हरियाणा के मेवात वाले इलाके नूंह में बुलडोजर न्याय का फाइल फोटो।
बुलडोजर के माध्यम से इंसाफ न्यायशास्त्र की किसी भी सभ्य प्रणाली के लिए अज्ञात है।
राज्य सरकार द्वारा इस तरह की मनमानी और एकतरफा कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता... अगर इसकी अनुमति दी गई, तो अनुच्छेद 300 ए के तहत संपत्ति के अधिकार की संवैधानिक मान्यता एक मृत पत्र (डेड लेटर) में बदल जाएगी।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पाया कि जहां कथित तौर पर सरकारी भूमि पर केवल 3.70 मीटर की संपत्ति का अतिक्रमण किया गया था, वहीं अधिकारियों ने बिना किसी लिखित नोटिस के 5-8 मीटर के बीच को ध्वस्त कर दिया। विध्वंस से पहले केवल ढोल बजाकर सार्वजनिक घोषणा की गई।
अदालत ने कहा- “मनुष्य के पास जो परम सुरक्षा है, वह गृहस्थी के लिए है। कानून निस्संदेह सार्वजनिक संपत्ति पर गैरकानूनी कब्जे और अतिक्रमण की इजाजत नहीं देता है। जहां ऐसा कानून मौजूद है, वहां इसमें दिए गए सुरक्षा उपायों का पालन किया जाना चाहिए।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मुख्य सचिव को भी पर्याप्त सूचना के बिना क्षेत्र में किए गए इसी तरह के विध्वंस की जांच करनी चाहिए। एनएचआरसी के निर्देशानुसार यह तय करना चाहिए कि एफआईआर दर्ज की जाए और सीबी-सीआईडी द्वारा जांच की जाए। कोर्ट ने कहा- आदेश को मुख्य सचिव द्वारा एक महीने के भीतर लागू करना होगा और अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू होने की तारीख से चार महीने में समाप्त करनी होगी।