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उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी

उत्तराखंड में अगले हफ्ते समान नागरिक संहिता बिल पेश होगा, और क्या है इसमें?

उत्तराखंड में दिवाली के बाद विशेष विधानसभा सत्र बुलाया गया है। इसमें समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड को पेश किया जाएगा और पास कराने की कोशिश होगी। इसका विरोध होने की उम्मीद कम ही है। लेकिन इस कानून की कुछ और विशेषताएं भी उत्तराखंड सरकार ने शामिल की हैं। जिसमें लिव-इन-रिलेशनशिप वाले संबंधों का रजिस्ट्रेशन कराना और विवाह की आयु 18 साल ही रखने की बात शामिल है। इंडियन एक्सप्रेस, एनडीटीवी, इंडिया टुडे आदि ने यह खबर सूत्रों के हवाले से दी है। यहां पर जो सबसे खास बात है, वो ये कि चार राज्यों में चुनाव चल रहे हैं, मिजोरम में वोट पड़ चुके हैं और पांचों राज्यों के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे। उत्तराखंड की भाजपा सरकार की इस घोषणा से भाजपा अपने उस बड़े चुनावी वादे को पूरा करने का संकेत देगी, जिसे उसने पूरे देश में लागू करने की घोषणा की थी।

प्रस्तावित यूसीसी कानून में व्यवस्था है कि यह भारत के सभी नागरिकों पर लागू होगा। इसमें विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने सहित अन्य व्यक्तिगत मामले कानून के तहत डील होंगे। किसी धर्म विशेष का कानून, शरिया कानून, तमाम जनजातीय कानून ऐसे में अपने आप रद्द हो जाएंगे। दरअसल, कुछ कानून तो उन समुदायों में परंपरा और रीति-रिवाज बन गए हैं।


इस बिल का मसौदा इस साल की शुरुआत में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा गठित एक समिति द्वारा तैयार किया गया था। समिति ने विभिन्न वर्गों के नागरिकों के साथ काम किया और 2 लाख से अधिक लोगों और प्रमुख स्टेकहोल्डर्स से बात की।
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सूत्रों ने बताया कि उत्तराखंड विधानसभा में जो ड्रॉफ्ट विधेयक पेश होगा, उसमें सरकार बहुविवाह पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग कर रही है। लिव-इन जोड़ों के लिए अपने रिश्ते को पंजीकृत कराने का भी प्रावधान है।
उत्तराखंड समेत कई राज्यों में यूसीसी पिछले साल हुए राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा द्वारा किए गए प्रमुख चुनावी वादों में से एक था। लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपनी अध्यक्षता में पहली कैबिनेट बैठक में यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने को मंजूरी दी थी।
विशेषज्ञ पैनल, जिसका कार्यकाल हाल ही में तीसरी बार दिसंबर तक बढ़ाया गया था, ने मसौदा तैयार करने से पहले 2.33 लाख लोगों और विभिन्न संगठनों, संस्थानों और आदिवासी समूहों से राय ली है। पांच सदस्यीय समिति को छह महीने का पहला विस्तार नवंबर, 2022 में और चार महीने का दूसरा विस्तार इस साल मई में मिला।
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क़मर वहीद नक़वी
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