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आरक्षण का पुरजोर समर्थक है संघ: दत्तात्रेय होसबाले

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि संघ आरक्षण का पुरजोर समर्थन करता है। होसबाले ने कहा कि संघ दशकों से इसका समर्थन करता रहा है और यह देश के लिए ऐतिहासिक रूप से ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि यह तब तक जारी रहना चाहिए जब तक आरक्षण पाने वाला समाज असमानता का अनुभव करता है। होसबाले ने यह बयान दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया। 

संघ में सरकार्यवाह का मतलब नंबर दो होना है। बीजेपी के मातृ संगठन में आला ओहदे पर बैठे एक पदाधिकारी का यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस बयान को लेकर काफी बवाल हुआ था, जिसमें उन्होंने आरक्षण नीति की समीक्षा की बात कही थी। 

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तब मिलकर चुनाव लड़ रहे लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने इसे मुद्दा बना लिया था और बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। भागवत के इस बयान को लेकर आरक्षण के समर्थक अकसर संघ पर निशाना साधते रहते हैं। 

होसबाले ने यह भी कहा कि भारत का इतिहास दलितों के इतिहास से अलग नहीं है और उनके इतिहास के बिना भारत का इतिहास अधूरा है। 

RSS stand on reservation Dattatreya Hosabale - Satya Hindi

दबाव ख़त्म करने की कोशिश 

होसबाले के इस बयान के राजनीतिक मायने भी हैं। पांच राज्यों के चुनाव नज़दीक हैं। किसान आंदोलन, पेगासस जासूसी मामले को लेकर मरकज़ी सरकार बुरी तरह घिरी हुई है। विपक्ष ने सड़क से संसद तक मोर्चा खोला हुआ है। ऐसे में बीजेपी संगठन और संघ परिवार किसी भी क़ीमत पर पांच राज्यों का चुनाव जीतकर अपने ऊपर बने दबाव को हटाना चाहते हैं। 

संघ और बीजेपी यह क़तई नहीं चाहते कि उन पर कोई यह तोहमत लगाए कि वे आरक्षण के ख़िलाफ़ हैं। ऐसे में होसबाले ने यह बयान देकर आरक्षण को लेकर संघ का स्टैंड साफ करने की कोशिश की है।

होसबाले की अहमियत

दत्तात्रेय होसबाले संघ में पहले ऐसे पदाधिकारी हैं जो विद्यार्थी परिषद से होते हुए सरकार्यवाह के पद तक पहुंचे हैं और इस वजह से उनका लंबा रिश्ता बीजेपी और संघ परिवार के संगठनों के साथ रहा है। उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी नज़दीकी माना जाता है। इसलिए भी उनके बयान के बड़े मायने हैं। 

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2019 में हुआ था विवाद 

2019 में मोहन भागवत के बयान पर एक बार फिर विवाद हुआ था, जब उन्होंने कहा था कि जो लोग आरक्षण के समर्थक हैं और जो लोग विरोधी हैं, उनके बीच सौहार्दपूर्ण माहौल में बातचीत होनी चाहिए। कांग्रेस ने भागवत के बयान को लेकर कहा था कि इससे संघ और बीजेपी का दलित-पिछड़ा विरोधी चेहरा सामने आ गया है। इसके बाद संघ की ओर से सफाई जारी कर कहा गया था कि संघ प्रमुख के बयान को लेकर बेवजह का विवाद खड़ा करने की कोशिश की जा रही है। 

हालांकि मोहन भागवत ने एक कार्यक्रम में यह भी कहा था कि सामाजिक विषमता को दूर करने के लिए संविधान में जितना आरक्षण दिया गया है, संघ का इसे पूरा समर्थन है और यह संघ का पुराना स्टैंड है।

ओबीसी समुदाय पर विशेष ध्यान

ओबीसी समुदाय को लेकर बीजेपी और केंद्र सरकार इन दिनों तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। लोकसभा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) संशोधन विधेयक पास हो चुका है और सरकार इस मामले में पूरी तरह मुस्तैद दिख रही है। 

मोदी सरकार ने हाल ही में मेडिकल पाठ्यक्रमों में ओबीसी समुदाय को 27 फ़ीसदी आरक्षण देने का एलान भी किया था। केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार में इस समुदाय के नेताओं को अच्छी-खासी जगह दी गई है। उत्तर प्रदेश में ओबीसी समुदाय की आबादी 45 फ़ीसदी है। 

इसलिए संघ पांच राज्यों के चुनाव को देखते हुए इस संवेदनशील मसले पर अपना स्टैंड साफ़ करना चाहता है जिससे उसके सियासी विरोधियों को आरक्षण को लेकर संघ की मंशा पर सवाल उठाने का मौक़ा न मिले। 

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क़मर वहीद नक़वी
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