भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डॉ. रघुराम राजन ने यूएस द्वारा भारत पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ को "बेहद परेशान करने वाला" बताया है। उन्होंने इसे भारत के लिए एक स्पष्ट "वेक-अप कॉल" करार दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि भारत को किसी एक व्यापारिक साझेदार पर अत्यधिक निर्भरता कम करनी होगी। यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा घोषित 50 प्रतिशत टैरिफ के लागू होने के बाद आया है, जिसमें भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त 25 प्रतिशत का दंड शामिल है।
इंडिया टुडे टीवी के साथ एक खास बातचीत में डॉ. राजन ने कहा, "यह एक वेक-अप कॉल है। हमें किसी एक देश पर बहुत अधिक निर्भर नहीं होना चाहिए। हमें पूर्व की ओर, यूरोप, अफ्रीका की ओर देखना चाहिए और अमेरिका के साथ भी जारी रखना चाहिए, लेकिन हमें उन सुधारों को लागू करना होगा जो 8-8.5% की आर्थिक वृद्धि हासिल करने और हमारे युवाओं के लिए रोजगार पैदा करने में मदद करें।"

रूसी तेल आयात पर पुनर्विचार की सलाह 

रघुराम राजन ने भारत से रूसी तेल आयात नीति पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, "हमें यह देखना होगा कि इससे किसे फायदा हो रहा है और किसे नुकसान। रिफाइनर अतिरिक्त मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन निर्यातक टैरिफ के जरिए कीमत चुका रहे हैं। अगर लाभ बहुत बड़ा नहीं है, तो हमें विचार करना चाहिए कि क्या हमें ये खरीदारी जारी रखनी चाहिए।" उन्होंने भारत की तुलना चीन से करते हुए कहा कि यह मुद्दा निष्पक्षता का नहीं, बल्कि जियो पॉलिटिक्स का है। उन्होंने कहा- "हमें किसी पर भी बहुत अधिक निर्भर नहीं होना चाहिए। व्यापार, निवेश और वित्त को हथियार बनाया जा रहा है। हमें अपने आपूर्ति स्रोतों और निर्यात बाजारों में विविधता लानी होगी।"
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भारत-अमेरिका संबंधों को झटका 

डॉ. राजन ने अमेरिकी टैरिफ को भारत-अमेरिका संबंधों के लिए एक "झटका" करार दिया। उन्होंने कहा कि यह कदम विशेष रूप से छोटे निर्यातकों, जैसे झींगा किसानों और कपड़ा निर्माताओं, को नुकसान पहुंचाएगा। जिससे उनकी आजीविका खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि यह अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए भी नुकसानदायक है, जो अब 50 प्रतिशत की बढ़ी हुई कीमत पर सामान खरीदेंगे।
ट्रम्प की टैरिफ नीति के पीछे तीन कारणों का जिक्र करते हुए राजन ने कहा: पहला, व्यापार घाटे को अन्य देशों द्वारा शोषण के रूप में देखा जाता है; दूसरा, टैरिफ से सस्ता राजस्व प्राप्त होता है, जिसे विदेशी उत्पादकों द्वारा वहन किया जाता है; और तीसरा, टैरिफ का उपयोग विदेश नीति के सजा देने वाले हथियार के रूप में किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "यह मूल रूप से शक्ति का प्रदर्शन है। निष्पक्षता यहाँ मुद्दा नहीं है।"

व्हाइट हाउस के सलाहकार के आरोपों पर जवाब 

व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो के भारत पर रूसी तेल के जरिए "मुनाफाखोरी" के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए राजन ने कहा, "ऐसा लगता है कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने फैसला किया है कि भारत उन नियमों का पालन नहीं कर रहा, जो वे तय करते हैं और इसे अलग से निशाना बनाया जाना चाहिए।" नवारो ने पिछले सप्ताह दावा किया था कि भारतीय रिफाइनर रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रहे हैं।

सुधारों और वैश्विक अवसरों पर जोर 

डॉ. राजन ने इस संकट को भारत के लिए एक अवसर के रूप में देखने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "हमें चीन, जापान, अमेरिका या किसी के भी साथ काम करना चाहिए, लेकिन निर्भरता से बचना चाहिए। हमें आत्मनिर्भरता सहित वैकल्पिक रास्ते सुनिश्चित करने चाहिए।" उन्होंने व्यापार में आसानी, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकरण और घरेलू फर्मों के बीच मजबूत प्रतिस्पर्धा के लिए संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
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ट्रम्प द्वारा फरवरी में 'पारस्परिक' टैरिफ की घोषणा के बाद से भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों में तनाव देखा जा रहा है। भारत सरकार ने दृढ़ता दिखाते हुए कहा है कि वह किसी भी दबाव के सामने नहीं झुकेगी और भारतीय हितों को ध्यान में रखते हुए रूसी कच्चे तेल की खरीद जारी रखेगी।