जब हिंदू राष्ट्र प्रगति करता है, तो वह धर्म के लिए ही प्रगति करता है। यह भगवान की इच्छा है कि सनातन धर्म का उदय हो। ऐसा होने से हिंदुस्तान का उदय निश्चित है। धर्म को परिभाषित करते हुए भागवत ने कहा कि धर्म केवल पंथ, संप्रदाय या पूजा का ही एक रूप भर नहीं है। धर्म के मूल में सत्य, करुणा, पवित्र्ता, और तपस्या भी समान रूप से जरूरी हैं।
हजारों साल से भारत की मजबूती रहा है धर्म: मोहन भागवत
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- 12 Jan, 2023

धर्मभास्कर' पुरस्कार वितरण के कार्यक्रम में बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि धर्म भारत का आवश्यक स्वरूप ('सत्व') है, सनातन धर्म हिंदू राष्ट्र है।
अंग्रेजों द्वारा शुरु
शिक्षा प्रणाली ने भारत के 'सत्व' को छीनने की कोशिश की, जिसका नतीजा यह हुआ कि
देश गरीब हो गया।



























