उन्नाव रेप केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर की उम्रकैद की सजा पर रोक लगाते हुए उन्हें जमानत दे दी। पढ़िए, अदालत का तर्क, शर्तें और मामले की मौजूदा स्थिति।
उन्नाव रेप मामले के दोषी पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दे दी है। मंगलवार को हाईकोर्ट ने सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया और उन्हें जमानत दे दी। हालाँकि, कोर्ट ने कई सख्त शर्तें लगाई हैं। अदालत ने कहा है कि अगर इन शर्तों का उल्लंघन हुआ तो जमानत तुरंत रद्द हो जाएगी।
हाईकोर्ट का यह फ़ैसला सेंगर द्वारा 2019 में ट्रायल कोर्ट के फ़ैसले को चुनौती दिए जाने के मामले में आया है। कोर्ट ने साफ़ किया है कि यह राहत सिर्फ अपील लंबित रहने तक है। अपील का फैसला आने तक सजा निलंबित रहेगी। अगली सुनवाई 15 जनवरी 2026 को होगी। जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने आदेश दिया कि सेंगर को 15 लाख रुपये की निजी जमानत और इतनी ही राशि के तीन जमानतदार पेश करने होंगे।
कोर्ट ने क्या शर्तें लगाईं
- सेंगर पीड़िता के घर से 5 किलोमीटर के दायरे में नहीं जा सकते।
- पीड़िता या उनकी मां को किसी भी तरह की धमकी नहीं दे सकते।
- अपील की सुनवाई के दौरान दिल्ली में ही रहना होगा।
- अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा करना होगा।
- हर सोमवार सुबह 10 बजे स्थानीय पुलिस स्टेशन में हाजिरी लगानी होगी।
- अगर अपील में दोषी ठहराए गए तो बाकी सजा काटने के लिए उपलब्ध रहें।
जमानत के बावजूद जेल से रिहाई मुश्किल
हालाँकि रेप केस में सजा निलंबित हो गई है, लेकिन पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत वाले अलग केस में 10 साल की सजा अभी भी लागू है। उस केस में सेंगर की सजा निलंबित करने की अपील अलग से लंबित है। इसलिए फिलहाल सेंगर की जेल से रिहाई नहीं हो पाएगी। 10 साल की जेल के मामले में राहत मिलने के बाद ही वह जेल से रिहा हो पाएँगे। क़ानूनी जानकारों का कहना है कि जब तक दूसरा केस भी साफ़ नहीं होता, वे जेल में ही रहेंगे।
पहले भी सेंगर को स्वास्थ्य आधार पर अंतरिम जमानत मिली थी, जैसे मोतियाबिंद की सर्जरी के लिए एम्स में। इस साल और पिछले साल भी ऐसी राहत मिली थी।
मामला क्या है?
यह केस 2017 का है। उन्नाव जिले के माखी गांव में एक नाबालिग लड़की का अपहरण करके कुलदीप सिंह सेंगर ने उसका रेप किया था। पीड़िता ने जब शिकायत करने की कोशिश की तो उसके पिता को पुलिस हिरासत में पीट-पीटकर मार डाला गया। इस मामले में सेंगर पर पीड़िता के पिता की हत्या में साजिश रचने का भी आरोप लगा। हालाँकि, कार्रवाई में बहुत देरी की गई। आरोप लगा कि पीड़िता पर केस वापस लेने के लिए लगातार दबाव बनाया गया। जब यह मामला सुर्खियों में आया तो सेंगर के ख़िलाफ़ कार्रवाई का दबाव बना। पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट को ख़त तक लिखा। सुप्रीम कोर्ट तक को दखल देना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की चिट्ठी का संज्ञान लेते हुए केस दिल्ली शिफ्ट किया था और रोजाना सुनवाई करके 45 दिनों में फैसला करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सभी संबंधित केस उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर कर दिए गए थे। 2019 में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दिसंबर में सेंगर को रेप के लिए उम्रकैद और पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल की सजा सुनाई थी। तब से सेंगर जेल में हैं।
बहरहाल, हाईकोर्ट का यह ताज़ा फ़ैसला महिलाओं के खिलाफ अपराधों और राजनीतिक प्रभाव वाले मामलों में न्याय व्यवस्था पर फिर से बहस छेड़ सकता है। पीड़िता पक्ष पहले भी आरोप लगाता रहा है कि सेंगर जैसे प्रभावशाली लोग न्याय को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
पीड़िता पर हुए थे हमले
उन्नाव रेप केस की पीड़िता और उसके परिवार पर हमले भी हुए। पीड़िता जब नाबालिग थी तो कुलदीप सिंह सेंगर के घर में उसका बलात्कार किया गया। 2018 में पीड़िता के पिता पर सेंगर के भाई और सहयोगियों द्वारा हमला किया गया। गंभीर चोटें लगीं। इसके बाद पिता को आर्म्स एक्ट में गिरफ्तार किया गया और 9 अप्रैल 2018 को न्यायिक हिरासत में उनकी मौत हो गई। हिरासत में उनकी पिटाई किए जाने का आरोप लगा और सेंगर पर साज़िश रचने का आरोप लगा।
2019 में पीड़िता, उनकी दो मौसियाँ और वकील कार से जा रहे थे जब रायबरेली में एक ट्रक ने टक्कर मारी। दो मौसियों की मौत हो गई, पीड़िता और वकील गंभीर रूप से घायल हो गए। परिवार ने इसे साजिश बताया।