वनतारा मामले में 25 अगस्त को एसआईटी से जाँच का आदेश। 12 सितंबर को एसआईटी रिपोर्ट जमा। और 15 सितंबर को फ़ैसला। वनतारा में कुछ भी गड़बड़ी नहीं। केस बंद। और एसआईटी रिपोर्ट को सीलबंद रखने का ही आदेश। सबकुछ बहुत तेज़ी से हुआ और साफ़-साफ़। सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट तो मिल गई, लेकिन इस फ़ैसले में तेज़ी और सीलबंद लिफाफा को लेकर काफी प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने भी कुछ इसी तरह की टिप्पणी की है।
वनतारा पर 20 दिन में इतना त्वरित फ़ैसला, सीलबंद लिफाफा का रहस्य क्या: जयराम
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- 16 Sep, 2025
सिर्फ 20 दिन में वनतारा मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला और सीलबंद लिफाफे का रहस्य चर्चा में। जयराम ने उठाए पारदर्शिता और न्याय प्रक्रिया पर सवाल।

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जयराम रमेश ने इसे न्यायिक प्रणाली की रहस्यमय प्रथा करार देते हुए कहा कि अगर सभी मामले इतनी तेजी से निपटाए जाते तो बेहतर होता। उन्होंने कहा, "लंबे विलंब के लिए जाने जानी वाली भारतीय न्यायिक व्यवस्था जब चाहे तब अत्यंत तीव्र गति से कार्य करती है। 25 अगस्त 2025 को, सर्वोच्च न्यायालय ने जामनगर में रिलायंस फाउंडेशन द्वारा स्थापित वन्यजीव बचाव एवं पुनर्वास केंद्र वनतारा के मामलों की एक विशेष जाँच दल (एसआईटी) द्वारा जाँच का आदेश दिया। चार प्रतिष्ठित सदस्यों वाली एसआईटी को 12 सितंबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया। एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट एक 'सीलबंद लिफाफे' में प्रस्तुत की और 15 सितंबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय ने उसकी सिफ़ारिशों को स्वीकार कर लिया और 7 अगस्त 2025 को दायर एक जनहित याचिका से शुरू हुए मामले को बंद कर दिया।"