राज्यसभा में भी आधी रात को वीबी जी राम जी विधेयक सरकार ने पारित करा लिया। विपक्षी सांसद महात्मा गांधी का हटाने के विरोध में रात से धरने पर हैं। शुक्रवार सुबह 4 बजे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं।
वीबी-जी राम जी बिलः संसद के बाहर टीएमसी सांसदों के धरने की यह तस्वीर शुक्रवार सुबह 4 बजे की है।
संसद के शीतकालीन सत्र में भारी हंगामे और विपक्ष के तीव्र विरोध के बीच राज्यसभा ने आधी रात को विकसित भारत गारंटी फॉर एम्प्लॉयमेंट एंड लिवलीहुड मिशन (रूरल) बिल, जिसे जी राम जी (G RAM G) बिल कहा जा रहा है, को पारित कर दिया। यह बिल यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा (महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट) का अपडेटेड संस्करण है, लेकिन इसका नाम बदलकर जी राम जी करने पर विपक्ष ने इसे महात्मा गांधी का अपमान बताया है। महात्मा गांधी का नाम हटाने के विरोध में विपक्ष के कुछ सांसद रातभर संसद परिसर में धरने पर रहे। सोशल मीडिया पर शुक्रवार सुबह की तस्वीरें वायरल हैं।
बिल गुरुवार दोपहर पहले लोकसभा में भारी विरोध और वॉकआउट के बीच पारित हो चुका था। राज्यसभा में बहस आधी रात के बाद भी जारी रही और लगभग 12:15 बजे वॉइस वोट से बिल पारित हो गया। सत्तापक्ष की संख्या बल के सामने विपक्ष की नाराजगी के बावजूद नतीजा पहले से तय था। विपक्ष ने पहले बिल को स्टैंडिंग कमिटी में भेजने की मांग की, फिर इसे पूरी तरह वापस लेने की अपील की, लेकिन अंत में वॉकआउट कर दिया। इसके बाद सदन में सत्ताधारी गठबंधन के सदस्यों की मौजूदगी में बिल पारित हुआ।
बिल पारित होने के बाद तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद परिसर में धरना शुरू कर दिया, जो शुक्रवार सुबह तक जारी है।
राज्यसभा में तीखी बहस: खड़गे का भावुक हमला
राज्यसभा में बहस के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बिल पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह कानून गरीबों को बर्बाद कर देगा और सरकार से इसे वापस लेने की गुजारिश की। "मुंह पर राम और हाथ में खंजर मत रखो! गरीबों के लिए राम-राम कहते हो, लेकिन पीठ पीछे खंजर छिपा रखा है।"
ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुखातिब होकर उन्होंने कहा, "चौहान जी, अभी भी सोच लो। कानून वापस लेने में अभी भी समय है।" उन्होंने याद दिलाया कि सरकार ने पहले कृषि से जुड़े तीन काले कानून वापस लिए थे, बिना किसी नुकसान के। "अगर यह कानून वापस ले लेंगे तो आप हीरो बन जाएंगे, मामाजी नहीं तो सिर्फ मामा ही कहलाएंगे।" 83 वर्षीय खड़गे ने अपनी बात भावुक अंदाज में खत्म की:
मेरी मां मेरे बचपन में 6-7 साल की उम्र में गुजर गईं। मैं उनकी कसम खाता हूं - यह कानून गरीबों के लिए अच्छा नहीं है। मैं मां की कसम खाता हूं, भारत माता की कसम खाता हूं, यह कानून गरीबों के लिए अच्छा नहीं है। -मल्लिकार्जुुन खड़गे, राज्यसभा में देर रात
वीबी जी राम जी बिल पर कांग्रेस अध्यक्ष का भावुक बयान
विपक्ष के अन्य सदस्य भी उतने ही मुखर थे। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा, "आज दोपहर 1:07 बजे लोकसभा में जी राम जी बिल पारित हुआ। ठीक 1:11 बजे कुछ हुआ। इस सरकार ने पश्चिम बंगाल में मनरेगा स्कीम रोक दी। बंगाल सरकार ने अपनी कर्मश्री स्कीम शुरू की थी, जिसमें हर जॉब कार्ड धारक को इस साल 75 दिन काम मिला, अगले साल 100 दिन मिलेंगे। आज 1:09 बजे बंगाल की मुख्यमंत्री ने कर्मश्री का नाम बदलकर महात्माश्री कर दिया।"
राज्यसभा में विपक्ष का वॉकआउट
जब मंत्री शिवराज सिंह चौहान जवाब देने उठे तो विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया और "काला बिल वापस लो" के नारे लगाए। जब वे नहीं रुके तो विपक्षी सदस्य वॉकआउट कर गए। गुस्से में चौहान ने कहा, "मैंने सभी विपक्षी सांसदों को ध्यान से सुना। लेकिन आरोप लगाकर भाग जाना - यह भी बापू के आदर्शों का विश्वासघात है। जवाब न देने देना भी हिंसा है। मुझे उम्मीद थी कि खड़गे जी आज कुछ गंभीरता से बोलेंगे। कांग्रेस जिससे जुड़ती है, उसे डुबो देती है।" चौहान ने कांग्रेस पर महात्मा गांधी के आदर्शों को "मारने" का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि मनरेगा भ्रष्टाचार का माध्यम था और नया कानून स्टेकहोल्डर्स से चर्चा के बाद लाया गया है। बापू को अपना आदर्श बताते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने शुरू में एनआरईजीए में गांधी जी का नाम नहीं जोड़ा था, 2009 के चुनावों के समय जोड़ा। सरकार बार-बार जोर दे रही है कि 20 साल पुरानी योजना में कमियों को दूर करने और समय के साथ चलने के लिए अपडेट जरूरी था।
विपक्ष की आपत्तियां
कैबिनेट से बिल पास होने के बाद से कांग्रेस सरकार के इरादों पर सवाल उठा रही है। कई नेताओं ने कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाकर राम का नाम जोड़ना इतिहास से गांधी जी को मिटाने की कोशिश है। पी. चिदंबरम ने कहा कि नया बिल मूल उद्देश्य के तीनों पहलुओं को मार देता है - गारंटी, आजीविका और सुरक्षा। " इसे गारंटी बिल क्यों कहते हो? इसमें कोई गारंटी नहीं है।"
जी राम जी में क्या अलग है?
मनरेगा में 100 दिन काम की गारंटी थी और काम न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता मिलता था। नए बिल में यह 125 दिन हो जाएगा, लेकिन काम प्री-अप्रूVD प्लान्स से होगा। आलोचक कहते हैं कि इससे फोकस लोगों की जरूरत से हटकर सरकारी प्लान पर चला जाएगा। पहले ग्राम पंचायत में आवेदन से काम मिलता था, अब सिर्फ उपलब्ध प्लान पर।
काम चार कैटेगरी में बांटा गया: जल सुरक्षा, ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, आजीविका से जुड़े एसेट्स और क्लाइमेट रेजिलिएंस। आलोचकों का कहना है कि इससे स्थानीय जरूरतों के हिसाब से काम का दायरा सीमित हो जाएगा।
बिल पारित होने के बाद विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में रातभर धरना दिया, महात्मा गांधी की तस्वीरें लेकर नारे लगाए। कांग्रेस और अन्य दलों ने इसे गांधी जी का अपमान और गरीबों के अधिकारों पर हमला बताया।यह बिल अब राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए जाएगा।