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पतंजलि के 'भ्रामक' विज्ञापनों पर आदेश का उल्लंघन पूरी तरह अवमानना: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव को जबरदस्त फटकार लगाई। अदालत ने कथित भ्रामक विज्ञापनों के मामले में शीर्ष अदालत को दिए गए कंपनी के वादे का घोर उल्लंघन बताया। अदालत ने साफ़ कहा कि भ्रामक विज्ञापनों पर इसके आदेश का उल्लंघन पूरी तरह अवमानना है। 

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण और रामदेव को मौजूद रहने के लिए कहा था। अदालत में मौजूद रामदेव ने अदालत से उनकी बिना शर्त माफी पर ध्यान देने को कहा। दोनों कारण बताओ नोटिस के सिलसिले में अदालत में पेश हुए। नोटिस में उनसे पूछा गया था कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए।

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पिछले साल 21 नवंबर को अदालत ने कंपनी से कहा था कि वह मीडिया में कथित तौर पर कोई भ्रामक विज्ञापन जारी न करे या औषधीय प्रभावकारिता का दावा करने वाले या चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ बयान न दे। इस साल 27 फरवरी को अदालत ने कंपनी और बालकृष्ण को कथित तौर पर एक विज्ञापन जारी करने और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने पर पिछले आदेश का उल्लंघन माना और इसके लिए नोटिस जारी किया था। 19 मार्च को पीठ ने कहा कि 27 फरवरी के नोटिस का कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है और साथ ही रामदेव को नोटिस जारी करने का फैसला किया।

इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बेहद सख्त टिप्पणी की और कार्रवाई की चेतावनी दी।

अदालत ने कहा, 'आपको अदालत को दिए गए वचन का पालन करना होगा, आपने हर सीमा तोड़ दी है।' अदालत ने कहा, 

यह पूरी तरह अवमानना है। सिर्फ़ सुप्रीम कोर्ट ही नहीं, देश भर की अदालतों द्वारा पारित हर आदेश का सम्मान किया जाना चाहिए।


सुप्रीम कोर्ट, पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मुद्दे पर

पतंजलि पर केंद्र ने आँखें क्यों बंद कीं?

अदालत ने केंद्र की भी खिंचाई करते हुए पूछा कि आयुष मंत्रालय ने तब अपनी आंखें बंद क्यों रखीं जब पतंजलि यह कहते हुए शहर दर शहर जा रही थी कि एलोपैथी में कोविड का कोई इलाज नहीं है।'

कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को इस मामले में एक हफ्ते में अपना हलफनामा दाखिल करने का आखिरी मौका दिया है। मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को तय करते हुए पीठ ने निर्देश दिया कि ये दोनों अगली तारीख पर उसके समक्ष उपस्थित रहेंगे।

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जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत की फटकार के बाद पिछले महीने पतंजलि द्वारा मांगी गई माफ़ी को भी स्वीकार करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, 'हम आपकी माफी से खुश नहीं हैं।' कोर्ट ने कहा कि आपकी माफी इस अदालत को राजी नहीं कर रही है, यह सिर्फ़ दिखावटी बयानबाज़ी है।

इसके बाद रामदेव के वकील ने कहा कि रामदेव और बालकृष्ण दोनों व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में माफी मांगने को तैयार हैं। वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह ने हाथ जोड़कर अदालत से कहा, 'हम माफी मांगना चाहते हैं और अदालत जो भी कहेगी उसके लिए तैयार हैं।'

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क़मर वहीद नक़वी
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