Pahalgam Terror Attack: SCO सम्मेलन में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहलगाम हमला, आतंकवाद जैसे मुद्दे उठाकर क्या सीधे तौर पर चीन और पाकिस्तान पर निशाना नहीं साध? जानिए उन्होंने क्या क्या कहा।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ की विदेश मंत्रियों की बैठक में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले को 'जानबूझकर किया गया' हमला क़रार दिया। उन्होंने इसे कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देने की साज़िश बताया। चीन के तियानजिन में आयोजित इस बैठक में पाकिस्तान, चीन और अन्य एससीओ सदस्य देशों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में जयशंकर ने मंगलवार को आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के ख़िलाफ़ कड़ा रुख अपनाने की जोरदार मांग की।
जयशंकर ने कहा कि पहलगाम हमला आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई के एससीओ के मूल सिद्धांतों के ख़िलाफ़ एक चुनौती है। 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे। हमलावरों ने कथित तौर पर पीड़ितों की धार्मिक पहचान पूछकर उन्हें निशाना बनाया। इसे जयशंकर ने धार्मिक उन्माद और सामाजिक विभाजन पैदा करने की साजिश करार दिया। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट ने ली थी।
जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा, 'पहलगाम में हुआ हमला न केवल जम्मू-कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को नुक़सान पहुंचाने की कोशिश था, बल्कि यह धार्मिक आधार पर समाज को बांटने की एक सुनियोजित साजिश थी। यह एससीओ के उन मूल सिद्धांतों के खिलाफ है, जिनके लिए यह संगठन बनाया गया था।' इस हमले के जवाब में भारत ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी पीओके और पाकिस्तानी क्षेत्र में आतंकी ठिकानों को तबाह किया गया।
'SCO आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाए'
जयशंकर ने एससीओ सदस्य देशों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट और कड़ा रुख अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, 'एससीओ की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद— इन तीन बुराइयों से लड़ने के लिए की गई थी। ये अक्सर एक साथ मिलकर काम करते हैं। पहलगाम हमला इसका जीवंत उदाहरण है। हमें अपने मूल उद्देश्यों के प्रति सच्चा रहना होगा और आतंकवाद से कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए।'
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस बयान का भी ज़िक्र किया, जिसमें पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की गई थी और इसके अपराधियों, हमला कराने वालों, फंडिंग करने वालों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने की ज़रूरत पर बल दिया गया था। जयशंकर ने कहा, 'भारत ने ऐसा ही किया है और हम आगे भी आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई जारी रखेंगे।' विदेश मंत्री का यह बयान साफ़ तौर पर ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में था, जिसमें भारत ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाया।
पाकिस्तान, चीन पर निशाना
जयशंकर ने अपने भाषण में पाकिस्तान का नाम साफ़ तौर पर नहीं लिया, लेकिन उनके बयान को पाकिस्तान के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है। खासकर जब पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार भी बैठक में मौजूद थे। उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानी बीआरआई पर भी निशाना साधा, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है। जयशंकर ने कहा, 'एससीओ के भीतर सहयोग पारस्परिक सम्मान, संप्रभु समानता और सदस्य देशों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के अनुरूप होना चाहिए।'
उन्होंने यह भी इशारा किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान को तकनीकी और सामरिक समर्थन दिया, जिसे भारत ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देखा। सेना के उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह के हवाले से यह दावा किया गया कि चीन ने पाकिस्तान को रियल-टाइम खुफिया जानकारी और हथियार सिस्टम दिए।
वैश्विक अस्थिरता और SCO की भूमिका
जयशंकर ने वैश्विक अस्थिरता के मामले में एससीओ की भूमिका पर भी बात की। उन्होंने कहा, 'हम एक ऐसे समय में मिल रहे हैं जब अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में काफी अव्यवस्था है। पिछले कुछ वर्षों में हमने अधिक संघर्ष, प्रतिस्पर्धा और दबाव देखा है। आर्थिक अस्थिरता भी बढ़ रही है। हमारी चुनौती वैश्विक व्यवस्था को स्थिर करना और जोखिम को दूर करना है।' उन्होंने एससीओ को एक प्रभावी क्षेत्रीय संगठन के रूप में उभरने की संभावनाओं पर जोर दिया, जो वैश्विक मामलों को आकार दे सकता है। उन्होंने कहा कि विश्व आज अधिक बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ रहा है।
अफगानिस्तान और क्षेत्रीय सहयोग
जयशंकर ने अफगानिस्तान के मुद्दे को भी उठाया। यह एससीओ के एजेंडे का एक अहम हिस्सा रहा है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय स्थिरता अफगान लोगों की भलाई के लिए ज़रूरी है। इसलिए, अंतरराष्ट्रीय समुदाय और ख़ासकर एससीओ सदस्यों को इसके विकास में सहायता के लिए आगे आना चाहिए।
विदेश मंत्री जयशंकर का एससीओ में दिया गया बयान भारत की आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता नीति को दिखाता है। यह बयान पाकिस्तान और चीन के लिए एक कड़ा संदेश है, साथ ही भारत की वैश्विक मंचों पर अपनी स्थिति को मजबूती से रखने की प्रतिबद्धता को दिखाता है।