लद्दाख के क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक की पत्नी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें और उनके परिवार को सता रही है।
सोनम वांगचुक की पत्नी गितांजलि एंगमो ने सरकार पर सताने और निगरानी करने का बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक भावुक पत्र लिखकर अपने पति की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग की है। पत्र में एंगमो ने आरोप लगाया है कि राज्य और उसकी विभिन्न एजेंसियाँ उन्हें और उनके परिवार को पूरी तरह से सता रही हैं, साथ ही उनकी निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि न तो उनको मिलने और न ही फोन पर बात करने दी जा रही है। उन्होंने राष्ट्रपति की आदिवासी पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए कहा कि 'एक आदिवासी होने के नाते आप लद्दाख के लोगों की भावनाओं को समझेंगी।' पत्र की प्रतियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, क़ानून मंत्री और लद्दाख के उपराज्यपाल को भी भेजी गई हैं।
यह पत्र
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के पांच दिन बाद आया है, जब उन्हें 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम यानी एनएसए के तहत गिरफ्तार कर राजस्थान के जोधपुर सेंट्रल जेल स्थानांतरित कर दिया गया था। वांगचुक लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची के तहत आदिवासी सुरक्षा प्रदान करने की मांग को लेकर पिछले पांच वर्षों से शांतिपूर्ण आंदोलन चला रहे थे। एंगमो ने पत्र में वांगचुक को एक शांतिपूर्ण गांधीवादी प्रदर्शनकारी करार दिया, जो कभी भी किसी के लिए खतरा नहीं बन सकते, खासकर देश के लिए।
ख़त में क्या-क्या कहा
हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव लर्निंग यानी एचआईएएल की सह-संस्थापक गितांजलि एंगमो ने पत्र में वांगचुक के खिलाफ चल रही 'विच हंट' की शिकायत की। उन्होंने लिखा, 'राज्य और उसकी एजेंसियां हमें सता रही हैं, निगरानी में रखती हैं। पिछले तीन दिनों में संस्थान के दो सदस्यों को बिना किसी कानूनी आधार के पुलिस हिरासत में लिया गया।' एंगमो ने गिरफ्तारी के बाद से वांगचुक से कोई संपर्क न होने की शिकायत की। उन्होंने कहा कि उन्हें न तो हिरासत आदेश की प्रति मिली है और न ही पति से बात करने का मौक़ा।
एंगमो ने कहा कि 30 सितंबर को इंस्टीट्यूट के सुरक्षा गार्ड को एक पत्र मिला, जिसमें एक FIR थी और उसमें लद्दाख और पहाड़ी इलाकों के फेलोशिप छात्रों, एचआईएएल इंस्टीट्यूट, फयांग में रहने वाले रेजिडेंशियल स्टाफ, प्रशिक्षु शिक्षकों के नाम, माता-पिता का नाम, पता, ताज़ा फोटो, संपर्क नंबर और संस्थान में नामांकन की जानकारी मांगी गई थी।
वांगचुक के खिलाफ 'बड़े पैमाने पर उत्पीड़न' का आरोप लगाते हुए एंगमो ने कहा कि "देश के लोग एकजुटता और समर्थन के लिए आगे आ रहे हैं, क्योंकि वे देश की सेवा में उत्कृष्ट रिकॉर्ड वाले एक शांतिपूर्ण गांधीवादी प्रदर्शनकारी के खिलाफ सरकार की कार्रवाई से 'शॉक' में हैं।"
उन्होंने भारतीय सेना के लिए प्रभावी आश्रय स्थलों के निर्माण और लद्दाखी लोगों की 'राष्ट्रभक्ति' में अपने पति के योगदान का हवाला दिया। एंगमो ने कहा कि लद्दाख के बेटे के साथ इस तरह का व्यवहार करना न केवल पाप है, बल्कि मजबूत सीमाओं के लिए एक रणनीतिक गलती है।
पत्र में एंगमो ने लद्दाख की जनता की मांगों को दोहराया। इसमें राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और पिछड़े आदिवासी क्षेत्र के उत्थान की बात कही गई। उन्होंने कहा, 'क्या लोगों की मांग का समर्थन करना पाप है? सोनम ने हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से संघर्ष किया है।' एंगमो ने राष्ट्रपति से अपील की कि वे वांगचुक की रिहाई सुनिश्चित करें और लद्दाख की समस्याओं पर न्यायपूर्ण हस्तक्षेप करें।
वांगचुक की गिरफ्तारी क्यों?
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी 24 सितंबर को लेह में हिंसक प्रदर्शनों के दो दिन बाद हुई जब पुलिस कार्रवाई में चार नागरिक मारे गए और बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए। वांगचुक तब 35 दिनों के अनशन के 15वें दिन फास्ट पर थे। यह लद्दाख बौद्ध एसोसिएशन यानी एलबीए और लेह एपेक्स बॉडी यानी एलएबी के नेतृत्व में चल रहा था। लद्दाख प्रशासन ने वांगचुक पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने 'अरब स्प्रिंग' और नेपाल आंदोलनों का हवाला देकर 'सरकार उखाड़ फेंकने' की बात कही थी।
वांगचुक की पत्नी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा, 'सोनम ने हिंसा की निंदा की और अनशन ख़त्म कर दिया ताकि युवाओं को नुक़सान न पहुँचे। नेपाल और बांग्लादेश का उदाहरण केवल यह दर्शाने के लिए था कि सरकार की उदासीनता क्रांति को जन्म दे सकती है।' एंगमो ने पाकिस्तान से कथित संबंधों और वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों को भी उनकी छवि खराब करने का प्रयास बताया। उन्होंने साफ़ किया कि वांगचुक की विदेश यात्राएं जलवायु परिवर्तन से जुड़ी थीं, न कि किसी साजिश से।
लद्दाख प्रशासन ने 30 सितंबर को साफ़ किया कि वांगचुक को एनएसए हिरासत वाले आदेश की प्रति सौंप दी गई है, लेकिन एंगमो का कहना है कि उन्हें अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली।
विपक्षी दलों ने की गिरफ्तारी की आलोचना
विपक्ष ने वांगचुक की गिरफ्तारी को क्रूर और अलोकतांत्रिक करार दिया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'केंद्र सरकार की लद्दाख नीति विफल है। चार युवाओं की मौत और वांगचुक की गिरफ्तारी पर न्यायिक जांच होनी चाहिए।' आप ने जंतर-मंतर पर कैंडल लाइट विजिल आयोजित किया। भारत राष्ट्र समिति ने भी इसे अवैध क़रार दिया। लद्दाख में धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने गिरफ्तारी की निंदा की। एलएबी के सह-कोऑर्डिनेटर चेरिंग डोरजे ने गृह मंत्रालय से वांगचुक की सुरक्षा की मांग की।
लद्दाख आंदोलन क्यों हुआ?
लद्दाख को 2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, लेकिन स्थानीय मांगें अनसुलझी हैं। वांगचुक ने जलवायु संरक्षण के साथ-साथ आदिवासी अधिकारों पर जोर दिया। एचआईएएल का भूमि आवंटन रद्द होने से भी विवाद बढ़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि एनएसए का इस्तेमाल शांतिपूर्ण आंदोलनकारियों पर दमनकारी है।