loader

ट्विटर ने वेंकैया नायडू के निजी अकाउंट से ब्लू टिक हटाया, फिर लगाया

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्विटर ने शनिवार को उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के निजी अकाउंट से ब्लू टिक को हटा दिया था। लेकिन थोड़ी ही देर में जब इस पर बवाल शुरू हुआ और मीडिया व सोशल मीडिया में इसे लेकर चर्चा तेज़ हुई तो ट्विटर ने इसे बहाल कर दिया। 

ट्विटर सारे पैरामीटर्स की जांच के बाद ही किसी को ब्लू टिक देता है, ऐसे में यह समझना मुश्किल था कि भारत के उप राष्ट्रपति के अकाउंट से ब्लू टिक को क्यों हटा लिया गया। एएनआई के मुताबिक़, यह बताया गया है कि नायडू का निजी अकाउंट छह महीने से ज़्यादा वक़्त से निष्क्रिय था और इस वजह से ब्लू टिक को हटा लिया गया था लेकिन अब इसे बहाल कर दिया गया है।  

Twitter removes blue tick from Venkaiah Naidu account - Satya Hindi
जब ट्विटर ने ब्लू टिक हटा लिया था।

यह माना जा रहा है कि इस प्रकरण के बाद ट्विटर और भारत सरकार के बीच चल रही खटपट और बढ़ सकती है। बताया गया है कि सरकार इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रही है और वह ट्विटर को इस मामले में समन भेज सकती है। 

इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और सह सर कार्यवाह कृष्ण गोपाल, सर कार्यवाह सुरेश जोशी के ब्लू टिक को भी हटा दिया गया था लेकिन कुछ घंटों बाद इसे बहाल कर दिया गया।  

भारत सरकार संग ट्विटर की खटपट

हाल ही में ट्विटर ने भारत में भी कुछ सख़्त कार्रवाईयां की हैं। सिने अदाकारा कंगना रनौत के अकाउंट को सस्पेंड करने के साथ ही कांग्रेस की ओर से कथित रूप से जारी ‘टूलकिट’ को लेकर बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट को 'मैनिप्युलेटेड मीडिया' बता दिया था। इसके बाद केंद्र सरकार मैदान में उतरी थी और उसने कहा था कि वह ‘मैनिप्युलेटेड मीडिया’ वाले टैग को हटा ले। 

सरकार ने ट्विटर को चेतावनी देते हुए कहा था कि ट्विटर को जांच प्रक्रिया में दख़ल नहीं देना चाहिए और जब तक इस मामले की जांच चल रही है, ट्विटर फ़ैसला नहीं दे सकता। 

ताज़ा ख़बरें

इसके अलावा केंद्र सरकार की ओर से सोशल मीडिया कंपनियों और ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म को लेकर बनाए गए नियमों को लेकर बाक़ी बड़ी कंपनियां तो राजी हो गई हैं लेकिन ट्विटर के साथ भारत सरकार की खटपट जारी है। गूगल, फ़ेसबुक और वाट्सऐप ने नए नियमों के मुताबिक़, तमाम पदों पर अफ़सरों को नियुक्त करने के लिए सहमति दे दी है। 

ट्विटर ने एक आउटसाइड कंसल्टेंट के नाम का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा था लेकिन केंद्र ने इसे ठुकरा दिया और कहा है कि यह उसकी गाइडलाइंस या नियमों के विपरीत है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें