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पूर्व चीफ जस्टिस यू यू ललित ।

SC कॉलिजियमः पूर्व चीफ जस्टिस ललित ने इसे 'बेहतर' बताया

पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित ने सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम सिस्टम का खुलकर समर्थन किया है। हाल ही में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कॉलिजियम सिस्टम को अपारदर्शी बताया था और उसका मजाक तक उड़ाया था।
पूर्व चीफ जस्टिस ललित ने एनडीटीवी को रविवार को दिए गए इंटरव्यू में कॉलिजियम सिस्टम को सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए बिल्कुल सही और संतुलित तरीका बताया। उन्होंने कहा कि सिस्टम को अपारदर्शी बताना उनके (केंद्रीय मंत्री रिजिजू) निजी विचार हैं... लेकिन यह काम करने का एक बिल्कुल सही और संतुलित तरीका है। कॉलिजियम में सभी के विचारों का सम्मान होता है।
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सुप्रीम कोर्ट ने कॉलिजियम द्वारा केंद्र सरकार को भेजे गए नामों को मंजूरी नहीं देने पर दो दिन पहले नाराजगी जताई थी और नोटिस जारी कर दिया था। अब दो दिनों बाद पूर्व चीफ जस्टिस यूयू ललित ने टिप्पणी कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करते समय कहा था कि उसने पहले साफ किया था कि एक बार जब सरकार ने अपना एतराज बता दिया है और कॉलिजियम द्वारा इसे निपटा दिया गया है, तो सरकार जजों की नियुक्तियों को मंजूरी क्यों नहीं दे रही है।

कॉलिजियम पर लगातार हमले

पिछले पांच वर्षों में सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम सिस्टम पर लगातार हमले हो रहे हैं। कॉलिजियम वो सिस्टम है, जहां जजों के नाम तय करके सरकार को भेजे जाते हैं और सरकार उनकी मंजूरी देती है। कई बार सरकार उनमें कुछ नामों पर आपत्ति करती है, कई बार फेरबदल करती है। लेकिन अब यह देखा जा रहा है कि सरकार कॉलिजियम सिस्टम से भेजे गए नामों को रोककर बैठ जाती है। इस समय  कानून मंत्री किरण रिजिजू न्यायिक नियुक्तियों को लेकर कॉलिजियम सिस्टम के खिलाफ लगातार बोल रहे हैं। उन्होंने 17 अक्टूबर 2022 को कहा था - जज अपना आधा समय यह तय करने में लगाते हैं कि इंसाफ देने के बजाय किसे जज के रूप में नियुक्त किया जाए।... कॉलिजियम सिस्टम "अपारदर्शी" है।... ऐसा सिर्फ भारत में होता है कि जहां जज ही जजों की नियुक्ति करते हैं।...

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सुप्रीम कोर्ट कॉलिजियम पर चल रहा विवाद अभी आगे और बढ़ेगा। इसी महीने के अंतिम सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने वाला है। अगर सरकार तब तक कॉलिजियम द्वारा भेजे गए जजों के नामों की पुष्टि कर देती है तो विवाद थम जाएगा लेकिन अगर सरकार ने फिर से नामों को रोका तो सुप्रीम कोर्ट कड़े कदम उठा सकता है।
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क़मर वहीद नक़वी
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