवल नाम के रक्षामंत्री हैं। सारे फ़ैसले पीएमओ और अजीत डोभाल लेते हैं। वे केवल बयानबाज़ी करते रहते हैं, वही कर रहे हैं। प्रधानमंत्री पद का दावेदार उन्हें कोई समझता नहीं है। जब भी मोदी के बाद कौन का सवाल आता है तो लोग योगी, अमित शाह और फडणवीस जैसों के नाम ले लेते हैं, मगर उनका नहीं। हताशा होना स्वाभाविक है। फिर ये ध्यान रखा जाना चाहिए कि आठ महीने में राजनाथ सिंह 75 के हो जाएंगे और उसी के साथ उनका राजनीतिक अवसान हो जाएगा।
बता दें कि बाबरी मस्जिद विवाद की पृष्ठभूमि में 1934 का एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जब भीड़ ने मस्जिद पर हमला कर क्षतिग्रस्त किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत को टेलीग्राम भेजकर अयोध्या में हो रहे दंगों पर चिंता जताई और शांति बनाए रखने का निर्देश दिया। 1949 में मस्जिद के अंदर मूर्तियां रखी गईं, जिससे विवाद बढ़ा, लेकिन नेहरू सरकार ने इसे धार्मिक सद्भाव के लिए संभाला। मस्जिद का विध्वंस 1992 में हुआ, जो सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले से राम मंदिर निर्माण का आधार बना। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराने की घटना को अपराध माना था। लेकिन उस ज़मीन को मोदी सरकार को सौंप दिया था।
तमाम लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि "गंभीर आरोप है, लेकिन नेहरू द्वारा बाबरी निर्माण का कोई संदर्भ नहीं मिला।" जॉमन बाथेरी ने मीडिया से फैक्ट चेक की मांग की, जबकि यूजर ब्रायन पासान्हा ने इसे 'कल्पना का उड़ान' बताया। एक थ्रेड में पत्रकार कुलदीप सूरी ने विस्तार से फैक्ट-चेक किया, जिसमें कहा गया कि बाबरी पहले से बनी थी। नेहरू के समय में बाबरी मस्जिद पर कोई काम नहीं हुआ था।