भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में मध्यस्थता के दावे को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। जयशंकर ने ट्रंप की बात को सिरे से खारिज करते हुए कहा, 'मैं उस कमरे में था, और सच केवल मुझे पता है!' 

अमेरिका यात्रा पर पहुँचे जयशंकर ने यह बयान न्यूजवीक के सीईओ देव प्रगाड से बातचीत के दौरान दिया। उन्होंने साफ़ किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की बातचीत में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने कहा कि व्यापार वार्ताओं और युद्धविराम की बातचीत का कोई संबंध नहीं था। जयशंकर ने बातचीत में कहा, 'मैं उस कमरे में मौजूद था जब 9 मई की रात को अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री मोदी से बात की और चेताया कि पाकिस्तान भारत पर बड़ा हमला करने की योजना बना रहा है। लेकिन मोदी जी पाकिस्तान की धमकियों से बिल्कुल नहीं डरे। उल्टा, उन्होंने प्रतिक्रिया देने का संकेत दिया।' जयशंकर ने आगे बताया कि उस रात पाकिस्तान ने बड़ा हमला किया, जिसका भारत ने तुरंत जवाब दिया।
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उन्होंने आगे कहा, 'अगली सुबह अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने उनको फ़ोन करके बताया कि पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार है। उसी दिन पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने अपने भारतीय समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से संपर्क कर युद्धविराम का अनुरोध किया।'

जयशंकर ने ट्रंप के दावे को खारिज करते हुए कहा कि घटनाएँ इस तरह नहीं हुईं और कूटनीति व व्यापार वार्ताएँ पूरी तरह अलग थीं। उन्होंने कहा, 'व्यापार वार्ता करने वाले लोग अपना काम कर रहे हैं- संख्याएँ, उत्पाद और समझौते पर बातचीत। वे बहुत पेशेवर हैं।' जयशंकर ने यह भी बताया कि पाकिस्तान में आतंकी समूह खुले तौर पर घनी आबादी वाले इलाक़ों से काम कर रहे हैं, उनके मुख्यालय कॉरपोरेट ऑफिस की तरह चलते हैं। भारत के कड़े रुख को दोहराते हुए उन्होंने कहा, 'हम स्पष्ट हैं- आतंकियों को कोई छूट नहीं मिलेगी। उन्हें अब प्रॉक्सी की तरह इस्तेमाल करने और उन्हें पनाह देने वाली सरकारों को बख्शने की नीति नहीं चलेगी। हम परमाणु धमकियों से डरने वाले नहीं हैं।'
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यह बयान कूटनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि ट्रंप ने कई मौक़ों पर दावा किया है कि उन्होंने व्यापार समझौते को हथियार बनाकर दोनों देशों के बीच शांति स्थापित की थी। 

ट्रंप के दावे और जयशंकर का जवाब

पिछले कुछ महीनों से डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार सार्वजनिक मंचों पर दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2025 में हुए युद्धविराम में उनकी मध्यस्थता की भूमिका थी। ट्रंप ने लगातार कहा है कि उन्होंने भारत को व्यापार समझौते के प्रलोभन और दबाव का इस्तेमाल कर युद्धविराम के लिए राजी किया। जयशंकर ने अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान इन दावों का जवाब देते हुए कहा,
मैं उस कमरे में था जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत हुई। किसी तीसरे देश का कोई हस्तक्षेप नहीं था। हमने सभी से साफ़ कहा था कि अगर पाकिस्तान युद्धविराम चाहता है, तो वह हमसे सीधे बात करे।
एस जयशंकर
विदेश मंत्री

ऑपरेशन सिंदूर और युद्धविराम

मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव उस समय चरम पर पहुँच गया था, जब कश्मीर में सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति और ऑपरेशन सिंदूर के तहत सैन्य कार्रवाइयां हुईं। हालाँकि, 9 मई 2025 की रात को भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत के बाद युद्धविराम की घोषणा हुई। जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि यह युद्धविराम दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत का नतीजा था, न कि किसी बाहरी हस्तक्षेप का। उन्होंने ट्रंप के दावों को बढ़ाचढ़ाकर पेश किया हुआ बताते हुए कहा कि भारत की विदेश नीति स्वतंत्र और संप्रभु है, और वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता पर निर्भर नहीं करता।
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ट्रंप के दावों का कूटनीतिक प्रभाव

ट्रंप के बार-बार किए गए दावों ने न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भी सवाल खड़े किए हैं। कुछ जानकारों का मानना है कि ट्रंप ने अपनी घरेलू राजनीति को मज़बूत करने के लिए भारत-पाक युद्धविराम को अपनी उपलब्धि के रूप में पेश किया। दूसरी ओर, भारत ने इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए अपनी कूटनीतिक स्थिति को और मज़बूत करने की कोशिश की है।

जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध मज़बूत हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि भारत हर मुद्दे पर अमेरिका की बात मानेगा। उन्होंने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति का हवाला देते हुए कहा, 'हम अपने फैसले खुद लेते हैं, और हमारी प्राथमिकता हमेशा राष्ट्रीय हित रही है।'