नन्दजू का प्यारा, जिन कंस को पछारा,
ज़ुबान पर क़ुरान और सीने से लगी बाँसुरी का स्वाद!
- देश
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- 30 Aug, 2021
रसखान, हसरत मोहानी, ताज बीबी...और कई नाम हैं, जिन्होंने मुसलमान होते हुए भी कृष्ण प्रेम में कविताएं लिखी। लेकिन अब इस गंगा जमुनी संस्कृति और बहुलतावाद को मानो ग्रहण लग गया है।

वह वृन्दावन वारा, कृष्ण साहेब हमारा है....
कहती हुई 'ताज बीबी' ने वृन्दावन को अपना आँगन बना लिया। कान्हा के प्रेम में मीरा संग चल दी, दुनिया एक तरफ और उनकी दुनिया दूसरी तरफ, कान्हा की बेलौस मोहब्बत में ताज बीबी, वहीं मिट्टी में जा के सो रहीं,जिसकी खुशबू के साथ अपनी सारी ज़िन्दगी काट दी।
पैग़ाम-ए-हयात-ए-जावेदाँ था,
हर नग़्मा-ए-कृष्ण बाँसुरी का ।
वो नूर-ए-सियाह या कि हसरत,
सर-चश्मा फ़रोग़-ए-आगही का ।।