गर्भपात के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद केंद्र के रवैये से काफी अजीबोगरीब स्थिति बन गई। उस फ़ैसले के बाद केंद्र ने सीजेआई से फिर से उस मामले की सुनवाई करने की अपील की। इस रवैये पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने तीखी नाराज़गी जताई और कहा कि केंद्र को यह समझना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट की हर बेंच सुप्रीम कोर्ट है। इसके साथ ही अदालत ने गर्भपात को लेकर यह भी साफ़ कर दिया कि 'भ्रूण में दिल की धड़कन चलने लगने पर कोई भी अदालत भ्रूण को ख़त्म नहीं करने दे सकती है।' हालाँकि, बेंच ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र द्वारा दायर एप्लिकेशन पर सुनवाई करते हुए मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया।
गर्भपात आदेश को लेकर केंद्र को फटकार- 'सुप्रीम कोर्ट की हर बेंच SC है'
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- 11 Oct, 2023
एक गर्भपात आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की जमकर खिंचाई की। इसने सुप्रीम कोर्ट की बेंच से पेश आने केंद्र के तौर तरीकों पर कड़ा ऐतराज़ जताया। जानिए, आख़िर क्या मामला था।

जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि उनकी न्यायिक अंतरात्मा उन्हें भ्रूण के जीवित रहने की संभावना के बारे में ताज़ा मेडिकल रिपोर्ट के मद्देनज़र गर्भावस्था को ख़त्म करने की अनुमति नहीं देती है। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि उन्हें इसमें हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला। उन्होंने कहा कि असहमति को देखते हुए मामले को विचार के लिए बड़ी पीठ को भेजा गया है।